छत्तीसगढ़ में टमाटर किसानों को खून आंसू रुला रहा है। किसानों को मुनाफा होना तो दूर की यहां तो फसल की लागत तक नहीं निकल पा रही है। नतीजा, किसानों ने फसल को नष्ट होने के लिए खेतों में छोड़ दिया है। सबसे ज्यादा किसानों को परेशानी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के गृहग्राम जिले जशपुर में हो रही हैं। यहां के किसान एक रुपए किलो के हिसाब से टमाटर को बेच रहे हैं| यह हाल तब है जब सीएम खुद राज्य में बड़े-बड़े निवेश के दावे कर रहे हैं।छत्तीसगढ़ में टमाटर किसानों के आंसू निकाल रहा है। किसानों को मुनाफा होना तो दूर की बात फसल की लागत तक नहीं निकल पा रही है। नतीजा, किसानों ने फसल को नष्ट होने के लिए खेतों में छोड़ दिया है। सबसे ज्यादा परेशान जशपुर जिले के किसान हैं। यहां एक रुपए किलो टमाटर का भाव लगाया जा रहा है। खास बात यह है कि जशपुर जिले से ही राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आते हैं। यह हाल तब है , जब सीएम खुद राज्य में बड़े-बड़े निवेश के दावे कर रहे हैं।
बिहार से आ रहे टमाटर खरीदने
टमाटर की बड़ी मंडी लुड़ेग और बागबहार की मंडी में गांव से टमाटर आने बंद हो गए हैं। किसान इसकी तुड़ाई नहीं कर रहे हैं। इस बीच बिहार से इन दिनों ट्रकें पहुंचनी शुरू हो गई है। स्थानीय व्यापारी किसानों की बाड़ी तक पहुंच रहे हैं। उनसे टमाटर तुड़वाकर पिकअप में भर रहे हैं। किसानों को प्रति भार 40 रुपए की कीमत दी जा रही है।
इसके बाद यह पिकअप नेशनल हाइवे के किसान खड़े बिहार के ट्रकों में टमाटर भर रहे हैं। बिहार की कैचप कंपनी इतने कम दाम में टमाटर ले जा रही हैं। इससे किसानों को सिर्फ इतना फायदा हो रहा है कि उनके टमाटर सड़कर बर्बाद नहीं हो रहे हैं। इधर बागबहार इलाके में अधिकांश किसानों ने अपनी फसल को 40 रुपए भार देने से भी मना कर दिया है। उनका कहना है कि टमाटर खेत में ही सड़ जाएं, वही उन्हें मंजूर हैं।
जशपुर टमाटर की राजधानी
जशपुर जिले में टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इसे टमाटर की राजधानी भी कहा जाता है। यहां एक लाख एकड़ से ज्यादा जमीन में टमाटर की खेती होती है। करीब 11 हजार किसान टमाटर की खेती से जुड़े हैं। जशपुर, मनोर, बगीचा, दुलदुला, कुन्कुरी, पत्थलगांव, और फरसाबहार में टमाटर की खेती होती है।
15 साल से बंद है प्रोसेसिंग यूनिट
पत्थलगांव ब्लॉक के लुड़ेग में करीब 15 साल पहले प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की गई थी। उस वक्त किसान जिस वैरायटी के टमाटर लगाते थे, वे खट्टे थे। इसलिए यहां स्थित प्रोसेसिंग यूनिट से टोमेटो सॉस नहीं बन पाया। इसके बाद उद्यान विभाग ने किसानों को टमाटर की वैरायटी बदलने को कहा था। किसान लोकल बाजार में मांग के आधार पर टमाटर का उत्पादन करते रहे और वैरायटी नहीं बदली। नतीजा प्रोसेसिंग यूनिट में ताला बंद करना पड़ा।
कोल्ड स्टोरेज तक नहीं दे पाई सरकार
पत्थलगांव, बागबहार, लुड़ेग सहित हर इलाके के किसान साहो वैरायटी के टमाटर लगा रहे हैं। यह मोटे छिलके वाले गुदादार टमाटर तो हैं पर इसमें खट्टापन भी है। इसलिए लोकल बाजार में रसोई के उपयोग के लिए इस टामाटर को पसंद किया जा रहा है। वर्तमान में यदि कोल्ड स्टोरेज रहता तो किसानों को इस नुकसान से बचाया जा सकता था।
एक साल में कोई भी कंपनी नहीं आई निवेश करने
सीएम विष्णुदेव साय ने बजट में रोजगार के बड़े बड़े दावे किए हैं। रोजगार के इन दावों के पीछे का आधार छत्तीसगढ़ में निवेश की उम्मीद है। इस निवेश के लिए सीएम ने एक साल में दिल्ली और मुंबई में इन्वेस्टर्स के साथ मीटिंग की कहा कि सिंगल विंडो पर अनुमति के सारे काम हो जाएंगे। निवेशकों को न्यौता देने की इन यात्राओं में सीएम ने ढाई करोड़ से ज्यादा का खर्च किया। 31 कंपनियों ने सीएम का न्यौता मंजूर भी कर लिया, लेकिन एक साल में एक भी कंपनी ने एक पैसे का इन्वेस्टमेंट नहीं किया। न्यौते पर सीएम को 47 हजार करोड़ के सिर्फ वादे पकड़ा दिए गए। वादों पर तेरे मारा गया, की तर्ज पर सीएम ने 22 हजार रोजगार का प्लान भी कर लिया लेकिन ये वादे जमीन पर नहीं उतर पाए हैं।
