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कोर्ट के आदेश पर करोड़ों के गबन का केस दर्ज, CSPTCL के चीफ इंजीनियर, एसई और ठेकेदार फंसे
अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ स्टेट पावर लिमिटेड (CSPTCL) अंबिकापुर कार्यालय में करोड़ों रुपए के कथित गबन और घोटाले के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। कोर्ट के सख्त निर्देश के बाद विभाग के चीफ इंजीनियर, सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर और एक बड़े ठेकेदार के खिलाफ अंबिकापुर कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। यह मामला फर्जीवाड़े और लाखों-करोड़ों के भुगतान से जुड़ा है, जिसका खुलासा एक विस्तृत जांच रिपोर्ट में हुआ था। न्यायालय के आदेश के बाद इस बड़े अपराध को विधिवत दर्ज किया गया है।
मामला छत्तीसगढ़ स्टेट पावर लिमिटेड, अंबिकापुर के चीफ इंजीनियर कार्यालय से संबंधित है। आरोप है कि यहां करोड़ों रुपए के फर्जी और कूटरचित दस्तावेज लगाकर ठेकेदारों से मिलीभगत कर ई.पी.एफ., बोनस और ई.एस.आई.सी. की राशि का गबन किया गया। यह गंभीर शिकायत अधिवक्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट डी०के० सोनी द्वारा अंबिकापुर कोतवाली थाने में एक आवेदन के माध्यम से की गई थी। सोनी ने अपने आवेदन के साथ मेसर्स आर०के० एसोसिएट्स, मैट्रिक्स सर्विस और गुरुकृपा ग्रुप जैसी फर्मों द्वारा कर्मचारियों के वेतन से ईपीएफ, बोनस और ईएसआईसी की राशि में गोलमाल करने तथा फर्जी बिलों के जरिए करोड़ों की राशि निकालने के संबंध में कार्यपालन निदेशक (अ.क्षे.) अंबिकापुर की जांच रिपोर्ट दिनांक 24/2/2023 भी प्रस्तुत की। उन्होंने संबंधित अधिकारियों और फर्मों के डायरेक्टर/प्रोप्राइटर के विरुद्ध तत्काल प्रथम सूचना पत्र दर्ज करने का निवेदन किया था।
क्या है पूरा मामला:-
मेसर्स आर०के० एसोसिएट्स, मैट्रिक्स सर्विस एवं गुरुकृपा ग्रुप द्वारा बाह्य स्रोत से कार्यरत कर्मचारियों के वेतन से ई०पी०एफ०, बोनस एवं ई०एस०आई०सी० की कटौती प्रति माह की जाती थी। हालांकि, इन कटौतियों का लाभ कर्मचारियों को नहीं मिल रहा था, इस संबंध में शिकायतें प्राप्त हुई थीं। इन शिकायतों के परीक्षण और आवश्यक कार्यवाही हेतु जांच कराई गई। कार्यपालन निदेशक (अ.क्षे.) छ.स्टे.पा.डि.कं.लि. अंबिकापुर में उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर मेसर्स आर०के० एसोसिएट्स अंबिकापुर को चार कार्यादेश जारी किए गए थे। पहले, दूसरे और चौथे कार्यादेशों में प्रभारी अधिकारी (ओआईसी) के तौर पर कार्यपालन निदेशक के कार्यालय में पदस्थ कार्यपालन यंत्री एवं अन्य अधिकारी को नियुक्त किया गया था, जिनकी जिम्मेदारी शर्तों का पालन करवाने और देयकों को पारित करने की थी। तीसरे कार्यादेश क्रमांक CE/AR/PUR/ORD/1138 दिनांक 16/1/2021 में भी प्रभारी अधिकारी संबंधित कार्यपालन यंत्री अथवा उसके कार्यालय में पदस्थ अन्य अधिकारी को ही बनाया गया था।
इसी क्रम में, मेसर्स मेट्रिक सर्विस अंबिकापुर को कार्यपालन निदेशक के कार्यालय के आदेश क्रमांक CE/AR/PUR/ORD/1192 दिनांक 11/8/2020 द्वारा 150 नग बाह्य स्रोत कंप्यूटर ऑपरेटर नियोजित करने का आदेश दिया गया था। यह ध्यान देने योग्य है कि मेसर्स गुरुकृपा अंबिकापुर को कोई भी कार्यादेश सीधे तौर पर जारी नहीं किया गया था।
जांच रिपोर्ट में माह अगस्त 2020 से माह फरवरी 2022 तक के 14 भृत्यों के देयक और उनकी उपस्थिति पंजी की तुलनात्मक आकलन करने पर पाया गया कि ठेकेदार मेसर्स आरके एसोसिएट्स अंबिकापुर को ₹4,81,163 का अधिक भुगतान किया गया। भुगतान से संबंधित नियमावली में स्पष्ट है कि ठेकेदार के आर.ए. बिल पारित करने से पहले यह जांच अनिवार्य है कि ठेकेदार द्वारा ईपीएफ, ईएसआईसी का भुगतान किया गया है या नहीं और इसके चालान की प्रति संलग्न हो। साथ ही, कर्मचारियों को पे-रोल की प्रति जो कार्यालय प्रभारी द्वारा सत्यापित हो, वह भी संलग्न की जानी चाहिए। इसके बाद ही ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत आर. ए. बिल का सत्यापन और परितीकरण किया जाना है। नियमों के अनुसार, प्रत्येक कर्मचारी के निर्धारित बेसिक वेतन का 13.15% ईपीएफ और 3.5% ईएसआई (कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का भाग) कुल राशि को संकलित कर ठेकेदार को कर्मचारी के ईपीएफ एवं ईएसआईसी खाते में जमा करना अनिवार्य है। यह भुगतान संबंधी पूर्ण दस्तावेजों में प्रभारी अधिकारी द्वारा प्रमाणीकरण के बाद ही ठेकेदार का देयक पारित होना चाहिए।
इसके विपरीत, देयकों के साथ संलग्न ईपीएफ एवं ईएसआईसी चालान को बिना सत्यापित किए, यानी यह सुनिश्चित किए बगैर कि ठेकेदार द्वारा कर्मचारियों के खाते में ईपीएफ और ईएसआईसी की राशि जमा की जा रही है या नहीं, ठेकेदार का देयक सत्यापित एवं पारित कर दिया गया। पारित देयकों के अवलोकन से पता चला कि इन नियम एवं शर्तों को ध्यान में न रखते हुए ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत 14 नग भृत्यों हेतु प्रस्तुत देयक (माह जुलाई 2020 से फरवरी 2021 तक) में ईपीएफ का चालान फर्जी तरीके से परिवर्तित किया गया। उक्त अवधि के देयक के साथ संलग्न ईपीएफ के चालान को बगैर सत्यापित किए देयकों को पारित कर दिया गया। फलस्वरूप ठेकेदार मेसर्स आरके एसोसिएट अंबिकापुर को ₹1,54,452 का अधिक भुगतान किया गया। इस एक प्रकरण में ही ठेकेदार को लगभग ₹6,35,615 का अधिक भुगतान किया जाना पाया गया।
इसी तरह, माह अगस्त 2020 से फरवरी 2022 तक के 10 भृत्यों के मामले में, फर्म द्वारा देयक के साथ प्रस्तुत उपस्थिति पंजी के आधार पर देयक पारित किए गए, लेकिन संबंधित संभागों से प्राप्त मासिक उपस्थिति पंजी से मिलान करने पर भारी अंतर पाया गया। इस प्रकार, इस अवधि के 10 भृत्यों के देयक और उपस्थिति पंजी के तुलनात्मक आंकलन से ठेकेदार मेसर्स आर०के० एसोसिएट अंबिकापुर को ₹13,07,875 का अधिक भुगतान होना पाया गया। देयकों के साथ संलग्न ईपीएफ एवं ईएसआईसी के चालान को बिना सत्यापित किये, यानी यह सुनिश्चित किए बगैर कि कर्मचारियों के खाते में राशि जमा हुई है या नहीं, ठेकेदार का देयक सत्यापित एवं पारित किया गया। विशेष रूप से, 10 नग भृत्यों हेतु प्रस्तुत देयक (माह दिसंबर 2020, जनवरी 2021, फरवरी 2021, अप्रैल 2021, नवंबर 2021) में ईपीएफ का चालान फर्जी तरीके से परिवर्तित कर संलग्न किया गया था, जिसे बगैर सत्यापन के पारित कर दिया गया। फलस्वरूप, ठेकेदार मेसर्स आर०के० एसोसिएट्स अंबिकापुर को इस मद में ₹1,42,598 का अधिक भुगतान हुआ। इस प्रकार, 10 भृत्यों से संबंधित प्रकरण में ठेकेदार को लगभग ₹14,50,473 का अधिक भुगतान किया जाना पाया गया।
सबसे बड़ा घोटाला 150 कंप्यूटर ऑपरेटरों से संबंधित था। माह अगस्त 2020 से माह जुलाई 2022 तक के 150 कंप्यूटर ऑपरेटरों के देयक और उनकी उपस्थिति पंजी के अनुसार तुलनात्मक आंकलन करने पर पाया गया कि ठेकेदार मैट्रिक्स सर्विसेज अंबिकापुर को ₹1,32,52,783 का अत्यधिक भुगतान किया गया। पारित देयकों के अवलोकन में उक्त नियम एवं शर्तों की घोर अनदेखी पाई गई। ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत 150 नग कंप्यूटर ऑपरेटरों हेतु प्रस्तुत देयक (माह अगस्त 2020 से फरवरी 2021 तक) में ईपीएफ चालान फर्जी तरीके से परिवर्तित कर संलग्न किया गया था। इस अवधि के देयक के साथ संलग्न ईपीएफ के चालान को बगैर सत्यापित किए ही देयकों को पारित कर दिया गया। फलस्वरूप, ठेकेदार मैसर्स मैट्रिक्स सर्विसेज अंबिकपुर को इस मद में ₹29,48,036 का अधिक भुगतान हुआ। इस प्रकार, कंप्यूटर ऑपरेटरों के प्रकरण में कंपनी को लगभग ₹1,62,00,819 की भारी वित्तीय क्षति हुई।
कार्यपालन निदेशक की विस्तृत जांच रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि तीनों प्रकरणों में वास्तविक उपस्थिति पत्रक एवं ई पी एफ, ई एस आई सी के दस्तावेजों के बगैर सत्यापन के देयक पारित करने से फर्मों को कुल मिलाकर लगभग ₹1,82,86,907 का अधिक भुगतान होना दृष्टिगत होता है। रिपोर्ट में इस फर्जी भुगतान को संबंधित अधिकारी एवं ठेकेदार की सुनियोजित मिलीभगत और साजिश बताया गया, जिसके तहत कूटरचित दस्तावेजों को प्रस्तुत कर शासकीय राशि का सुनियोजित तरीके से गबन किया गया। इस जांच प्रतिवेदन की सत्यता मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने भी मानी। न्यायालय ने पाया कि प्रथम दृष्टया यह दर्शित हो रहा है कि कर्मचारियों की वास्तविक उपस्थिति और उनके ईपीएफ-ईएसआईसी खातों में पैसे जमा होने के दस्तावेजों की जांच किए बिना ही स्वीकृत राशि से काफी ज्यादा रकम का भुगतान ठेकेदारों को किया गया। इस आधार पर कोर्ट ने अधिवक्ता डी.के. सोनी द्वारा दायर धारा 156(3) CrPC के तहत प्रार्थना आवेदन स्वीकार कर लिया।
न्यायालय ने अंबिकापुर कोतवाली थाने को तुरंत मामला दर्ज कर नियमानुसार विवेचना शुरू करने और दो सप्ताह के भीतर प्रथम सूचना पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया। कोर्ट के इसी सख्त आदेश के पालन में, अंबिकापुर पुलिस ने आखिरकार दिनांक 27 अप्रैल 2025 को चीफ इंजीनियर डी.एस. भगत, सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर राजेश लकड़ा, और ठेकेदार प्रभोजत सिंह भल्ला के खिलाफ अपराध क्रमांक 282/2025 के तहत भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 419, 420, 468, और 471 के तहत गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
