प्रशासन के नाक के नीचे जमकर फल फूल रहा कोयला का अवैध कारोबार………भोले भाले लोगों के नाम पर लायसेंस लेकर मलाई काट रहे हैं पैसे वाले……..क्या एक और बड़ी घटना का हो रहा इंतजार
बेनामी प्लाटधारी बहा रहे पानी की तरह रूपया
बिलासपुर : सरगांव कोयला व्यापारी की आत्महत्या के बाद पुलिस विभाग बेशक चौकन्ना हो गया है। लेकिन कोयला कारोबारियों के हौसले पर कोई फर्क पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है। इसकी वजह अभी तक फरार आरोपियों के खिलाफ अपराध कायम नहीं होना बताया जा रहा है। जानकारी मिल रही है कि फरार आरोपी जोर जुगल लगाकर बचने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। यदि ऐसा हुआ तो कोयला माफिया कम चोरों का सिर चढ़कर बोलना निश्चित है। बावजूद इसके ना केवल मुंगेली बल्कि बिलासपुर पुलिस भी कोयला चोरों के खिलाफ कोई अभियान चलाता नजर नहीं आ रहा है। जनता के बीच इस बात को लेकर जमकर कानाफूसी हो रही है। सर
गांव कोयला व्यापारी की आत्महत्या के बाद मुंगेली पुलिस ने अभी तक फरार आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज नहीं किया है। इस बात को लेकर कोयला चोर सजग तो लेकिन पुलिस का डर नहीं है। खासकर बिलासपुर में कोयला चोरी का कारोबार रात के अंधेरे में बदस्तूर जारी है। खासकर इन दिनों रतनपुर और सकरी क्षेत्र के कोयला चोर कुछ ज्यादा ही सक्रिय है। व्यवस्था के नाक के नीचे ट्रक को हाइवे से हाइजैक कर अपने प्लाट लेकर जाते हैं। टनों कोयला चोरी कर पत्थर लोड कर देते हैं।
पुलिस की दूरी से..कोयला चोर खुश
सूत्र ने बताया कि इन दिनों बेलतरा, रतनपुर सकरी बाईपास , सरगांव, हाईकोर्ट से लगे गांव अमसेना, छतौना क्षेत्र में देर रात्रि कोयला की जमकर अफरातफरी हो रही है। कोयला चोरों को इस बात की भनक लग गई है कि बिलासपुर पुलिस ने स्पष्ट कर दिया है कि कोयला उनका विभाग नहीं है। इसलिए हमें कोयला गतिविधियों से दूर रहना है। यदि शिकायत मिलती है तो कार्यवाही करेंगे। अन्यथा अनलोडिंग के दौरान कोयला अनलोडिग होते पाया गया तो एक्शन लिया जाएगा। जिसके चलते बेलतरा ,रतनपुर और सकरी बाईपास, सरगांव हाईकोर्ट के पीछे लगे गांव छतौना, अमसेना क्षेत्र में रात के अंधेरे में कोयला चोरी का कारोबार जमकर फल फूल रहा है।
चेहरा दूसरे का पैसा दूसरे का
सूत्र ने बताया कि बेलतरा रतनपुर और सकरी क्षेत्र में ज्यादातर प्लाट रसूखदार लोग संचालित कर रहे हैं। प्लाट या तो सरकारी जमीन पर है या दूसरे की निजी जमीन पर । प्लाट का लायसेंस भी किसी भोले भाले ग्रामीणों के नाम पर है। लेकिन उसे इस बात की जानकारी नहीं है कि वह लायसेंसधारी कोयला व्यापारी है। सच भी है कि क्योंकि उसे ही पता नहीं कि रसूखदार ने कोयला कारोबार अपना बताकर लायसेंस उसके नाम पर बनवाया है। पुलिस या माइनिंग कार्रवाई के दौरान रसूखदार लायसेंसधारी को भगा देता है। फिर उसे घर का आदमी बताकर बचाने लगता है। इस दौरान पैसा पानी की तरह बहाता है।
फिर बगलें झांकेगी पुलिस
दूसरे का चेहरा सामने रखकर कोयला कारोबार में पैसा लगाने वाले रसूखदार अलग अलग व्यवसाय से जुड़े हैं। सवाल उठता है कि क्या ऐसे फर्जीवाड़ों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करेगी। यदि नहीं तो फिर वह दिन दूर नहीं जब नरेन्द्र कौशिक की जगह नया नाम सामने आ जाए। तब सिस्टम के सामने बगलेेें झांकने के अलावा कुछ भी काम नहीं रहेगा।
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