
समरथ को नहीं दोष गुसाई…. क्या रामा मैग्नेटो मॉल बिलासपुर के खिलाफ जांच में कांग्रेस की पिछली भूपेश सरकार के बाद मौजूदा साय सरकार बन रही रोड़ा ?
ई ओ डब्ल्यू में पिछले 7 साल से दबी पड़ी है फाइल,नौकरशाहों और प्रभावशाली राजनेताओं को गिफ्ट में मिले करोड़ों के बंगले बने जांच में बाधा
बिलासपुर : अविनाश बिल्डर्स, सिंघानिया बिल्डकॉन तथा रामा ग्रुप जैसे कई नाम है, जिन्होंने अपने कारोबार को ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए न केवल करोड़ों की सरकारी जमीन पर कब्जा किया बल्कि उन पर आवासीय कॉलोनी तथा शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाकर रातों-रात अरबपति बन गए । बिलासपुर स्थित रामा मैग्नेटो मॉल के मालिकों ने तमाम कायदे कानून को दरकिनार करते हुए पौने दो एकड़ शासकीय तालाब को पाटकर आलीशान मॉल खड़ा कर लिया । भाजपा के पूर्व मंत्री ने मॉल के निर्माण का पूरा खर्च उठाया था । इसी मॉल के निर्माण के लिए खरीदी गई जमीन में से लगभग पौने दो एकड़ जमीन, पानी के नीचे की शासकीय जमीन के रूप में दर्ज है । कांग्रेस की पिछली सरकार के चंद चंदा खोर मंत्रियों को करोड़ों के बंगले उपहार में देने वाले रामा ग्रुप के डायरेक्टर को सरकारी जमीन पर कब्जा करने के अपराध से बचाने के लिए अब मौजूदा सरकार ने भी कमर कस ली है । अन्यथा गवाहों के बयानात तथा मौजूद साक्ष्यों की बुनियाद पर बिलासपुर के आरटीआई एक्टिविस्ट तथा सामाजिक कार्यकर्ता अनुभव तिवारी द्वारा दिनांक 24/05/ 2017 को राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में दर्ज शिकायत की फाइल अब तक धूल खाती पड़ी नहीं होती । बिलासपुर स्थित रामा मैग्नेटो मॉल के निर्माण में जिन शासकीय प्रावधानों का खुलकर उल्लंघन किया गया तथा जिस प्रकार भूपेश सरकार द्वारा मॉल की जांच में अड़ंगा डाला गया, उससे साफ जाहिर होता है कि प्रदेश में राज कोई भी करे, आर्थिक घोटाले तथा भ्रष्टाचार में हिस्सा सबको चाहिए । जहां तक अरबों की लागत से बनाए गए रामा मैग्नेटो मॉल का सवाल है,जिला प्रशासन के अधीनस्थ तमाम महकमे के आला अधिकारी लाखों में बिकते रहे । अनुभव तिवारी द्वारा उठाए गए तमाम मुद्दे शासकीय रिकॉर्ड तथा अभिलेखों पर आधारित हैं ।
मूल दस्तावेजों में छेड़छाड़ करने के साथ साथ फर्जी दस्तावेजों को भी मूल दस्तावेजों के साथ जोड़कर पेश किया गया । राष्ट्रीय जगत विजन के पास उपलब्ध दस्तावेजों के अवलोकन के उपरांत मॉल के निर्माण में हुए फर्जीवाडे की पूरी कहानी खुलकर सामने आ गई है,जिसे राष्ट्रीय जगत विजन के प्रबुद्ध पाठकों तथा आम जनता के दिलों पर राज करने वाले बिलासपुर जिला प्रशासन के लोकप्रिय हुक्मरान की जानकारी के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है । संयुक्त संचालक नगर एवं ग्राम निवेश बिलासपुर द्वारा अविनाश रामा कृष्णा डेवलपर्स एवं अन्य साझेदारों/ संचालकों को मल्टीप्लेक्स प्रयोजन के लिए विकास अनुज्ञा दिनांक 10/02/ 2008 को जारी की गई थी । जिसमें अनुज्ञा पत्र के बिंदु क्रमांक 25 के तहत यह विकास अनुज्ञा दिनांक 09/03/ 2011 तक मान्य एवं प्रभावशील थी तथा वर्षानुवर्ष विधि मान्य होना था । जबकि अनुज्ञा महज 5 वर्षों के लिए मान्य थी । मॉल के भूमि स्वामियों/संचालकों/साझेदारों द्वारा अनुमति विस्तार विधि मान्य स्वरूप में नहीं की गई तथा अवधि के समाप्त हो जाने के बावजूद मॉल के तीसरे तथा चौथे माले का निर्माण कार्य जारी रखा गया, जिससे शासन को लाखों की आर्थिक क्षति हुई । विकास अनुज्ञा के लिए भूमि स्वामी अविनाश रामा कृष्णा डेवलपर्स तथा अन्य भागीदारों द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों के किश्तबंदी खतौनी आसामीवार 22 बिंदु प्रस्तुत किए गए,जिसमें ग्राम जूना बिलासपुर प.ह.नं. 22, खसरा नं.734/1,734/3, 734/4, 734/5,734/6, 734/7,734/8,734/10,734/ 12,734/11 किश्तबंदी खतौनी के बिंदु क्रमांक 11 के अनुसार भूमि वाजिब अल अर्ज एवं सुसंगत राजस्व अभिलेखों में दर्ज है एवं प्रयोजन डबरी तालाब बताया गया है । जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार तालाबों को संरक्षित किया जाना न केवल अनिवार्य है बल्कि यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का साफ-साफ उल्लंघन भी था ।
रामा मैग्नेटो मॉल का निर्माण जिन खसरा नंबरों पर किया गया, उसके पश्चिम में ग्राम ताला पारा की सरहद जुड़ी हुई है,जिस पर तालापारा का तालाब बना हुआ है,जो कि वर्तमान में नगर निगम के स्वामित्व में है । इसी तालाब की लगभग पौने दो एकड़ जमीन पर मॉल मालिकों द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर निर्माण किया गया है । सीमांकन रिपोर्ट में दिखाई गई चौहद्दी के अनुसार स्थल के दक्षिण की ओर की लंबाई 158 फिट है, जबकि स्वीकृत विकास अनुज्ञा के ज्ञापन क्रमांक 1062 दिनांक 10/03/ 2008 में लंबाई को लगभग 23 फीट बढ़ाकर 181 फीट कर ली गई और इस प्रकार नगर निगम के स्वामित्व वाली ग्राम तालापारा स्थित तालाब पर 23 फीट अतिरिक्त अतिक्रमण कर लिया गया । रामा मैग्नेटो मॉल की ऊंचाई दिखाए गए मानचित्र के अनुसार 21.5 मीटर है, जो कि छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम 1984 के नियम 2, उप नियम 28 (क ) पेज नं.14 में उल्लेखित परिभाषा के अनुसार ऊंचे भवनों की श्रेणी में आता है तथा इसके लिए तत्कालीन संयुक्त संचालक और तथाकथित महा घूसखोर जे सी निदारिया द्वारा अपने क्षेत्राधिकार एवं अधिकार से बाहर जाकर मॉल को विकास अनुज्ञा जारी की गई । दिनांक 14/10/2007 के न्यायालयीन आदेश के अनुसार ग्राम जूना बिलासपुर प.ह.न. 22 खसरा नं. 734/1,734/3, 734/4,734/5,734/6,734/7 734/8,734/10,734/12 तथा 742 के पंचनामा एवं सीमांकन रिपोर्ट के अनुसार तालाब की लंबाई 150 फीट दिखाई गई है, जबकि स्वीकृत विकास अनुज्ञा में 176 फीट दर्ज की गई । स्वीकृत विकास अनुज्ञा के अनुसार बेसमेंट पार्किंग की ऊंचाई 2.8 मीटर दिखाई गई जबकि वर्तमान में पार्किंग की ऊंचाई 2.8 मीटर से अधिक है, जो कि अवैध निर्माण की श्रेणी में आता है तथा नगर एवं ग्राम निवेश की विकास अनुज्ञा के बिंदु क्रमांक 29 का साफ-साफ उल्लंघन है । साथ ही विकास अनुज्ञा के बिंदु क्रमांक 30 के अनुसार स्वमेव निरस्त योग्य है । दरअसल वर्षों से निठल्ले बैठे रहे भूपेश सरकार के मंत्री तथा प्रमोटी नौकरशाह सत्ता पर काबिज होते ही हलाल के लिए नया बकरा ढूंढने में जुटे हुए थे । बताया जाता है कि साल 2018 तक की भाजपा तथा 2019 से 2023 की भूपेश सरकार के कई मंत्रियों तथा नौकरशाहों को करोड़ों के बंगले गिफ्ट किए गए । इस बात में कोई दो राय नही हो सकती है कि बिलासपुर को उसका वाजिब हक कभी नहीं मिल पाया । साल 2000 में राज्य स्थापना के बाद बिलासपुर जिले की कमान संभालने वाले ज्यादातर हुक्मरान सत्ताधीशों के खास प्रयोजन के तहत भेजे जाते रहे । एक लंबी और उबाऊ प्रतीक्षा के बाद जिले को एक ऐसा हुक्मरान मिला है,जिसके माथे पर कई चुनौतियों के बाद कामयाबी का सेहरा बंधा । पिछले कुछ महीनों के दौरान उनके द्वारा अवैध निर्माण, कोटवारी भूमि, तालाबों के संरक्षण तथा जन हित में लिए गए फैसलों ने बदहाल जिले की दशा व दिशा बदल दी है । और अब जबकि पूरे जिले में कानून व्यवस्था चुस्त दुरुस्त और आम जनता खुशहाल है ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि तमाम कायदे कानून को ताक पर रख कर बनाए गए तथा आम जनता की आंखों में बरसों से खटक रहे रामा मैग्नेटो मॉल के अवैध निर्माण के खिलाफ क्या रुख अख्तियार करते हैं ?
