छत्तीसगढ़ में कानून व्यवस्था हुआ पुरी तरह से ध्वस्त……..बेसबाल खेलना और गाडी में रखना हुआ गंभीर अपराध…….यह कहना है बिलासपुर सिटी मजिस्ट्रेट का
बिलासपुर : हम आपको बता दें यह पुरा मामला सिविल लाइंस बिलासपुर से संबंधित है,इस थाने में जो न वो कम है, एक तरफ जिसके पास से कट्टा, चाकू, मिर्ची पाउडर मिलता है उसके ऊपर साधारण धारा लगाकर थाने से मुचलके पर छोड़ दिया जाता है । वही गंभीर अपराध 302 का आरोपी खुल्ले आम आज घुम रहा है उसकी आज तक गिरफ्तारी नही हुई है। पुलिस रिकार्ड में वह आरोपी फरार बताया जा रहा है जबकि वह शहर में खुले आम घुम रहा है। दूसरी तरफ वहीं रात को पुलिस अधीक्षक के आदेश पर संघन चेकिंग अभियान चलाया जाता है ।
और एक व्यक्ति के पास से चेकिंग के दौरान खेलने का बेसबाल मिलता है उसको धारा 151शांति भंग के तहत गिरफ्तार कर लिया जाता है। और उसका बकायदा सिविल लाइंस से लेकर सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय तक पैदल हथखडी लगाकर जुलूस भी निकाला जाता है।
क्या यह मानव अधिकार का उलंघन नहीं है। दूसरी तरफ देखिए जब उसे सिटी मजिस्ट्रेट के यहां पेश किया जाता है,तब उक्त व्यक्ति रितेश निखारे उर्फ मैडी का वकील सिटी मजिस्ट्रेट के समक्ष जमानत आवेदन पेश करते तब सिटी मजिस्ट्रेट महोदय क्या कहते हुए जमानत आवेदन को खारिज करते है की बेसबाल रखना या गाडी पर रखकर चलना गंभीर अपराध है। इसलिए जमानत आवेदन खारिज किया जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि शासन को तत्काल बेसबाल खेलने पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए और जो भी खेलते हुए पाया जायेगा उसके खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्यवाही किया जायेगा यह आदेश जारी कर देना चाहिए। इस तरह से चल रहा है छत्तीसगढ़ की कानून और पुलिस व्यवस्था अपराधी खुल्ले आम घुमता है, और जिसके पास से हथियार बरामद होता है उसके ऊपर मामूली धारा लगाकर थाने से मुचलका में छोड दिया जाता है और गाड़ी में बेसबाल मिलने पर उसे 151,मे जेल भेज दिया जाता है।