छत्तीसगढ़ के गलियारों में नये डीजीपी के नाम को लेकर चर्चा है जोरों पर……संघ और हाऊस की पसंद अलग-अलग
छत्तीसगढ़ के गलियारों में इन दिनों नए डीजीपी के नाम को लेकर खूब चर्चा है। रायपुर से दिल्ली तीन नामों का पैनल भेजा जा चुका है। यानी अरुणदेव गौतम, पवनदेव और हिमांशु गुप्ता में से कोई एक सूबे में पुलिस की कमान संभालेगा। इन तीन नामों को लेकर तीन खेमे बन चुके हैं। एक नाम के लिए संघ दबाव बनाए हुए है। एक नाम पर सीएम हाउस की पसंद का है। वहीं एक नाम के लिए प्रदेश की आईपीएस लॉबी लॉबिंग में जुटी हुई है।
अब जबकि जीपी की वापसी का रास्ता साफ हो गया है तो उनका ब्लड प्रेशर बढ़ गया है। जीपी की गाड़ी को रोकने के लिए पांच आईपीएस अफसरों ने ऐड़ी चोटी का जोर लगाया था। सीएम से लेकर एक्स सीएम और दिल्ली तक जोर लगाया गया लेकिन वो कोई काम नहीं आया। अब जीपी की गाड़ी रायपुर की तरफ बढ़ गई है तो इन अफसरों को भारी टेंशन हो गई है। जीपी के आने बाद पुलिस मुख्यालय में बहुत कुछ वैसा नहीं रहेगा जैसा अभी दिखाई दे रहा है।
संघ जिनके साथ है उनकी छवि बेहद ईमानदार आईपीएस की मानी जाती है। उनके नाम के लिए संघ तीन बार सीएम हाउस से कह चुका है। उनका नाम रेस में नंबर एक पर चल भी रहा है। लेकिन यहां पर पेंच सीएम हाउस का है। सीएम हाउस के कुछ अफसर संघ की पसंद को पसंद नहीं कर रहे। उनकी तरफ से दूसरा नाम दिया गया है।
अब यहां पर सवाल यही है कि नए डीजीपी के सिलेक्शन में किसकी चलेगी, संघ की या सीएम हाउस की। वहीं आईपीएस लॉबी किसी तीसरे नाम पर ही अपनी गोटी फिट करने की फिराक में है। अब देखते हैं आगे आगे होता है क्या
जीपी ने बढ़ाया बीपी
आईपीएस जीपी सिंह की बहाली आदेश के बाद छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक गलियारों में भारी हलचल मची हुई है। एक तरफ स्वागत की तैयारियां हैं तो दूसरी तरफ कुछ अफसर बीपी की गोलियां खाने लगे हैं। यानी यूं कहें कि जीपी ने बढ़ाया बीपी तो कुछ गलत नहीं नहीं होगा। दरअसल जीपी की राह में कुछ आईपीएस अफसरों ने ही रोड़े बिछाए थे।
तुनकमिजाज साहब से परेशान लोग
मीडिया से ताल्लुक रखने वाले एक सरकारी महकमे के साहबों से मीडिया के लोग बहुत परेशान हैं। ये विभाग संवाद के लिए होता है लेकिन सबसे ज्यादा संवादहीनता यहीं पर है। साहब अपने आपको बहुत काबिल और इंटेलीजेंट समझते हैं। अब अफसर हैं तो रौब आना स्वाभाविक है। उनके काबिल होने से किसी को कोई आपत्ति भी नहीं है लेकिन इस आत्ममुग्धता के कारण उनमें तुनकमिजाजी और अकड़ आ गई है।
वे अपने सामने किसी को कुछ समझते ही नहीं है। यही कारण है कि मीडिया का बड़ा वर्ग उनसे दुखी हो गया है। दूसरे साहब सीएम हाउस में ही अपने बड़े साहब के सामने ही जमे रहते हैं। वे इसी तरह से अपने नंबर बढ़ा रहे हैं। वैसे यह विभाग तो मीडिया और सरकार के बीच ब्रिज का काम करता है। सरकार की ब्रांडिंग भी इसी के वाले होती है। लेकिन यहां तो इस बात की कोई परवाह ही नहीं की जा रही।
कामकाज तो कुछ नहीं हो रहा बस मुंह दिखाई चल रही है। वहीं साहब को राज्य सेवा के अधिकारी चला रहे हैं। कांग्रेस सरकार में इनकी खूब चलती थी, सरकार बदल गई लेकिन चल इनकी ही रही है। इनका मप्र कनेक्शन भी है।
सीबीआई जांच से असंतुष्ट बीजेपी नेता पीएससी की परीक्षाओं की जांच सीबीआई के हवाले होने से बीजेपी के अंदर बहुत खुशी हो गई थी। ये खुशी चौगनी तब हुई जब पीएससी के पूर्व अध्यक्ष और एक कारोबारी की गिरफ्तारी हुई थी। लेकिन अब वही लोग इस जांच से दुखी हो गए हैं। जिन लोगों के खिलाफ इन्होंने आवाज उठाई थी वे लोग अभी भी विभाग में जमे हुए हैं।
बीजेपी के एक नेता ने प्रधानमंत्री को गोपनीय चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में वे तमाम बातें लिखी हुई हैं जो इस जांच में इग्नोर की जा रही हैं। इस चिट्ठी सीबीआई जांच पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। जिस तरह से जांच हो रही है वो सवालों के घेरे में है। ये चिट्ठी पीएमओ में रजिस्टर्ड भी हो गई है। अब देखना है कि इस चिट्ठी का कितना असर होता है।