भ्रष्टाचार…. छत्तीसगढ़ में डीएमएफ मद की राशि से मक्का बीज खरीदी के नाम पर चार करोड़ का महा घोटाला ……….
कितने किसानों ने लगाया, कितना उत्पादन हुआ कोई रिकॉर्ड ही नहीं, मनमाने तरीके से उड़ाई गई राशि, दो सालों में कृषि विभाग को दी गई थी यह राशि
भ्रष्टाचार…. छत्तीसगढ़ में डीएमएफ मद की राशि से मक्का बीज खरीदी के नाम पर चार करोड़ का महा घोटाला ……….
कितने किसानों ने लगाया, कितना उत्पादन हुआ कोई रिकॉर्ड ही नहीं, मनमाने तरीके से उड़ाई गई राशि, दो सालों में कृषि विभाग को दी गई थी यह राशि
रायपुर : रायगढ़, डीएमएफ में एक और घोटाला उजागर हुआ है। कृषि विभाग ने दो वर्षों में हायब्रिड मक्का बीज के नाम पर चार करोड़ रुपए फूंक दिए गए हैं। जिले में मक्का उपार्जन के आंकड़े देखें तो एक दाना भी नहीं खरीदा गया। तो फिर मक्के की फसल कौन चर गया। चार करोड़ रुपए में बीज खरीदकर किसानों को वितरित करने का दावा किया तो फिर इसकी फसल कहां गई? खनिज न्यास निधि के दुरुपयोग और बंदरबांट में रायगढ़ जिले ने कई कीर्तिमान रचे हैं। जो जनता खदानों के बीच प्रदूषण में घुट-घुटकर रहने को मजबूर है, उसकी भलाई के लिए काम करने के बजाय अफसरों ने अपने हितों को खाद-पानी दिया।
डीएमएफ की राशि को बहुत बेरहमी से खर्च किया गया। अब कृषि विभाग में एक और भांडा फूटा है। वर्ष 20-21 में रायगढ़ जिले के 9 ब्लॉकों में करीब 12 हजार किसानों को 5050 हेक्टेयर में हायब्रिड मक्का बीज खरीदने का आदेश दिया गया। राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड को बीज सप्लाई करने का आदेश दिया गया। 26 अक्टूबर 2020 को 1117.20 क्विंटल मक्का बीज 17900 रुपए की दर से खरीदी गई। 1,99,97,880 रुपए का मक्का लिया गया और किसानों में बांटा गया। जून में बीज दिए गए मतलब 20-21 में ही फसल भी ली जानी थी।
इसी तरह 21-22 में भी नौ ब्लॉकों के 12625 किसानों के 5050 हे. रकबा में नि:शुल्क मक्का बीज खरीदने की मंजूरी कृषि विभाग को फिर से दी गई। इसके लिए 1,99,98,000 रुपए उप संचालक कृषि के नाम पर जारी किए गए। 14 जून को मंजूरी दी गई और 16 जून 2021 को एनएससी भोपाल को क्रय आदेश दिया गया। इस बार 195 रुपए किलो मतलब 19500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 925 क्विं. बीज सप्लाई किए गए। दो सालों में चार करोड़ के हायब्रिड मक्का बीज क्रय किए गए।
एक दाना नहीं खरीदा नान और मंडी ने
मक्का बीज खरीदने के लिए भी एनएससी को जरिया बनाया गया। सवाल यह है कि जब बीज खरीदने के लिए चार करोड़ रुपए खर्च किए गए तो फसल इससे कई गुना अधिक होनी चाहिए। मका उपार्जन का काम नागरिक आपूर्ति निगम को मिला है। इसके अलावा कृषि उपज मंडी में भी बेचा जा सकता है। दिलचस्प बात यह है कि नान में 21-22 और 22-23 में मक्का खरीदी का आंकड़ा शून्य है। मंडी में भी मक्का खरीदी का कोई भी रिकॉर्ड नहीं है। मतलब डीएमएफ से चार करोड़ के बीज खरीदे गए लेकिन फसल कोई और चर गया।
बैठक में भी उठा मुद्दा
मक्का बीज खरीदी के इस मामले में भारी भ्रष्टाचार की बू आ रही है। पिछले चार सालों में डीएमएफ को बर्बाद कर दिया गया। जो रकम आम जनता के काम आनी थी, वह बंदरबांट और कमीशनखोरी की भेंट चढ़ गई। राशि को खर्च करने में कोई नियम पालन नहीं किया गया। मक्का बीज खरीदने का मामला खनिज न्यास शासी परिषद की बैठक में उठा था लेकिन सदस्यों को खुद इसकी पूरी जानकारी नहीं है। यह खरीदी अब सवालों के घेरे में है।