रायपुर| सरकारी खजाने को भरने में अपनी अहम् भूमिका निभाने वाले आबकारी विभाग में इन दिनों ग्रहण के बादल छाए हुए हैं| एक के बाद एक अनिमितताओं के पोल खुलते जा रहे हैं| प्रतिदिन लाखों रूपये की बिक्री करने वाले शराब दुकान में आज स्वयं ही लाखों रूपये के घटती में हैं| हर महीने कंपनी व सीए द्वारा सारे शराब दुकानों का ऑडिट भी कराया जाता है| बावजूद इसके विभागीय अधिकारी आजतक घटती करने वाले व्यक्ति की तलाश नहीं कर सकते|
ट्रांसपोर्टनगर देसी शराब दुकान दुकान हैं कर्ज तले…
लाखों की कमाई करने वाला शराब दुकान आज खुद ही भीख मांगने की स्थिति में आ गया है| दुकन के कर्मचारी, एरिया मैनजर, व विभागीय अधिकारी मिलकर दीमक की तरह दुकान को खोखला करते जा रहे हैं| कई बार सेल घटने की वजह से विभागीय अधिकारीयों द्वारा दुकान के सुपरवाइजर व् अन्य कर्मचारियों को सेल बढ़ाने का टारगेट भी दिया जाता है| जिससे सरकारी खजाने में अधिक से अधिक इजाफा हो सके| बहरहाल वर्तमान की स्थिती ऐसी है कि सरकारी खजाने को भरने में अपनी अहम् भूमिका निभाने वाले शराब दुकान खुद ही घटती का मार झेल रहे हैं| विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ट्रांसपोर्टनगर (व्यास तलब) स्थित देसी शराब दुकान जो की आबकारी अधिकारी रविशंकर पैकरा के अधिनस्थ आता है| BIS के एरिया मैनजर अमित शर्मा उर्फ़ अमित मुतगल विभागीय अधिकारीयों व दुकान के सुपरवाइजर दिलीप यादव के साथ मिलकर धीरे धीर दुकान को खोखला करते जा रहा है| जिसका परिणाम आज यह निकला की वर्तमान की स्थिती में ट्रांसपोर्टनगर (व्यास तलब) स्थित देसी शराब दुकान 10 लाख 65 हज़ार की घटती की मार झेल रहा है|
आबकारी नियमों की बात की जाए तो आबकारी नियमों के अनुसार प्रतिदिन शराब दुकान में जितने का भी शराब बिका हो उसका पूरा कलेक्शन उसके दुसरे दिन ही बैंक में जमा करना होता है| आबकारी विभाग द्वारा कैश के कलेक्शन की जिम्मेदारी भी एक कंपनी को सौंपी जाती है| जो हर दुकान में जाकर प्रत्येक दुकानों के शराब बिक्री के कैश का उठाव कर सरकारी खजाने में जमा करता है| अब एक बड़ा सवाल यह उठता है कि प्रतिदिन के कैश का उठाव होने के बावजूद आज सरकारी खजाने को भरने वाले शराब दुकान खुद ही खली कैसे होते जा रहे हैं?