नान घोटाला: जांच फिक्सिंग का भयानक सच ,आरोपी ही थे जांच के सूत्रधार

सीबीआई ने पूर्व एसपी को किया तलब

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नान घोटाले की जांच में एक भयानक और अप्रत्याशित खुलासा हुआ है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की पड़ताल में सामने आया है कि इस सनसनीखेज घोटाले के कथित आरोपी ही जांच एजेंसियों को अपनी इच्छानुसार चला रहे थे, और उन्हीं के इशारों पर महत्वपूर्ण दस्तावेज़ तैयार किए जाते थे। मामले की अत्यधिक गंभीरता को देखते हुए CBI ने अब तत्कालीन EOW और ACB के पूर्व एसपी व आईपीएस अधिकारी इंदिरा कल्याण एलेसेला को गहन पूछताछ के लिए तलब किया है। यह घटनाक्रम उस समय का है जब इंदिरा कल्याण दोनों एजेंसियों के एसपी थे और एसआरपी कल्लूरी IG के पद पर कार्यरत थे।

क्या है नान घोटाला?

 

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मामला वर्ष 2015 का है, जब EOW ने छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के 25 ठिकानों पर छापा मारा था। कार्रवाई के दौरान 4 करोड़ रुपए नगद, खराब गुणवत्ता का चावल और नमक बरामद हुआ था। इसके बाद करोड़ों के घोटाले का मामला दर्ज हुआ, जिसे अब 'नान घोटाले' के नाम से जाना जाता है।

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कागजों की सफाई आरोपी करते थे!

CBI के अनुसार, जांच के दस्तावेजों को अदालत में वही अधिकारी पेश कर रहे थे, जिन पर घोटाले में संलिप्त होने के आरोप हैं—IAS आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा। ये दोनों जांच रिपोर्टों को अपनी स्वीकृति दे रहे थे।

 

CBI का की टेढ़ी नजर 

हाल ही में CBI ने आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा के घरों पर छापा मारा। अनिल टुटेजा इस समय 2000 करोड़ के शराब घोटाले में आरोपी हैं और जेल में हैं।

सरकार बदली, रुख बदला

2023 में भाजपा की सत्ता में वापसी के बाद इस मामले ने फिर से रफ्तार पकड़ी। EOW की जिम्मेदारी अब IG अमरेंद्र मिश्रा के पास है। जांच में आरोपियों को जमानत का लाभ दिलाने की साजिश भी सामने आई है, जिसे लेकर सरकार ने यह केस CBI को सौंपा।

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