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गर्भपात कोई बड़ी बात नहीं! : स्वास्थ्य मंत्री का शर्मनाक बयान, मामले में हाईकोर्ट ने लिया है संज्ञान

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल का गैरजिम्मेदाराना बयान प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर करारा तमाचा है। सिम्स अस्पताल में गलत इंजेक्शन लगने से एक गर्भवती महिला का पांच महीने का गर्भपात हो गया, लेकिन मंत्री महोदय को यह छोटी बात लग रही है। पत्रकारों के सवाल पर तिलमिलाए मंत्री ने गर्भपात को मामूली घटना बताते हुए कह दिया कि इतने बड़े प्रदेश में ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने सिम्स के डीन को पीठ थपथपाते हुए कहा कि 'दलाल मीडिया' से डरने की जरूरत नहीं है।
गलत इंजेक्शन से पांच माह के गर्भ की मौत, पर मंत्री को परवाह नहीं
करगीकला निवासी एक गर्भवती महिला को पेट दर्द की शिकायत पर 13 मार्च को सिम्स में भर्ती किया गया था। इलाज के दौरान लापरवाही की हद पार करते हुए डॉक्टरों ने उसे गलत इंजेक्शन लगा दिया, जिससे उसका पांच महीने का गर्भ गिर गया। यह इंजेक्शन किसी और महिला को दिया जाना था, लेकिन लापरवाही के कारण एक मासूम की कोख में ही हत्या हो गई। इस घटना पर महिला के परिजनों ने हंगामा किया और न्याय की गुहार लगाई। मामला हाईकोर्ट पहुंचा, जहां मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने इसे गंभीरता से लेते हुए राज्य के स्वास्थ्य सचिव से जवाब मांगा और शपथ पत्र के साथ पेश होने का निर्देश दिया।
मंत्री के लिए छोटी, पर हाईकोर्ट के लिए बड़ी घटना!
स्वास्थ्य मंत्री ने जब इस घटना पर असंवेदनशील टिप्पणी की तो पत्रकारों ने उन्हें घेरने की कोशिश की। लेकिन मंत्री महोदय ने जवाब देने के बजाय पत्रकारों को छोड़ डॉक्टरों के बीच जाकर भ्रष्टाचार को ढाल दे दी। उन्होंने सिम्स के डीन से कहा, "आप लोग अच्छा काम कर रहे हैं, घबराने की जरूरत नहीं है, मीडिया से डरने की जरूरत नहीं है।" यह वही मंत्री हैं, जो खुद को 'जनता का सेवक' बताते हैं, लेकिन जनता के दर्द पर मरहम लगाने के बजाय लापरवाह अधिकारियों को बचाने में लगे हैं।
जनता पूछे – जब घटना छोटी थी, तो हाईकोर्ट ने संज्ञान क्यों लिया?
अगर यह मामला इतना छोटा था, तो हाईकोर्ट ने इसे गंभीर क्यों माना? राज्य के स्वास्थ्य सचिव को तलब क्यों किया? सवाल कई हैं, लेकिन जवाब देने वाला कोई नहीं। स्वास्थ्य मंत्री का यह बयान प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को उजागर करता है।
मंत्री के क्लीन चिट से सवालों के घेरे में सिम्स प्रबंधन
सिम्स में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर पहले भी कई आरोप लग चुके हैं। पांच साल पहले जिन लोगों को अस्पताल की दुर्दशा के कारण हटाया गया था, वही लोग मंत्री की कृपा से फिर से अस्पताल के कर्ताधर्ता बन गए हैं। सवाल उठता है कि मंत्री का यह बयान कहीं इन्हीं लोगों को बचाने की कोशिश तो नहीं?
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