छत्तीसगढ़ में हुए अरबों के शराब घोटाले का पर्दे के पीछे का असली चेहरा आखिर कौन है?
जिसने मंत्री से लेकर पूरे आबकारी महकमे को सलाखों के पीछे भेजने का काम कर दिया है। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 120 B, आपराधिक षड्यंत्र 420, बेईमानी 467, जाली दस्तावेज बनाना 471, धोखाधडी के तहत ईडी ने छत्तीसगढ़ के अरबों के शराब घोटाले के लिए 71 लोगो को जिम्मेदार माना है और ईओडबल्यू विभाग में अपराध दर्ज करा दिया है। यदि आरोपियों के विरुद्ध साक्ष्य के आधार पर आरोप प्रमाणित हो जाता है तो न्यूनतम 10 साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।
इन 71लोगो में कांग्रेस सरकार के आबकारी मंत्री कवासी लखमा, एक भूतपूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड, दो आइएएस अनिल टुटेजा, निरंजनदास(पूर्व आयुक्त आबकारी) एक आईईइस अमरपति त्रिपाठी का नाम है।इनके अलावा आबकारी विभाग के एक अतिरिक्त आयुक्त आशीष श्रीवास्तव, 3 उपायुक्त अभिषेक नेताम, विजय सेन शर्मा, नीतू नोतानी, का नाम भी इस मामले में है। 9 सहायक आयुक्त अरविंद पटले, प्रमोद नेताम, रामकृष्ण मिश्र, सौरभ बक्शी, दिनकर वासनिक, रवीश तिवारी, नवीन प्रताप तोमर, श्रीमती सोनल नेताम, मंजू श्री कसेर,का नाम दर्ज है। 5 जिला आबकारी अधिकारी इकबाल खान, मोहित जायसवाल, गरीबपाल दर्दी, नोहर सिंग ठाकुर, और अशोक कुमार सिंह भी शुमार है।
2 सहायक आबकारी अधिकारी नितिन खनूजा और जनार्दन कौरव, के सहित अन्य आबकारी अधिकारीगण की शिनाख्ती का जिम्मा ईओडबल्यू को ईडी के अधिकारी ने एफआईआर दर्ज करा कर दे दिया है। इन सभी पर अपने पद के दुरुपयोग कर शराब के डिस्टलरी से निकल कर बिक्री तक की प्रक्रिया में अवैध रूप से नकली होलोग्राम के जरिए शराब बिकवा कर समांतर पैसे उगाहने, कमाने और रिश्वत के रूप में ऊपर पहुंचाने का आरोप है। आर्थिक अपराध अनुसंधान विभाग प्रमुख रूप से सरकारी पद का दुरुपयोग कर अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने वालो के खिलाफ जांच करना है।
ईडी के अधिकारी ने आबकारी विभाग के मंत्री, आयुक्त, उपयुक्त, सहायक आयुक्त,जिला आबकारी अधिकारी सहित सहायक आबकारी अधिकारी सहित अन्य आबकारी अधिकारीगण को शराब के अवैध व्यापार कर शासन को नुकसान पहुंचा कर नियम विपरीत धन अर्जन का आरोप को प्रमाणित करने के लिए दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किए है।
आखिर कौन वो व्यक्ति था जिसके झांसे में राज्य का पूरा आबकारी महकमा आ गया ? ये बात हर किसी के जेहन में है।
दो दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने बयान में शराब की बिक्री के माध्यम से राजस्व को अपने पहले के मुख्य मंत्री के कार्यकाल से दुगुना तिगुना होने की बात कहे थे। कहा जाता है कि गलती को छुपाने के लिए कहानी कहना जरुरी होता है। प्रदेश में एक नंबर के शराब बिक्री के साथ समांतर शराब बिक्री के लिए रायपुर के एक परिवार के कंपनी सहित सदस्यो ने ये बीड़ा उठाया था कि शराब की अवैध कमाई के लिए कौन कौन जिम्मेदारी लेंगे। इसके लिए विभाग में एक प्रमोटी आईएएस निरंजन दास को नियुक्त किया गया। उस गैंग में आईईएस अधिकारी अमरपति त्रिपाठी जो भारतीय संचार सेवा लिमिटेड से प्रतिनियुक्ति में आए थे,उन्हे शामिल किया गया। ये शख्स हर जगह जाकर जुगाड़ बनाता गया। दिल्ली की होलोग्राम कंपनी से नकली होलोग्राम बनाने का मास्टर माइंड यही व्यक्ति था। आबकारी विभाग के अधिकारियों को संगठित रिश्वत लेने की जिम्मेदारी भी अमरपति त्रिपाठी की थी। डिस्टलरी के लिए सीधे पैसे पहुंचाने के लिए आदमी,होटल और तरीका एक परिवार के आदमी ने लिया जो 15प्रतिशत राशि लेकर बाकी 85प्रतिशत राशि एक प्रमोटी आईएएस अधिकारी को देने का काम करता था। इनके पास से डिजिटल प्रमाण मिले है जिसमे वो सभी नाम है जिनका उल्लेख एफआईआर में है।
जब ईडी आबकारी विभाग के अधिकारियों को जानकारी के लिए सम्मन जारी कर रही थी तब सर्किट हाउस रायपुर में एक बैठक के आड़ में निरंजन दास और अमरपति त्रिपाठी ने रिश्वत लेने देने वाले अधिकारियो का प्रतिनिधि मंडल बनाकर पूर्व मुख्यमंत्री से मिले थे। आश्वासन क्या मिला था? ज्यादा से ज्यादा क्या होगा जेल जाओगे, ऐश करना वहां,अपना राज है,कुछ दिन आराम करना, छूटोगे तो मलाईदार जिले में पोस्टिंग हो जाएगी।
सरकारी कर्मचारी भी भरोसे में थे कि सरकार तो आ ही रही है। बात में दम है। सारे पांसे उल्टे पड़ गए।सरकार ही उड़ गई और सिर्फ एक माह में ही आबकारी विभाग के अधिकारियों के परिवार वालो की नींद हराम हो गई है। घर के बाहर काना फूसी हो रही है। घर के लोग परेशान है कि आगे क्या होगा? दूसरी तरफ वो लोग बयानबाजी कर रहे है जिन्होंने 85प्रतिशत अवैध कमाई को सुनियोजित तरीके से विनियोग कर चुके है। 5साल में 50साल की कमाई करने वालो ने 25घर के चूल्हे को बुझाने का काम कर लिए है।अब व्यक्तिगत रूप से वकील खोजो,जमानतदार खोजो,जेल जाने पर सुविधा खोजो, साप्ताहिक रूप से मिलने के लिए जेल के बाहर खड़े रहे रहो। ये शराब घोटाले की दूसरी वास्तविकता है।