April 15, 2024

बिलासपुर वन मंडल के DFO और अचानकमार अमरकंटक बायोस्फियर रिज़र्व के संचालक सूचना के अधिकार कानून की कैसे धज्जियां उड़ा रहे हैं, पढ़िये रिपोर्ट

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बिलासपुर वन मंडल के DFO और अचानकमार अमरकंटक बायोस्फियर रिज़र्व के संचालक सूचना के अधिकार कानून की कैसे धज्जियां उड़ा रहे हैं, पढ़िये रिपोर्ट



बिलासपुर : बिलासपुर वन मंडल के DFO और अचानकमार अमरकंटक बायोस्फियर रिज़र्व के संचालक सूचना के अधिकार कानून की कैसे धज्जियां उड़ा रहे हैं, पढ़िये रिपोर्ट
कुमार निशांत और नायर विष्णुराज नरेंद्रन आवेदक को कैसे प्रताड़ित कर रहे हैँ, जानिये इस रिपोर्ट से

छत्तीसगढ़ शासन के बहुत सारे विभाग ऐसे हैं जिनमे सूचना का अधिकार कानून का कोई महत्व नहीं रह गया है ,इस कानून को ज्यादातर विभाग के बड़े अधिकारी अपनी ही नयी परिभाषा से चलाते आये हैं, ये तमाम बड़े अधिकारी rti कानून की लगातार धज्जियाँ उड़ा रहे हैं ,अगर बात हम विभागों की करें तो इस मामले में वन विभाग के अधिकारी rti कानून को अपनी जेब में रखकर बेख़ौफ़ घूमते नज़र आते है।

अभी हाल ही में हमारे सामने सूचना के अधिकार का मामला आया । बिलासपुर में कानन पेंडारी ज़ू के अंदर ऑपरेशन थिएटर में काम आने वाले उपकरणों के बिल वाउचर के दस्तावेज आवेदक ने मांगे थे ,साथ में आवेदक ने ज़ू के अंदर संचालित किए जा रहे कैंटीन की निविदा के भी दस्तावेज मांगे थे । लेकिन दोनों ही मामलों में संचालक नायर विष्णुराज नरेंद्रन ने कहा कि इसका जवाब आप बिलासपुर DFO कुमार निशांत से ले लीजिए । नायर विष्णुराज ने पत्र में लिखा की वर्ष 2021 के पहले के रिकार्ड्स वन मंडल कार्यालय विलासपुर के पास है ।जब आवेदक ने वन मंडल बिलासपुर कार्यालय में आवेदन लगाया तो DFO कुमार निशांत ने rti कानून का हवाला देते हुए कहा कि कानन पेंडारी के समस्त दस्तावेज ज़ू के अधिकारियों को ट्रांसफर किया जा चुका है।

बिलासपुर DFO कुमार निशांत और संचालक (DFO रैंक) नायर विष्णुराज नरेंद्रन कैसे आवेदक को प्रताड़ित कर रहे हैं ,आवेदक को कैसे एक के बाद एक कार्यालयों में जाने को मजबूर किया जा रहा है । आवेदक ने ये दोनों DFO (कुमार निशांत और नायर विष्णुराज नरेंद्रन ) की करतूतों के खिलाफ प्रथम अपील लगायी है ,आपको बता दें कि बिलासपुर सीसीफ कार्यालय में प्रथम अपील लगाने के बाद CCF राजेश चंदेले ने आवेदक के प्रथम अपील आवेदन को CCF वन्यप्राणी कार्यालय ,कोनी को ट्रांसफर कर दिया । इस पूरी प्रक्रिया के दौरान आवेदक को चार – चार कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

चूंकि आवेदक ने कानन पेंडारी ज़ू के अंदर के ऑपरेशन थिएटर , कैंटीन और दवाइयों के दस्तावेज मांगे थे ,हो सकता है इसलिए शायद दोनों DFO सूचना देने से घबरा रहे हों ।हमारे पाठकों को ये भी बता दें कि कानन पेंडारी ज़ू में पिछले कुछ सालों से लगातार बेजुबान जानवरों की असमय मृत्यु हो रही है , या इसको हत्या भी कहा जा सकता है , इसलिए DFO रैंक के ये दोनों अधिकारी सूचना को छुपाने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

आपको ये बता दें कि वन विभाग के DFO रैंक के अधिकारी सूचना के अधिकार कानून की धारा 8(1)(जे) का लगातार दुरूपयोग कर रहे हैं ,आवेदकों को इस धारा का उल्लेख करके भ्रमित जानकारी दी जाती है कि third party information के तहत जानकारी देना उचित नहीं है।

आवेदकों के द्वारा public documents मांगने पर भी अधिकारियों द्वारा गलत जानकारी दी जाती है ,जो सरासर सूचना के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है।

DFO कुमार निशांत और नायर विष्णुराज नरेंद्रन की करतूतों से परेशान होकर आवेदक ने इनके खिलाफ राज्य सूचना आयोग को लिखित में शिकायत दी है,अब देखना है सूचना आयोग इस पर क्या कार्यवाही करता है। आपको एक बात और बता दें कि इस वक़्त राज्य सूचना आयोग में सिर्फ 2 आयुक्त ही कार्य कर रहे हैं ,इनके नाम मनोज कुमार त्रिवेदी और धनवेंद्र जायसवाल हैं ,मुख्य सूचना आयुक्त और अन्य आयुक्तों की पोस्टिंग का दूर -दूर तक अता पता नहीं है । आप समझ सकते हैं कि इन दोनों आयुक्तों के ऊपर कितना भार होगा ,प्रकरण कितने लंबित पड़े होंगे ।

छत्तीसगढ़ सरकार नहीं चाहती की आम जनता को सरकारी सूचना मिले ,आम जनता को सूचनाओं के लिए लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है । राज्यपाल को सूचना के अधिकार कानून को लेकर गंभीर होकर राज्य सरकार को निर्देश देने चाहिए जिससे इस कानून का पालन सही ढंग से हो सके ।

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