पहलगाम हमले का करारा जवाब: मोदी सरकार का 'सख्त प्रहार', दुनिया बंटी आतंकवाद विरोधी और समर्थक खेमों में

 

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस कायराना वारदात में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिसके बाद भारत ने आतंकवाद के पोषक पाकिस्तान के खिलाफ अब तक के सबसे कड़े कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना विदेश दौरा बीच में ही छोड़कर स्वदेश लौटे और उन्होंने तुरंत सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCS) की उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई। इस बैठक में लिए गए फैसलों से स्पष्ट संकेत मिले हैं कि भारत अब आतंकवाद के मुद्दे पर आर-पार की लड़ाई के मूड में है।

सीसीएस बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ कई बड़े और ऐतिहासिक निर्णय लिए गए। इन फैसलों के तहत, भारत ने पाकिस्तान के साथ दशकों पुराने सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का ऐलान किया है। इसके साथ ही, पाकिस्तान से सटी महत्वपूर्ण अटारी सीमा को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने का आदेश दिया गया है। भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए जारी किए गए सभी प्रकार के वीजा भी रद्द कर दिए हैं।

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इसके अलावा, दोनों देशों के संबंधों में एक और महत्वपूर्ण बदलाव लाते हुए, इस्लामाबाद और नई दिल्ली स्थित भारतीय और पाकिस्तानी उच्चायोगों से सभी सैन्य सलाहकारों और सपोर्ट स्टाफ को वापस बुलाने का निर्णय लिया गया है। भारत के ये सभी कड़े फैसले 1 मई से प्रभावी होंगे।

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पहलगाम हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी निंदा हुई है। अमेरिका, इसराइल, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ जैसे प्रमुख देशों और संगठनों ने इस मुश्किल घड़ी में भारत के साथ मज़बूती से खड़े होने का ऐलान किया है।

भारत द्वारा उठाए गए इन सख्त कदमों और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब दुनिया एक निर्णायक मोड़ पर आ खड़ी हुई है। अब विभाजन रेखा धर्म या राष्ट्र के आधार पर नहीं, बल्कि 'मानवता बनाम दानवता' के सिद्धांत पर खींची जा रही है। एक खेमा स्पष्ट रूप से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है, जबकि दूसरा अभी भी परोक्ष या अपरोक्ष रूप से इसे समर्थन दे रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के इन साहसिक फैसलों से यह संदेश गया है कि भारत अब इस वैश्विक खतरे से निपटने के लिए किसी भी समझौते के मूड में नहीं है। आने वाला समय आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में बेहद महत्वपूर्ण और निर्णायक साबित हो सकता है, जहां देशों को चुनना होगा कि वे मानवता के साथ हैं या आतंक के।

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