कौन है? ओ विधायक जो एफडीआर चोरी मामले में कमीशनर से गया था, अपने दो छात्र नेताओं को लेकर मिलने गया था………..नगर निगम स्मार्ट सिटी की फाईल से एफडीआर चोरी का मामला अब…मुख्यमंत्री तक पहूंच चुका है……… अब देखना यह है कि इस शिकायत पर होगी कार्यवाही यह सभी को मिलेगा अभय दान
बिलासपुर : नगर निगम के स्मार्ट सिटी योजना की फाइल से 77 लाख रुपए का FDR गायब होने के मामले में अब एक विधायक की एंट्री हो गई है। विधायक अपने साथ शहर के दो छात्र नेताओं के साथ निगम कमिश्नर के पास गए और मामला को रफा दफा करने का दबाव बनाया है। उसके बाद से निगम कमिश्नर के शुर बदले बदले नजर आ रहा है, उन्होंने तो एक पत्रकार को यहां तक कह दिया की वह एफ डी आर हमने खुद दिया है। और कार्य नहीं कर रहे थे तो उनके ऊपर 16 लाख की पेनल्टी लगाया है । जबकि हकीकत में मामला क्या है सभी जानते हैं।
निगम में हुए फर्जीवाड़े धोखाधड़ी के मामले की आंच अब मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच गई है वही इस मामले को दबाने रफ दफा करने के लिए कई ताहूत दार बोलियां लगा रहे हैं गौरतलब है कि कुछ दिनों से नगर निगम से 77 लाख रुपए की FDR गायब होने का मामला सुर्खियां बटोर रहा है। बात खुलने के बाद नगर निगम के अधिकारियों से लेकर ठेकेदार और ठेकेदार से उपकृत कई छात्रनेता मामला रफा दफा करने सक्रिय हो गए है। क्योंकि सबको पता है यह मामला चोरी और 420 का है। ठेकेदार के साथ संबंधित शाखा के कर्मचारी –एकाऊंटेंट, इंजिनियर ,व अधिकारी की नौकरी खतरे में पड़ सकती है। ठेकेदार धारा 420 शासकीय फाईल से चोरी के अपराध में जेल जा सकता है। इसलिए विभाग के कर्मचारी और अधिकारी आयुक्त के माध्यम से मामला दबाने ने लगे हुए है जबकि ठेकेदार छात्र नेताओं और जनप्रतिनिधियों को पकड़कर मामला रफा दफा कराने में लगा हुआ है। हालांकि इन सब में कितना चढ़ावा लग रहा है अलग बात है। लेकिन ठेकेदार एड़ीचोटी का जोर लगा रहा है। यही कारण है कि अभी तक थाने में अपराध दर्ज नहीं हो पाया है। उल्टे निगम आयुक्त 16 लाख रुपए का पेनल्टी लगाकर कर खुद संदेह के दायरे में आ गए है। जबकि उन्हें अपराध दर्ज करने का आदेश देना था। फिलहाल निगम के अधिकारी दबाव में है। आपको बता दे कि नगर निगम स्मार्ट सिटी की फाइल से एक ठेकेदार ने 77 लाख रुपए का FDR पार कर दिया है। यही नहीं उसके बदले में FDR की कलर फोटोकॉपी जमा कर दिया है। यह FDR कब निकाली गई और कब फोटोकॉपी फिर से लगा दी गई ये जांच का विषय है। क्योंकि ये काम बिना अधिकारियों के मिली भगत से संभव नहीं है उक्त ठेकेदार को राजीव गांधी चौक से लेकर मगर पारा तक नाला निर्माण और सड़क का कार्य मिल था । सूत्रों का यह भी कहना है की एक नेता को मामला दबाने के लिए एक टोयोटा कंपनी का फार्च्यूनर कार भी गिप्ट दिया गया है। सूत्रों का यह भी कहना है कि जो विधायक मिलने गए थे उन्हें कमिश्नर ने अपने चेंबर से बाहर तक छोड़ने आना भी उचित नहीं समझा।अब देखना यह है की बिष्णु देव की सुशासन की सरकार इस मामले में क्या कार्यवाही करती है या सभी को अभयदान दे देती है पूर्वर्ती सरकार जैसे।