जिस अफसर ने कराई थी 500 करोड़ के चर्चित जमीन घोटाले की जांच जिसमें भेजी थी 1300पन्नो की जांच रिपोर्ट उस अपर कलेक्टर को बिना किसी कार्यवाही के दे दी गई विष्णु देव साय के सुशासन की सरकार में क्लीन चिट, अफसरों ने किया जांच की फाइल को नस्तीबद्ध, देखिए आदेश
अफसरों ने 500 करोड़ के उस लैंड स्कैम में अपर कलेक्टर तिर्थ राज अग्रवाल को क्लीन चिट दे दिया गया है, जिनके खिलाफ रायगढ़ के तत्कालीन कलेक्टर मुकेश बंसल ने उस समय के तत्कालीन रमन सिंह सरकार को 1300 पेज की जांच रिपोर्ट भेजी थी बल्कि पुलिस में अपराध भी दर्ज कराई गई थी। उस समय के तत्कालीन एसपी राहुल भगत जो आज मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सचिव है के निर्देश पर ही पुलिस ने अपराध दर्ज किया था। बहरहाल, जमीन घोटाले के 14 साल बाद बिना किसी कार्यवाही के अफसरों ने अपर कलेक्टर को विष्णु देव साय के सुशासन की सरकार में बरी कर फाइल को नस्तीबद्ध कर दिया है। देखिए आदेश में क्या लिखा है…
रायपुर : मंत्रालय के अफसरों ने फाइल नस्तीबद्ध करने का आदेश निकाला है, उसमें लिखा है कि विभागीय जांच अधिकारी ने 2020 में रिपोर्ट सौंपी थी, उसका परीक्षण किया गया और केस को समाप्त किया जाता है। आदेश में इसका कोई जिक्र नहीं है कि जांच अधिकारी याने बिलासपुर संभागीय कमिश्नर ने जांच रिपोर्ट में अफसर को बरी किया है या दोषी ठहराया है। मंत्रालय के अफसरों ने चार साल से पड़ी विभागीय जांच रिपोर्ट को बिना कोई कार्यवाही किए बिना ही उस जांच को बंद करते हुए 20 नवंबर 2024 को फाइल नस्तीबद्ध करने का आदेश निकाल दिया। आदेश हैरान करने वाला है क्योंकि उसमें अफसर के खिलाफ कार्यवाही करना तो दूर आरोप क्या था, इसका भी जिक्र नहीं है।
बता दें, 2014 में राज्य प्रशासनिक सेवा के 2008 बैच के अधिकारी तीर्थराज अग्रवाल रायगढ़ में एसडीएम थे, उस समय एनटीपीसी के लारा प्रोजेक्ट के लिए भूअर्जन चल रहा था। उसमें इतना बड़ा खेल हुआ था कि तत्कालीन कलेक्टर मुकेश बंसल भी हिल गए थे। उन्होंने नाराज होकर इसकी जांच कराई और 1300 पेज की जांच रिपोर्ट सरकार को भेजी। कलेक्टर ने एसपी राहुल भगत से बात कर पुलिस में अपराध भी दर्ज कराया था। कलेक्टर की रिपोर्ट पर तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ0 रमन सिंह ने एसडीएम को सस्पेंड कर दिया था। वे करीब पौने दो साल सस्पेंड रहे। 2016 में उन्हें फीर से बहाल किया गया।
जानिये क्या था मामला…
यह घोटाला 2014 का है। देश की सबसे बड़ी सरकारी पावर कंपनी एनटीपीसी ने रायगढ़ जिले के पुसौर विकासखंड में अपना प्लांट लगाने का प्रॉसेज प्रारंभ किया था। भूअर्जन में किसी भी तरह की गड़बड़ी रोकने के लिए 6 जुलाई 2012 को उस वक्त के तत्कालीन एसडीएम ने अधिसूचना जारी कर प्लांट लगने वाली जगह में से ग्राम बघनपुर, घनागार,और कोड़ातराई की जमीन की खरीदी बिक्री तथा खाता बंटवारे पर रोक लगाई थी। पर आरोप है कि ट्रांसफर पर आए नए एसडीएम तीर्थराज अग्रवाल ने जमीनों की खरीदी, बिक्री के साथ ही खातों के बंटवारे पर लगी रोक चुपके से हटा दी। इसके बाद रायगढ़ के सफेदपोश लोगों ने किसानों से कौड़ियों के मोल जमीनें खरीद ली और उसे टुकड़ों में बांट एनटीपीसी को टिका दिया। ज्ञातव्य है, भूअर्जन नियम के अनुसार छोटे टुकड़ों का रेट कई गुना ज्यादा मिलता है, इसलिए एनटीपीसी के आंकलन से मुआवजा 500 करोड़ ज्यादा चला गया। इस पर हड़कंप मचा। एनटीपीसी का दिल्ली हेडक्वार्टर भी स्तब्ध था। भारत सरकार से इसकी शिकायत की गई। साथ कलेक्टर रायगढ़ की नोटिस में यह बात लाई गई। रायगढ़ कलेक्टर मुकेश बंसल ने इसकी जांच कराई तो वे चकित रह गए। नियम कायदों को धता बताते हुए बड़ी अफरातफरी की गई थी।