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चौबे का मुख्यमंत्री के दावे पर पलटवार: छत्तीसगढ़ का पीडीएस देश में 19वें पायदान पर, 600 करोड़ का घोटाला जिम्मेदार
बिलासपुर। हमर संगवारी संस्था के अध्यक्ष राकेश चौबे ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के उस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है, जिसमें उन्होंने छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को देश की सर्वश्रेष्ठ प्रणाली बताया था। चौबे ने भारत सरकार के खाद्य मंत्रालय के सर्वे का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री के दावे को सिरे से खारिज कर दिया है।
चौबे ने जारी बयान में कहा कि खाद्य मंत्रालय के सर्वे के अनुसार, ओडिशा देश में पीडीएस के मामले में पहले स्थान पर है, जबकि उत्तर प्रदेश दूसरे और आंध्र प्रदेश तीसरे स्थान पर है। चौंकाने वाली बात यह है कि छत्तीसगढ़ इस सूची में नीचे से दूसरे यानी 19वें स्थान पर है। उन्होंने खाद्य मंत्रालय के सर्वे की प्रति भी सार्वजनिक की है।
चौबे ने छत्तीसगढ़ के पीडीएस के इतने निचले पायदान पर आने के लिए 600 करोड़ रुपए के राशन घोटाले को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने बताया कि इस घोटाले को स्वयं भारतीय जनता पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धर्म लाल कौशिक, पूर्व मंत्री राजेश मूणत और अजय चंद्राकर ने विधानसभा में उठाया था। भाजपा सरकार आने के बाद इस 600 करोड़ के राशन घोटाले की जांच के लिए विधानसभा जांच समिति भी गठित की गई है, जिसके सभापति पूर्व खाद्य मंत्री पुन्नू लाल मोहले हैं।
चौबे ने केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के खाद्य मंत्रालय के सचिव को भेजे गए पत्र की प्रतिलिपि का हवाला देते हुए कई गंभीर खुलासे किए। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के खाद्य मंत्रालय ने स्वयं 2023 में स्वीकार किया था कि प्रदेश में 48 हजार मीट्रिक टन चावल और 3310 मीट्रिक टन शक्कर का घोटाला हुआ है। इस घोटाले में से महज 150 मीट्रिक टन चावल और 8 मीट्रिक टन शक्कर की ही वसूली हो पाई है।
राशन दुकानों पर की गई कार्रवाई की जानकारी देते हुए चौबे ने बताया कि इस घोटाले के चलते प्रदेश में 208 राशन दुकानों को रद्द कर दिया गया, 285 राशन दुकानों को निलंबित किया गया और 22 राशन दुकानों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई है।

खाद्य मंत्रालय के सचिव के पत्र में हर साल भौतिक सत्यापन की जानकारी देने का भी उल्लेख है, जिस पर चौबे ने सवाल उठाते हुए कहा कि पिछले दो साल से केवल भौतिक सत्यापन का नाटक किया जा रहा है। उन्होंने राशन की कालाबाजारी करने वालों को खाद्य संचालनालय के एक अपर संचालक का संरक्षण होने का भी आरोप लगाया, जिसे वर्तमान में वहां से हटा दिया गया है।
चौबे ने दावा किया कि तकनीकी त्रुटि के आड़ में अरबों रुपए का घोटाला प्रमाणित है, जिसके कारण पोर्टल से घोषणा पत्र गायब करा दिया गया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बाजार से घटिया चावल खरीदवाकर प्रदेश की वितरण प्रणाली को पूरे देश में बदनाम कर दिया गया है। राकेश चौबे के इन गंभीर आरोपों ने प्रदेश की राजनीति में एक नया भूचाल ला दिया है और मुख्यमंत्री के दावे पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है।
