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छत्तीसगढ़ में जमीन नामांतरण अब ऑटोमेटिक: रजिस्ट्री के साथ ही बदलेगा मालिक का नाम, भ्रष्टाचार पर लगेगी लगाम
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने भूमि नामांतरण प्रक्रिया में एक बड़ा और ऐतिहासिक बदलाव किया है। राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि अब किसी भी जमीन की रजिस्ट्री होते ही उसका नामांतरण स्वतः ही खरीदार के नाम पर हो जाएगा। यह कदम जमीनों के नामांतरण में भ्रष्टाचार के आरोपों, पैसे मांगने की शिकायतों और लाखों लंबित मामलों को देखते हुए उठाया गया है। इस नई व्यवस्था से आम जनता को नामांतरण के लिए अलग से तहसील के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
कुल मिलाकर सरकार ने इस फैसले के तहत तहसीलदारों की नामांतरण से जुड़ी शक्तियां वापस ले ली हैं। अब रजिस्ट्रार और सब-रजिस्टार को ही यह अधिकार दे दिया गया है कि वे रजिस्ट्री के साथ ही तुरंत नामांतरण भी कर सकें। इस निर्णय से न केवल भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी, बल्कि आम जनता को भी बड़ी राहत मिलेगी। जमीन खरीदने के बाद महीनों तक नामांतरण के लिए जनता को भटकना नही पडेगा, जमीनों के चल रहे अफरा तफरी के खेल और नामतरंण के लिए मोटी रकम की मांग पर विराम लग सकेगा ऐसा कहा जा रहा है।
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राजपत्र में इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। यह कदम जमीन से जुड़े मामलों में पारदर्शिता लाने और प्रक्रिया को तेज करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकती है। हालांकि, इस निर्णय से राजस्व विभाग, जिसे अक्सर 'लक्ष्मीपुत्र' कहा जाता है, पर बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना है, और इससे जुड़ी जोड़तोड़ की सुगबुगाहट भी सुनाई दे रही
है।
