एनजीटी ने रिपोर्ट सौंपने दिए तीन हफ्ते का समय, दोबारा पहुंची टीम
पर्यावरण मित्र संस्था की ओर से उद्योगों से हो रहे प्रदूषण की शिकायत, दो दिन से रायगढ़ का निरीक्षण कर रही कमेटी
रायगढ़, : उद्योगों में कुल भूमि का 33 प्रतिशत खाली छोडक़र हरियाली विकसित करने की शर्त ही उघोग लगाने का लायसेंस और परमिशन सरकार से मिली है जिसका पालन ही नहीं किया गया है। वहीं प्लांटों से निकल रहे फ्लाई एश और स्लैग से जिले में प्रदूषण फैल रहा है। इसकी शिकायत एनजीटी से की गई तो जांच हेतु एक ज्वाइंट कमेटी का गठन किया गया। कमेटी ने रिपोर्ट जमा करने के लिए समय मांगा। एनजीटी ने तीन हफ्ते का समय दिया है जिसके बाद कमेटी बचे हुए उद्योगों की जांच करने पहुंची है। पर्यावरण मित्र संस्था के अध्यक्ष बजरंग अग्रवाल ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से रायगढ़ में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर लिखित शिकायत की थी। उन्होंने प्रदूषण फैलाने, गलत ईआईए रिपोर्ट पेश कर जनसुनवाई कराने, 33 प्रतिशत क्षेत्र में ग्रीन बेल्ट विकसित न करने और कृषि भूमि व जंगल के बीच फ्लाई एश की अवैध डंपिंग करने विषय उठाया है।
एनजीटी ने पर्यावरण मंत्रालय छग, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, छग पर्यावरण संरक्षण मंडल और जिला प्रशासन के प्रतिनिधियों की टीम का गठन कर शिकायत के बिंदुओं पर तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। इसी के परिपालन में अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में तीन दिनों तक रायगढ़ का दौरा किया था। शिव शक्ति स्टील, मां शाकम्भरी स्टील, मां मंगला इस्पात, महावीर कोल एवं पावर लिमिटेड, एनटीपीसी लारा, नवदुर्गा फ्यूल्स, बीएस इस्पात, श्याम इस्पात, अडाणी पावर, अंजनी स्टील, स्केनिया स्टील, रायगढ़ इस्पात, सेलेनो स्टील आदि का निरीक्षण किया गया था। लेकिन बाकी उद्योगों का निरीक्षण नहीं हो सका था। ज्वाइंट कमेटी ने एनजीटी में 4 नवंबर के पहले रिपोर्ट दाखिल नहीं की। उन्होंने कुछ और समय की मांग की। एनजीटी ने 4 नवंबर की सुनवाई में तीन सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया है। इसके बाद ज्वाइंट टीम दोबारा रायगढ़ पहुंची है। दो दिनों से बचे हुए सभी उद्योगों की जांच की जा रही है।
डेढ़ करोड़ टन से ज्यादा निकल रहा फ्लाई एश
रायगढ़ में प्रदूषण का प्रमुख कारण फ्लाई एश और सडक़ों पर फैली कोल डस्ट है। जिले में प्रतिवर्ष करीब 1.52 करोड़ टन एश उत्सर्जित हो रहा है। इसका यूटीलाइजेशन नहीं किया जाता, बल्कि डिस्पोजल होता है। फ्लाई ऐश की अवैध डंपिंग होती है। ग्रीन बेल्ट विकसित करने के लिए उद्योगों को 33 प्रतिशत जमीन छोड़ी जानी है लेकिन ऐसा कोई भी नहीं करता। बजरंग अग्रवाल ने उद्योगों से निकलने वाली फ्लाई एश की 10 साल की ऑडिट किए जाने की मांग की है। उन्होंने सभी उद्योगों की 33 प्रतिशत ग्रीन बेल्ट के लिए छोड़ी जाने वाली भूमि का सीमांकन करने की भी मांग की गई है। सडक़ खराब होने के कारण कोल डस्ट उडक़र घरों के अंदर पहुंच रहा है।
तीन हफ्ते में रिपोर्ट या एनजीटी के सामने होंगे हाजिर
4 नवंबर को सुनवाई के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जांच कमेटी को तीन सप्ताह का अतिरिक्त समय मंजूर किया है। इस अवधि में अगर रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई तो कमेटी सदस्यों को 25 नवंबर को होने वाली अगली सुनवाई में वर्चुअली उपस्थित होना पड़ेगा। इसके बाद टीम जांच के लिए रायगढ़ पहुंची है। सभी उद्योगों की जांच कर रिपोर्ट बनाई जाएगी।