छत्तीसगढ़ के पूर्व महाधिवक्ता की अग्रिम जमानत याचिका को ACB,EOW की विशेष न्यायालय ने किया खारिज
रायपुर : नान घोटाला मामले में ACB EOW द्वारा दर्ज नई FIR मामले में पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा की अग्रिम जमानत याचिका को ACB , EOW की विशेष न्यायालय ने खारिज कर दिया है। मामले की सुनवाई अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश निधि शर्मा तिवारी के द्वारा की गई। पूर्व महाधिवक्ता ने यह अग्रिम जमानत याचिका अपने वरिष्ठ अधिवक्ता किशोर भादुड़ी के माध्यम से लगाया था।
बता दें कि, आज बुधवार के दिन एक घंटा 10मिनट चली लंबी बहस के बाद कोर्ट ने अपना आदेश शाम को जारी कर दिया है। उनके वरिष्ठ अधिवक्ता किशोर भादुड़ी ने बताया था कि यह पुरा मामला फर्जी मनगढ़ंत और बदले की भावना से प्रेरित होकर सरकार के द्वारा कराया गया है। क्योंकि आवेदक को 1/6/2019 को महाधिवक्ता नियुक्त किया गया था। जबकि महाधिवक्ता नियुक्ति ही दिनांक 5/12/18 को प्रकरण के अन्य दोनों अभियुक्तों अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला के विरुद्ध न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया जा चुका था। दोनों अभियुक्त गणों ने MCRCA NA. 1670/2018 एंव 788/2019 के अनुसार माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा अभियुक्त गण अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला को अग्रिम जमानत का लाभ दिया गया था इस प्रकार उक्त मामले में आवेदक की कोई भी भूमिका या मामले से संबंध होना प्रदर्शित नहीं होता है। अधिवक्ता का कहना है कि अब ACB के विशेष न्यायालय के द्वारा जारी इस फैसले के खिलाफ माननीय हाइकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगायेंगे।
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि छत्तीसगढ़ के नागरिक आपूर्ति निगम (पीडीएस) घोटाले में आरोपी दो वरिष्ठ नौकरशाह अनिल कुमार टुटेजा और आलोक शुक्ला ” अक्टूबर 2019 में शुक्ला को जमानत देने वाले उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के संपर्क में थे”। ईडी ने दावा किया था कि तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा दोनों और न्यायाधीश के बीच संपर्क बनाए हुए थे। ED ने अदालत में कहा था कि, तीनों के खिलाफ मुकदमा शुरू करने पर्याप्त सबूत है जिसका चैट न्यायालय में जमा किया है, उसके बाद ACBकी ओर से एक शपथपत्र सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया गया है। इसी के बाद अब ACB EOW ने तीनों के खिलाफ एक नई अपराध दर्ज किया है। पूर्व महाधिवक्ता की ओर से उपस्थित हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ने राष्ट्रीय जगत विजन के एडिटर इन चीफ से चर्चा करते हुए बताया कि कल बहस के दौरान सरकार की ओर से उपस्थित अधिवक्ता सौरभ पाण्डेय ने न्यायालय को बताया कि इस मामले को चलाने की स्वीकृति के लिए शासन को भेजा गया है अभी स्वीकृति आदेश नहीं मिला है तब वरिष्ठ अधिवक्ता किशोर भादुड़ी ने न्यायालय से कहा की इस बात को नोट किया जाये और आर्डर में लिखा जाए इस आधार पर यह मामला चलाने योग्य ही नहीं है तत्काल अग्रिम जमानत स्वीकार करने योग्य ह।