भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो रजिस्ट्रार बोले-नेतागिरी कर रहे सदस्य
स्वास्थ्य विभाग पर लोगों की सेहत का जिम्मा होता है, लेकिन उसका खुद का स्वास्थ्य बिगड़ा हुआ है। विभाग के एक के बाद एक कारनामें सामने आ रहे हैं। पहले छत्तीसगढ़ नर्सिंग काउंसिल ने अपात्र कॉलेजों को मान्यता बांट दी और अब फॉर्मेसी काउंसिल विवादों में आ गई है।
Chhattisgarh Pharmacy Council : नर्सिंग काउंसिल के बाद छत्तीसगढ़ की फार्मेसी काउंसिल विवादों में है। सवाल यहां के रजिस्ट्रार पर उठाए गए हैं। क्या सरकार रजिस्ट्रार पर मेहरबान है। यह सवाल वे सदस्य उठा रहे हैं, जिनको रजिस्ट्रार ने काउंसिल से हटा दिया है।
रजिस्ट्रार का कहना है कि सदस्य राजनीतिक पार्टी से संबंधित हैं, इसलिए वे सिर्फ नेतागिरी कर रहे हैं और झूठे आरोप लगा रहे हैं। वहीं हटाए गए सदस्य का कहना है कि रजिस्ट्रार ने नियम विरुद्ध हटाने की कार्यवाही की है। उन्होंने आरोप लगाया कि तृतीय श्रेणी कर्मचारी को रजिस्ट्रार पद पर बैठा दिया गया। रजिस्ट्रार की डिग्री भी सवालों के घेरे में है। सरकार के पास ये शिकायत भी की गई है। काउंसिल से हटाए गए सदस्य ने रजिस्ट्रार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं।
स्वास्थ्य विभाग के एक के बाद एक कारनामे
स्वास्थ्य विभाग पर लोगों की सेहत का जिम्मा होता है, लेकिन उसका खुद का स्वास्थ्य बिगड़ा हुआ है। विभाग के एक के बाद एक कारनामें सामने आ रहे हैं। पहले छत्तीसगढ़ नर्सिंग काउंसिल ने अपात्र कॉलेजों को मान्यता बांट दी और अब फॉर्मेसी काउंसिल विवादों में आ गई है।
फॉर्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार अश्विनी गुर्देकर ने काउंसिल के निर्वाचित सदस्य डॉ राकेश गुप्ता को हटा दिया। डॉ राकेश गुप्ता का कहना है निर्वाचित सदस्य को हटाने का अधिकार काउंसिल सभा को होता है लेकिन गुर्देकर ने खुद ही ये फैसला कर लिया, जो अवैधानिक है।
डॉ. राकेश गुप्ता ने ही रजिस्ट्रार की नियुक्ति पर सवाल उठाया है। इसके अलावा उनकी डिग्री भी सवालों के घेरे में है। रजिस्ट्रार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी लगाए गए हैं। डॉ राकेश गुप्ता कहते हैं कि इन सब मामलों के कारण बदले की भावना से उनकी सदस्यता समाप्त की गई है।
रजिस्ट्रार पर लगाए ये आरोप
तृतीय श्रेणी कर्मचारी होने के बाद भी रजिस्ट्रार बनाए गए। जबकि नियमानुसार सेकंड क्लास अधिकारी को ही रजिस्ट्रार बनाया जाता है।
नियमानुसार बैचलर ऑफ फार्मेसी की रेगुलर डिग्री होनी चाहिए। जबकि इन्होंने कॉरेस्पोंडेंस कोर्स किया है। शासकीय सेवा में रहते हुए स्पष्ट लिखा गया है इस कोर्स को प्रमोशन में उपयोग नहीं किया जाएगा जब इनके प्रमोशन के लिए कागजात लगे तब यह मार्कशीट उनके पास नहीं थी।
काउंसिल में कार्यरत कर्मचारी अनिरुद्ध मिश्रा के फर्जी डिग्री के विरोध में तत्कालीन सदस्य एवं वर्तमान रजिस्ट्रार अश्वनी गुर्देकर ने पूर्व की मीटिंग में fir करने की सहमति दी थी पर रजिस्ट्रार बनने के बाद अभी तक fir नहीं हुई।
रजिस्ट्रार पर सरकार इतनी मेहरबान क्यों
स्वास्थ्य मंत्री से लेकर स्वास्थ्य सचिव तक इस संबंध में शिकायत की गई है।
इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन यानी आईपीए ने 6 सितंबर को स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से शिकायत की। इस शिकायत में कहा गया कि रजिस्ट्रार की नियुक्ति रद्द की जाए और फिर से नई नियुक्ति की जाए। इस शिकायत में आईपीए ने सारे तथ्य भी स्वास्थ्य मंत्री को दिए।
इससे पहले 7 अगस्त को अपर मुख्य सचिव को शिकायत की गई। इसमें भी तृतीय श्रेणी कर्मचारी को रजिस्ट्रार बनाने के साथ ही उनकी डिग्री पर सवाल उठाया गया। इस शिकायत में यह नियुक्ति रद्द करने की मांग की गई।
रजिस्ट्रार ने खारिज किए आरोप
रजिस्ट्रार अश्विनी गुर्देकर ने द सूत्र से बातचीत में डॉ गुप्ता के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। गुर्देकर ने कहा कि डॉ गुप्ता बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। उनको इसलिए हटाया गया क्योंकि वे काउंसिल की तीन बैठकों में उपस्थित ही नहीं हुए और नियम के अनुसार वे सदस्य रहने की पात्रता खो चुके।
जहां तक उनकी रजिस्ट्रार पद पर नियुक्ति की बात है तो इस सवाल का जवाब सरकार देगी क्योंकि ये नियुक्ति सरकार ने ही की है। उनके पास बैचलर ऑफ फार्मेसी की डिग्री है। सरकार के नियमानुसार सेवा में रहते ये डिग्री ली जा सकती है।
गुर्देकर ने कहा कि जो शिकायत सरकार को की गई थी उसकी जांच हो चुकी है। सरकार की तरफ से एक टीम ने उनसे पूछताछ भी की। सरकार की जांच में उनको क्लीन चिट मिल चुकी है। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार के जो आरोप लगाए गए हैं वे भी झूठे आरोप हैं। बहरहाल सच्चाई जो भी हो लेकिन काउंसिल विवादों में तो आ ही गई है।