बेलतरा से रतनपुर , सेदरी, सकरी और सरगांव पथरिया क्षेत्र में धड़ल्ले से चल रहा कोयला चोरी का कारोबार……बेनामी लायसेंसधारियों ने किया शासन प्रशासन के नाक में दम……….माइनिंग विभाग की भूमिका संदिग्ध
बिलासपुर : सरगांव के व्यापारी नरेन्द्र कौशिक आत्महत्या की घटना और फिर पुलिस वार्निंग के बाद भी कोयला चोर अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। धीरे धीरे कोयला चोरों ने लम्बे समय से शांत रहे क्षेत्र बेलतरा और रतनपुर,सेंदरी ,सकरी, सरगांव पथरिया को फिर से एक बार कोयला चोरी का केन्द्र बनाना शुरू कर दिया है। हम आपको बताते चलें कि सरगांव घटना के लिए जिम्मेदार राजेश कोटवानी ने रतनपुर से ही कोयला चोरी का कारोबार शुरू किया था । और आज वान्टेड की सूची में शामिल हो गया है। बताते चलें कि दो दिन पहले ही पुलिस कप्तान ने बैठक के दौरान अधिकारियों से सख्त लहजे में कहा था कि यद्यपि हमारा माइनिंग से हमें कोई कोई लेना देना नहीं…बावजूद इसके हाइवे पर ट्रक रोक कर कोयला चोरी करते पाया गया तो सख्त कार्यवाही होगी। बावजूद इसके रतनपुर,बेलतरा और सकरी के कोयला चोर अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे है। पेट्रोलिंग पार्टी की आंख में धूल झोंक कर चोरी छिपे अपने मंसूबों को अंजाम दे रहे हैं।
बेलगाम बेनामी लायसेंसधारी
सरगांव घटना और फिर दो दिन पहले बिलासपुर पुलिस की बैठक में कप्तान ने कोयला चोरी जैसे अपराध पर अंकुश लगाने का संदेश दिया। साथ ही विभागीय अधिकारियों को कोयला कारोबारी से दूर रहने को भी कहा। साथ ही कोयला चोरी पर अंकुश लगाने की बात कही। और पेट्रोलिंग पार्टी को हमेशा सतर्क रहने की नसीहत दी। बावजूद इसके बेलतरा..रतनपुर और सकरी स्थित आस-पास के क्षेत्रों के कोयला चोर अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे है…खासकर बेनामी लायसेंसधारी।
भोले भाले लोगों पर आफत
पुख्ता जानकारी के अनुसार ज्यादातर बेनामी लायसेंसधारी कोयला चोर बेलतरा और सकरी,सेदरी के अलावा रतनपुर क्षेत्र में सक्रिय है। माइनिंग को गलत जानकारी देकर किसी भी आदिवासी या सीधे सादे व्यक्ति के नाम पर कोयला बेचने का लायसेंस हासिल कर लेते है। इसके बाद सफेद कपड़ा पहनकर चोरी की घटना को अंजाम देते हैं। नाम मात्र के लिए दस्तावेजी कोयला खरीदी करते हैं। और फिर हाइवे पर आदमी को खड़ा कर कोयला वाहनों को रोककर चोरी को अंजाम देते हैं। प्रयास के बाद भी बेनामी लायसेंसधारी पकड़ से बाहर रहते है। और इसका खामियाजा चन्द रूपयो की लालच में फंसे भोले भाले दस्तावेजी लायसेंसधारियों को उठाना पड़ता है।
फिर सक्रिय हो रहा रतनपुर
बताते चलें कुछ साल पहले रतनपुर स्थित कोयला डीपो में हत्या जैसे अपराध सामान्य बात मानी जाती थी। लेकिन अभियान चलाकर कोयला चोरों पर अंकुश लगाया गया। इसके बाद धर्मनगरी रतनपुर में कोयला जनित अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाया गया। एक बार फिर बेनामी लायसेंसधारी बेलतरा से रतनपुर होकर सकरी बिल्हा तक सक्रिय हो गये है।
यहां पैदा हुआ राजेश कोटवानी
जानकारी देते चलें कि सरगांव आत्महत्या घटना के लिए जिम्मेदार राजेश कोटवानी किसी जमाने में कोयला चोरी का कारोबार रतनपुर स्थित बेनामी कोयला प्लाट से ही शुरू किया था। बाद में बड़ा माफिया बन गया। और आज पुलिस के नाक में दम कर दिया है। उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास है कि पुलिस प्रशासन के सख्त कार्रवाई से अब राजेश कोटवानी और अन्य अपराधी पैदा नहीं होंगे। लेकिन कोयला चोर अपनी गतिविधियों से बाज नहीं आ रहे हैं। बताते चलें कि इसी हरकत के कारण ही बिलासपुर में एक प्रेस वार्ता के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह को कहना पड़ा था कि कोयला में हाथ डालोगे तो हाथ काला ही होगा। शायद इसी बात को ध्यान में रखते हुए ही बिलासपुर पुलिस कप्तान ने अपने अधिकारियों से कोयला चोरों से दूरी बनाकर रखने के साथ सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया है।
यद्यपि बिलासपुर पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है। बावजूद इसके बेनामी लायसेंसधारी कोयला डिपो पर अंकुश लगाना बहुत जरूरी है। जो पैसों के दम पर रायपुर में बड़े बड़े अधिकारियों से मिलकर अपने काले कारनामों को अंजाम दे रहे हैं। और बाहर की दुूनिया में अपने आप को पाक साफ बता रहे हैं। बड़े बड़ों से सेटिंग बताते फिरते हैं। भूपेश सरकार में ये सभी डिपो वाले सूर्यकांत तिवारी के साथ हाथ मिलाकर काम करने लगे थे। इन सभी की जांच शासन को करनी चाहिए।