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ऑनलाइन-बेटिंग पर हाईकोर्ट सख्त, पूछा-कितने ऐप पर एक्शन?: चीफ जस्टिस बोले-लोग मेहनत से नहीं, शॉर्टकट से पैसा कमाना चाह रहे, केंद्र-राज्य सरकार से मांगा शपथ-पत्र
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बिलासपुर हाईकोर्ट ने ऑनलाइन बेटिंग ऐप (सट्टा) को लेकर सख्त रुख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने कहा कि, अब लोग मेहनत से नहीं, शॉर्टकट से पैसा कमाना चाह रहे हैं, जो समाज और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए खतरनाक है।
कोर्ट ने सरकार को कहा कि वैध और अवैध के बीच की रेखा टूटनी नहीं चाहिए। साथ ही हाईकोर्ट ने पूछा कि, महादेव सट्टा ऐप के अलावा और कौन-कौन से ऑनलाइन सट्टा ऐप पर कार्रवाई की गई है। राज्य सरकार, गृह विभाग और केंद्र सरकार से शपथपत्र के साथ जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद वर्मा की खंडपीठ ने शुक्रवार को सुनवाई की। इस केस की अगली सुनवाई 6 मई को होगी।
जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल, ऑनलाइन बेटिंग ऐप को लेकर रायपुर निवासी सुनील नामदेव ने अधिवक्ता अमृतो दास के जरिए याचिका लगाई है। याचिका में कहा गया है कि कई सट्टा एप्स आज भी खुलेआम सक्रिय हैं। IPL जैसे आयोजनों के दौरान सट्टा एप्स के बढ़ते चलन पर भी चिंता जताई गई। इसके साथ ही ऑनलाइन बेटिंग ऐप की निगरानी के लिए एक स्थायी तंत्र बनाए जाने की मांग भी की गई है।
सक्रिय एप्स को चिन्हित कर तत्काल कार्रवाई की जाए-कोर्ट
इस पर मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने पूछा कि, महादेव ऐप के बाद अब तक कितने एप्स पर कार्रवाई हुई ? कितनों को प्रतिबंधित किया गया ? केंद्र सरकार को भी मामले में पक्षकार बनाया गया है। वहीं, एक सक्रिय सट्टा ऐप को भी याचिका में शामिल किया गया है।
कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि, इन सक्रिय ऐप्स को चिह्नित कर तत्काल कार्रवाई की जाए।
पिछली सुनवाई में क्या हुआ था ?
पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा था कि, छत्तीसगढ़ ऑनलाइन सट्टेबाजी पर प्रतिबंध लगाता है और प्रतिवादी राज्य के लगाए गए प्रतिबंध का उल्लंघन कर रहे हैं। उन्होंने कुछ दस्तावेज भी पेश किए। जिसमें हाल ही में चल रहे आईपीएल के संबंध में कुछ विज्ञापन शामिल हैं।
गृह विभाग के सचिव को मामले में अपना व्यक्तिगत शपथपत्र देने के निर्देश दिए गए थे। चीफ जस्टिस ने कहा था कि, आज का युग अलग है, अच्छे और बुरे लोग दोनों हैं। शासन का यह दायित्व है कि जिस बात की अनुमति दी है।
चीफ जस्टिस ने कहा था कि आप यह देखें कि लोग उसका गलत इस्तेमाल तो नहीं कर रहे हैं। हमें भी राज्य में यह देखना होगा कि, जो बारीक लाइन है उसे कोई क्रॉस नहीं कर सके। बहस के दौरान चीफ जस्टिस ने इस बात का उल्लेख किया कि, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में विज्ञापनों के गलत दावों पर भी संज्ञान लिया है।
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