छत्तीसगढ़ के केंद्रीय जेल में बंद कैदी पर वसूली का आरोप, नशे का सामान पहुंचाने के लिए वसूल रहा मोटी रकम……… आखिर कौन है वो, और कौन से जेल का है मामला?……… पढ़ें पुरी खबर
बहुचर्चित विराट अपरहण कांड के गुर्गे करते है जेल में वसूली❗
खेल में जेल अधीक्षक का क्या है मेल ❗
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को लिखा पत्र ❗
पत्र के वायरल होने मचा
हड़कंप
केंद्रीय जेल में कैदियों और हवालातियों से वसूली करने के मामले ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। जेल में बंद सजायाफ्ता कैदी अंजोर बंजारे और अन्य बंदियों के परिजनों ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एक शिकायत पत्र भेजा है। परिजनों का आरोप है कि जेल में अपहरण के मामले में सजा काट रहे एक कैदी ने वहां अपनी अलग दबंगई कायम कर रखी है और वह बंदियों से विभिन्न तरीकों से पैसों की उगाही कर रहा है। यही नहीं, जेल के भीतर नशे का सामान भी पहुंचाने के नाम पर मोटी रकम की वसूली की जा रही है।
बैरक में जगह देने के नाम पर हो रही है वसूली
शिकायत के अनुसार, अपहरण के मामले में सजा काट रहा कैदी न सिर्फ अन्य कैदियों से बैरक में जगह देने के नाम पर रुपये की मांग करता है, बल्कि मांग पूरी न होने पर उन्हें प्रताड़ित भी करता है। इसके अलावा, वह मारपीट करने की धमकी देता है और कई बार बंदियों को दूसरे बैरक में स्थानांतरित करवा देता है। बंदियों के स्वजनों का आरोप है कि कैदी की यह जबरन वसूली काफी लंबे समय से चल रही है, लेकिन जेल प्रशासन द्वारा इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
नशे के सामान के लिए वसूली
शिकायतकर्ता स्वजनों के अनुसार, जेल में नशे के सामान की भी बड़ी खेप पहुंचाई जा रही है। इस नशे के सामान को बंदियों तक पहुंचाने के लिए संबंधित कैदी भारी रकम वसूल रहा है। यह रकम सीधे उसके भाई के बैंक खाते में ट्रांसफर कराई जाती है। इस गोरखधंधे में जेल के भीतर के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत का भी शक जताया जा रहा है।
मोबाइल फोन और भोजन के नाम पर भी पैसे वसूलता है कैदी
कैदियों के परिजनों ने यह भी आरोप लगाया है कि जेल के भीतर मोबाइल फोन का संचालन काफी सुचारू रूप से हो रहा है। जेल के अंदर बंद कैदी बिना किसी परेशानी के मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं, और इस सुविधा के लिए भी कैदियों से मोटी रकम ली जाती है। इसके अलावा, भोजन के नाम पर भी पैसे की वसूली की जा रही है। शिकायत में कहा गया है कि कैदी इस तरह से जेल में अपना साम्राज्य चला रहा है और कमजोर कैदियों को अपने निशाने पर रखता है।
जेल अधीक्षक से की गई शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं
परिजनों का कहना है कि इस मामले की शिकायत कई बार जेल अधीक्षक से की जा चुकी है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। शिकायत में यह भी बताया गया है कि जेल में कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार हो रहा है और उनके जीवन को खतरे में डाला जा रहा है। परिजनों ने मांग की है कि इस मामले की तुरंत जांच की जाए और दोषी कैदी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
स्वजनों ने मांगी उच्च स्तरीय जांच
कैदियों के स्वजनों ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से अपील की है कि जेल में हो रही इस तरह की अवैध गतिविधियों की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। परिजनों का कहना है कि अगर जल्द ही इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया गया, तो जेल के भीतर स्थिति और भी बिगड़ सकती है।
जेल प्रशासन पर सवाल❓
इस घटना ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जेल में कैदियों की सुरक्षा और उनके साथ हो रहे दुर्व्यवहार को लेकर प्रशासनिक स्तर पर गंभीरता से कदम उठाने की आवश्यकता है। जेल के भीतर मोबाइल फोन का संचालन और नशे के सामान की उपलब्धता ने जेल प्रबंधन की साख पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है।
केंद्रीय जेल में नशे के समान की तय है कीमत .! बहुचर्चित विराट अपरहण कांड का मुख्य आरोपी करता है वसूली .! जेल डीजी से लेकर अधीक्षक की भूमिका संदिग्ध .! चीफ जस्टिज को पत्र लिखकर की जांच की मांग .! जेल में कौन कौन करता है वसूली ..?
बिलासपुर का केंद्रीय जेल का एक बार फिर चौंकाने वाला मामला सामने आया है । जेल में बंद कैदियों ने वसूली के गंभीर आरोप लगाकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिज से जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की है । इतना ही पत्र में लिखा गया है कि बिलासपुर के चर्चित विराट अपरहण कांड का मुख्य आरोपी अनिल सिंह को जेल अधीक्षक कोमेश मंडावी का संरक्षण होने का दावा कर वसूली का कमीशन डीजी जेल तक पहुंचाने की बात लिखी गई है । आरोप है कि अनिल सिंह जेल में नशे का सामन उपलब्ध करवाने और सुविधा देने के नाम पर अपने भाई सुनील सिंह जो कि कवर्धा का रहने वाला है उसके एकाउंट और मोबाइल पर 4 से 5 लाख रु जमा करवा चुका है । इतना ही नहीं जेल में सामन सप्लाई करने वाले से लेकर जेल प्रहरी तक गंभीर आरोप लगाकर मुख्य न्यायाधीश से जांच करवा कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की है ।
पत्र १
पत्र में लिखा गया है कि निवेदन है कि हम सब परिजन केन्द्रीय जेल बिलासपुर के हवालती। बंदी एवं कैदी के जेल अधीक्षक बिलासपुर एवं उसके गुर्गे विराट अपहरण का मुख्य कैदी अनिल सिंह एवं जेल में सामान सप्लाई करने वाले नारायण सिंह से बहुत परेशान है। जेल अधीक्षक अपनी वसूली के लिये कैदी अनिल सिंह को नियुक्त कर रखा है जो हवालती एवं कैदियों से जगह देने के नाम पर पैसा की मांग करता है। नही देने पर मारपीट कर गलत ट्रांसफर करते रहता है। तथा जेल में बीड़ी 200/-रू. कट्टा, तम्बाखू का पैकेट 100/-रू. तथा गांजा का जीपर 500/-रु. तथा नाईट्रा गोली 100/-रू नग आसानी से उपलब्ध कराता है तथा अपने भाई सुनील सिंह कवर्धा के एकाउंट एवं मोबाईल में अभी तक लगभग 4 से 5,00,000/-रू. डालवा चुका है अधीक्षक से शिकायत करने पर कोई कार्यवाही नहीं होता जेल के अंदर मोबाईल का संचालन भी करवाता है रसूखदार कैदी एवं बंदियों से अच्छा खाना एवं रोटी, सब्जी, चाय दिलाने के संबंध में बाबा आलोक खरे से मिले कर प्रतिमाह 3500/-रू. लेता है।
पत्र 2
वही सप्लायर नारायण सिंह के द्वारा जेल में घटिया स्तर का चावल, दाल सप्लाई किया जाता है। नारायण सिंह कहता हैं के में हर माह अधीक्षक, डी.जी. जेल को मोटी रकम तथा उनके महीने का जरूरी सामान का पूर्ति करता हूँ मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता में जैसा चाहूंगा जेल चलेगा विगत कई वर्षों से मैं एक तरफा जेल में सप्लाई कर रहा हूँ। जेल के खाने का स्तर बहुत खराब है चावल में कीड़ा, दाल, सब्जी केवल गरम पानी रहता है मसाला सब्जी का पता नहीं रहता है। चाय भी बिना शक्कर, चायपत्ती के रहता है विगत कुछ दिन पहले जेल में अनिल सिंह के शह पर गैगंवार कराया जा रहा है।
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अनिल सिंह के द्वारा जेल अधीक्षक को उगाही कर पैसा दिया जा रहा है अन्य व्यवस्था का निरीक्षण करने आते हैं तो खाना उनके जाने के बाद खाना दिया जाता है तथा बंदियों एवं बंदियों क बैरक में बंद कर दिया जाता है जिससे अधिकारियों से अपनी अवगत न करा सके।
अतः माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय से निवेदन है कि गोपनीय जांच कराकर उक्त कैदी अनिल सिंह एवं जेल अधीक्षक खोमेश मडावी, मुख्य प्रहरी आखरे के विरुद्ध उचित कार्यवाही करने का आदेश पारित करने की कृपा करे । फिलहाल देखना होगा कि इस पत्र के सामने आने के बाद जेल प्रशासन अपने ऊपर लगे गंभीर आरोप पर क्या प्रतिक्रिया जाहिर करता है ।