April 15, 2024

रायपुर में 15 हजार मासिक वेतन वाले कर्मचारी के नाम पर 500 करोड़ की संपत्ति, बालको प्लांट में अरबो का ट्रांसपोर्ट ठेका भी, मुख्यमंत्री बघेल की ईमानदार करीबी अफसर सौम्या चौरसिया का मुलाजिमों को रातों – रात करोड़पति बनाने का हैरतअंगेज फार्मूला

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रायपुर में 15 हजार मासिक वेतन वाले कर्मचारी के नाम पर 500 करोड़ की संपत्ति, बालको प्लांट में अरबो का ट्रांसपोर्ट ठेका भी, मुख्यमंत्री बघेल की ईमानदार करीबी अफसर सौम्या चौरसिया का मुलाजिमों को रातों – रात करोड़पति बनाने का हैरतअंगेज फार्मूला


रायपुर : पुरानी कहावत है ”किसी न किसी आदमी की सफलता के पीछे महिला” का हाथ होता है। ये कहावत छत्तीसगढ़ में जोर -शोर से चरितार्थ भी हो रही थी। लेकिन कामयाबी के मुकाम पर पहुंचने से पहले IT और ED जैसी केंद्रीय जाँच एजेंसिया उसकी राह की रोड़ा बन गई। फिलहाल राजनेताओं और भ्रष्ट अफसरों की सुध ली जा रही है। उनके कारनामे रोजाना उजागर हो रहे है। ऐसे में एक ऐसे शख्स का खुलासा हुआ है, जो दो -तीन बरस पहले तक शराब कारोबारी सुभाष शर्मा का मुलाजिम था। वह उनकी ट्रांसपोर्ट कम्पनी में 15 हजार रूपए मासिक वेतन पर काम करता था। लेकिन ईमानदार अफसरों की कृपा उस पर क्या हुई ? उसकी जिंदगी ही बदल गई।

देखते ही देखते यह शख्स अरबो का मालिक बन गया। उसने अपनी ट्रांसपोर्ट कम्पनी डाल ली। फिर ऐसा धमाका हुआ कि रातो – रात वो कोरबा में बालको कम्पनी का सबसे बड़ा ट्रांसपोर्ट ठेकेदार भी बन गया।

उसकी कम्पनी में खुद के सैकड़ो ट्रक, डम्फर , डोजर ऐसे ही कई किस्म के वाहनों की लम्बी कतार लग गई। इस शख्स के पास कोई जादुई चिराग होने की जानकारी तो नहीं मिली।अलबत्ता उसके तार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यलय से जुड़े पाए गए। इस शख्स की कामयाबी से ईमानदार अफसर सौम्या चौरसिया का फार्मूला भी चर्चा में है। एक खास वर्ग उसकी कार्यप्रणाली का कायल है। जानिये कौन है यह शख्स ? पढ़िए, यह खोज खबर।

नाम – संतोष सिंह, उम्र – लगभग 40 साल, रंग – गेहुंआ, हाइट – लगभग 5 फूट 5 इंच, निवासी – रायपुर, मूल निवास – बिहार, वर्तमान पता / ठिकाना – कोरबा, व्यवसाय – पृथ्वी रियलकोन लिमिटेड का मालिक,असल कारोबार – ट्रांसपोर्ट कम्पनी की आड़ में मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला। इस शख्स की पहचान कई लोगों द्वारा कुछ इस तर्ज पर तस्दीक की गई है। बताया जाता है कि यह व्यक्ति दो – तीन साल पहले तक शराब कारोबारी सुभाष शर्मा का कर्मचारी था। 15 हजार मासिक वेतन पर वो उनकी कंपनी के वाहनों की देखरेख किया करता था।

चंद वर्षों पहले तक उसकी माली हालत कुछ खास नहीं बल्कि पतली थी। लेकिन अब वो प्रदेश का प्रभावशील ठेकेदार बन गया है। सुभाष शर्मा पर हुई IT की कार्यवाही के दौरान संतोष भी लपेटे में आया था। बताते है कि सुभाष शर्मा का अचानक साथ छोड़कर संतोष सिंह तत्कालीन कलेक्टर कोरबा रानू साहू के ठिकानो पर नजर आने लगा। इसी दौरान उसने सूर्यकान्त गिरोह की कई शैल कंपनियों में हिस्सेदार भी बन गया।

सूत्र बताते है कि संतोष सिंह के कारोबार और उसकी शैल कंपनियों में हिस्सेदारी की जाँच बेहद जरुरी है। यह भी बताया जा रहा है कि संतोष सिंह के अलावा रायगढ़ में पदस्थ रहे पुलिस कांस्टेबल SC तिवारी के नाम पर भी सूर्यकान्त ने रायपुर समेत अन्य जिलों में करोड़ो की चल – अचल संपत्ति खरीदी है। उसके ED के हत्थे चढ़ने के बाद इस बेनामी सम्पत्ति की अफरा – तफरी के खबर भी सुर्खियों में है।

बताया जाता है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपसचिव सौम्या चौरसिया के सम्पर्क में आने के बाद अचानक उसके दिन फिर गए है। कोयला दलाल सूर्यकान्त तिवारी की तर्ज पर वो भी सौम्या का शागिर्द बन गया है। सूत्र बताते है कि संतोष सिंह को बालको में ट्रांसपोर्ट का ठेका दिलाने के लिए तत्कालीन कोरबा कलेक्टर रानू साहू ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। बतौर कलेक्टर वो बालको में धरने पर बैठ गई थी।

उसने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए यहाँ जमकर बवाल काटा। रानू साहू की कार्यप्रणाली को लेकर इस दौरान जमकर बवाल भी हुआ था। राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने प्रदेश की सबसे बड़ी लुटेरी कलेक्टर बता कर रानू साहू को कठघरे में भी खड़ा किया था। बताते है कि कोरबा में उनके कार्यकाल की निष्पक्ष जाँच जरुरी है।

दरअसल बालको में संतोष सिंह के कारोबार में उनकी भूमिका काफी संदिग्ध है। दरअसल बालको में कई वर्षों से ट्रांसपोटिंग का ठेका संचालित कर रही मुंबई की शाह कम्पनी ने राजनैतिक और प्रशासनिक दबाव के चलते उसे अनुचित रूप से हटाए जाने का विरोध किया था। सूत्र बताते है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ सौम्या चौरसिया के हस्तक्षेप से जहां प्रशासन ने संतोष सिंह को ठेका दिलवा दिया, वही शाह कम्पनी के कर्ता – धर्ताओं को कोरबा से खदेड़ने में पुलिस ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।

जानकारी के मुताबिक सरकारी सरंक्षण में संतोष सिंह ने सूर्यकान्त तिवारी और उसके गिरोह के काले कारनामों का ठेका इन दिनों संभाल लिया है। सूर्यकान्त के ED के हत्थे चढ़ने के बाद भी जारी अवैध वसूली को ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी उसके ही हाथो में बताई जा रही है। सूर्यकान्त तिवारी और कारोबारी प्रशासनिक अफसरों के कारनामो की जाँच भारत सरकार से कराये जाने की मांग प्रदेश में जोर पकड़ रही है।

लोगो का कहना है कि अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों की कार्यप्रणाली और आपराधिक कृत्यों की जाँच सीबीआई से कराये जाने के लिए भारत सरकार को छत्तीसगढ़ का मामले पृथक से संज्ञान लेने चाहिए। फिलहाल दिन भर से आयकर और ED के छापो और पूछताछ को लेकर गहमा – गहमी है। प्रशासनिक और राजनैतिक गलियारों में केंद्रीय एजेंसियों की धूम है।

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