महिलाओं से 120 करोड़ की ठगी करने वाले फ्लोरा मैक्स को बिना वेरिफिकेशन 48 बैंकिंग संस्थानों ने आंख मूंदकर बांट डाला कर्ज , बैंक-माइक्रो फाइनेंस से मांगा गया 3 साल का ब्यौर
कोरबा : फ्लोरा मैक्स ठगी कांड में नियम कायदों को ताक पर रख दिया गया। महिलाओं को करोड़ों कर्ज बांटने वाले बैंकों ने पहले वेरिफिकेशन करना भी मुनासिब नहीं समझा। महिलाओं को कोरबा के अलावा कटघोरा, चांपा, सक्ती, छाल, धरमजयगढ़ व खरसिया स्थित 48 बैंक-माइक्रो फाइनेंस कंपनी के शाखाओं से लोन जारी किया गया। प्रत्येक महिला को 30-30 हजार का लोन दिया गया, लेकिन संस्थानों ने ऐसे आंख मूंदकर लोन बांटा कि अनेक महिलाओं को एक नहीं बल्कि 8-10 संस्थान से लोन पास हो गया।
निवेशकों से लिए गए बयान में यह बात सामने आ रही है कि ऐसे में घर बैठे ज्यादा कमाई के चक्कर में अनेक महिलाओं ने कंपनी में मोटी रकम निवेश की थी। शुरूआत में धोखाधड़ी का शिकार हुई महिलाओं से 30 हजार रुपए के ठगी के हिसाब से 100 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी का आंकलन किया गया। हालांकि जो नई जानकारी सामने आ रही है उसके हिसाब से रकम कई गुना अधिक हो रही है। इसके लिए पुलिस ने सभी बैंकिंग संस्थान से 3 साल के दौरान दिए गए लोन, प्राप्तकर्ता का नाम-पता का ब्यौरा मांगा है। यहां तक कि कंपनी के लोन देने व लोन की राशि जमा लेने के संबंध में नियमावली की जानकारी भी मांगी गई है। ब्यौरा खंगालने के बाद ही पुलिस की ओर से स्पष्ट होगा कि धोखाधड़ी कितनी रकम की हुई है।
बैंक-माइक्रो फाइनेंस से मांगा गया 3 साल का ब्यौरा
फ्लोरा मैक्स कंपनी द्वारा किए गए धोखाधड़ी के मामले में डायरेक्टरों व टॉप-10 लीडर जेल में है। पुलिस व प्रशासन अब उनके चल-अचल संपत्ति की पड़ताल करते हुए चिन्हित कर रही है। पुलिस की विवेचना भी मामले में जारी है। पुलिस द्वारा मामले में जांच के दौरान डाटा के आधार पर 30 हजार से अधिक महिलाओं से धोखाधड़ी होने का पता चला है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का सब्जबाग दिखाकर उनसे बैंक-माइक्रो फाइनेंस से लोन निकलवाकर रुपए जमा लिया गया। बैंक-माइक्रो फाइनेंस से 3 साल का ब्यौरा मांगा गया है। बैंकिंग संस्थान से लोन लेना उतना आसान नहीं है जितना फ्लोरा मैक्स में लोन लेकर रकम निवेश करने वाली महिलाओं को मिला। इसलिए बैंकिंग संस्थान से जुड़े लोगों के भी संलिप्तता की चर्चा हो रही है। हालांकि पुलिस की जांच में अब तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है।
बैंकर्स के सवालों के लिए देते थे ट्रेनिंग
कंपनी में लीडर रही कुछ महिलाओं ने बताया कि कंपनी के मालिक अखिलेश सिंह शुरू से ट्रेनर की भूमिका में रहा। वह महिलाओं को बैंकर्स से संपर्क करने से लेकर लोन के लिए आवेदन व प्रोसेस की पूरी जानकारी देकर ट्रेंड करता था। बैंकर्स द्वारा किए जाने वाले सवाल के जवाब के लिए उन्हें तैयार करता था। जिससे वह बेबाकी से बता सके कि उन्हें परिवार स्वयं व परिवार की मासिक आय कितना बताना है और किस तरह से लोन की रकम से खुद का व्यवसाय शुरू करना है। बैंकर्स से न तो अखिलेश और न ही कंपनी को कोई लीडर संपर्क करता था।
इन बैंकिंग संस्थान से बांटे गए हैं महिलाओं को लोन
फ्लोरा मैक्स को ऋण बांटने वालों में कंगाल बैंक, एचडीएफसी बैंक, नाबार्ड बैंक, विक्टर बैंक, बीएसएस माइक्रोफाईनेन्स, जना बैंक, उत्कर्ष बैंक, इक्वीटास बैंक, अन्नपूर्णा बैंक, एक्सिस बैंक (धर्मजयगढ़), सक्षम ग्राम बैंक, ग्रामीण कोटा बैंक, आईडीएफसी, ग्राम शक्ति बैंक, पहल बैंक, स्वंदना बैंक आशीबाद बैंक, अरोहन बैंक, फ्यूजर बैंक (खरसिया), फिनकेयर बैंक, भारत फाईनेंस बैंक, स्वमान्य बैंक, आरबीएल बैंक, स्वाभिमान बैंक, सुर्योदय बैंक, यूनिटी बैंक, एनएलटी बैंक शक्ति, सेटिन्ग बैंक (कटघोरा), संग्रह बैंक, फेडरल बैंक, आय फाईनेस बैंक, डीसीबी बैंक, आयुध बैंक, बन्धन बैंक, स्वतंत्रता बैंक, आबीएल बैंक, नैनफिन्स लिमिटेड (कटघोरा), जना लक्ष्मी बैंक, अन्नपूर्णा बैंक (सक्ती), चैतन्य बैंक, बेलस्टार बैंक, अन्नपूर्णा बैंक (धरमजयगढ़), उत्कर्ष बैंक (खरसिया), स्पंदना बैंक (छाल), आरोहन बैंक (चांपा), ग्राम शक्ति (खरसिया), अविरल बैंक (खरसिया), ग्रामीण कोटा (धर्मजयगढ) व एलएनटी शक्ति शामिल हैं।
कई अन्य जिलों में भी धोखाधड़ी
एसपी सिद्धार्थ तिवारी के मुताबिक कोरबा में फ्लोरा मैक्स कंपनी के धोखाधड़ी के मामले में पुलिस ने तत्परता के साथ कार्रवाई करते हुए सभी प्रमुख लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। मामले में विवेचना चल रही है। प्रशासन की ओर से आरोपियों के चल-अचल संपत्ति की जानकारी जुटाकर चिन्हित की जा रही है। कई अन्य जिलों में भी कंपनी द्वारा धोखाधड़ी करने का पता चला है जिसके आधार पर उन जिलों के एसपी को वहां के मामले में एफआईआर करने के लिए पत्र लिखा गया है।