

ईडी के प्रावधानों के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा सुप्रीम कोर्ट लगाई गई याचिका में सुनवाई अगस्त तक किया स्थगित
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को छत्तीसगढ़ सरकार की उस याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी जिसमें धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गयी है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने सुनवाई अगस्त तक स्थगित कर दी। अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एस.वी. राजू मामले में प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से पेश हुए। छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि गैर-भाजपा शासित राज्यों की सरकारों के सामान्य कामकाज को बाधित करने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। भूपेश बघेल नीत राज्य सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत कानून को चुनौती देते हुए मूल वाद दायर किया था। अनुच्छेद 131 किसी राज्य को केंद्र या अन्य किसी राज्य के साथ विवाद के मामलों में सीधे उच्चतम न्यायालय जाने का अधिकार देता है।
छत्तीसगढ़ धनशोधन रोकथाम कानून और इसके प्रावधानों को चुनौती देने वाला छत्तीसगढ़ सरकार देश का पहला राज्य बन गया है। इससे पहले, निजी क्षेत्र के लोगों और पक्षों ने विभिन्न आधार पर कानून को चुनौती दी थी लेकिन पिछले साल शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने इसकी वैधता को कायम रखते हुए याचिका को खारिज कर दिया था। छत्तीसगढ़ के वाद में कहा गया है कि ई डी के द्वारा किये गये छापा मार कार्यवाही से राज्य सरकार को प्रदेश के अधिकारियों और कोयला एवं शराब कारोबारियों की तरफ से अनेक शिकायतें मिल रही हैं कि प्रवर्तन निदेशालय जांच करने की आड़ में उन्हें ‘प्रताड़ित कर रहा है और दुर्व्यवहार कर रहा है’। इसमें कहा गया है कि अधिकारों के इस तरह दुरुपयोग के कारण छत्तीसगढ़ को अदालत में आने को मजबूर होना पड़ रहा है। इससे पहले प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और वकील सुमीर सोढी ने छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कहा था कि यह संवैधानिक महत्व का विषय है और इस पर तत्काल सुनवाई जरूरी है।पर सर्वोच्च न्यायालय ने इसकी सुनवाई अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया है।