अचानकमार टाइगर रिज़र्व में बाघ की मौत, कारण अज्ञात जो कारण डाक्टर के द्वारा पोस्ट मार्टम में बताया जा रहा है वह संभव ही नहीं,………वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और उन्हें बचाने किया जा रहा है सारा खेल
अचानकमार टाइगर रिज़र्व में बाघ की मौत, कारण अज्ञात जो कारण डाक्टर के द्वारा पोस्ट मार्टम में बताया जा रहा है वह संभव ही नहीं,………वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और उन्हें बचाने किया जा रहा है सारा खेल
रायपुर : बाघों की कमी से जूझ रहे छत्तीसगढ़ में एक और बाघिन की अचानकमार टाइगर रिजर्व के लमनी क्षेत्र के चिरहटा में AKT 13 में मौत हो गई है। बाघिन की मौत दो दिन पहले हो चुकी थी। लेकिन वन विभाग के अधिकारियों को मौत की खबर आज जा कर मिली है। बाघिन का शव लमनी रेंज के पास चिरहटा में मिला है । मौत के कारण डाक्टर चन्दन के द्वारा पोस्ट मार्टम करने के बाद राष्ट्रीय जगत विजन के एडिटर इन चीफ से फोन पर चर्चा में बताया कि टेरिटोरियल फाइट की वजह से हुई है । जबकि यह बात पी सी सी एफ सुधीर अग्रवाल के द्वारा बिना मौके पर गये, दोपहर 3.30 बजे ही बता दिया गया था। जबकि उस समय मौके पर कोई भी अधिकारी और डाक्टर नहीं पहूंचे थे। उसके बाद भी यह बात पी सी सी एफ ने कह दिया था। जबकि मौके पर इस तरह के लडाई झगडे का कोई भी निशान नहीं था,। और दूसरी बात सहवास के दौरान कोई भी बाघ बाघिन अटैक नही करता।यह तभी संभव है जब बाघों की संख्या एक से अधिक हो जो यहां पर नहीं था। इसलिए यह पुरी तरह से प्रि प्लांनिंग करके अधिकारियों की लापरवाही को छुपाने और उनके खिलाफ होने वाली कार्यवाही से बचाने के लिए यह कहानी बनाकर बताया जा रहा है। हम आपको यह भी बता दें की इस पुरी कहानी और प्लांनिंग में डाक्टर की भी मिली भगत है। क्योंकि दोपहर एक बजे जब डाक्टर से हमारे टीम के सदस्य के द्वारा पुछा गया कि क्या आप पोस्टमार्टम करेंगे तो उनके द्वारा कहा गया कि मैं यहां नहीं हूं मैं बारनवापारा में हूं। पर शाम 4 बजे हमारे टीम को पता चला कि डाक्टर चन्दन ही पोस्ट मार्टम करने वाले हैं तो उनसे पुनः बात किया गया तो उन्होंने साफ कहा अधिकारी साथ में थे और उन्होंने कहा मना करने को तो मैंने मना कर दिया उनकी बात तो माननी ही पडती है। ऐसे झूठ बोलने वाले डाक्टर जो अधिकारियों के इशारे पर नाचते हैं उनसे निष्पक्ष रिपोर्ट की उम्मीद कैसे की जा सकती है। इसलिए माननीय वन मंत्री, और सचिव वन विभाग को चाहिए की एक टीम बनाकर जिसमें बल्ड लाईफ, पत्रकार, फारेस्ट के अधिकारी, और डाक्टर हो उनसे नये सिरे से पोस्ट मार्टम कराया जाना चाहिए जिससे साफ होगा सही मौत का कारण क्या है। जिससे दोषियों के खिलाफ कार्यवाही किया जा सके।
वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि शुक्रवार की सुबह बाघ की मौत की जानकारी सामने आई है। हालांकि आरंभिक तौर पर बाघ का शव दो से तीन दिन पुराना लग रहा है। पोस्ट मार्टम करने वाले डाक्टर चन्दन ने कहा पोस्ट मार्टम रिपोर्ट डिटेल में आज मिलेगा।
ख़त्म हो रहे हैं छत्तीसगढ़ से बाघ
एक तरफ़ पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश को ‘टाइगर स्टेट’ दर्ज़ा प्राप्त है, वहीं उसी मध्यप्रदेश से अलग हुए छत्तीसगढ़ में, वन विभाग के नकारा अफ़सरों के कारण बाघों की जान के लाले पड़े हुए हैं। पिछले कुछ सालों में एक के बाद एक बाघ ख़त्म होते चले गए ।अब हालत ये है कि राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश से 3 बाघों को लाने का फ़ैसला किया है। इन्हीं बाघों के सहारे राज्य में बाघों की आबादी बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
2014 में 46 बाघ थे छत्तीसगढ़ में
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के अनुसार छत्तीसगढ़ में 2014 की गणना में 46 बाघ थे। लेकिन 2018 में यह संख्या घट कर केवल 19 रह गई. पिछले साल आई रिपोर्ट के अनुसार राज्य के तीन टाइगर रिजर्व उदंती-सीतानदी, अचानकमार और इंद्रावती में केवल सात बाघ हैं. पिछले 10 सालों में राज्य के अलग-अलग इलाकों में लगातार बाघों के शिकार की ख़बरें आती रही हैं।
वन विभाग के स्थानीय अमले ने कई अवसरों पर शिकारियों को पकड़ा भी है लेकिन बाघों की आबादी बढ़ाने की दिशा में वन विभाग ने कोई कोशिश नहीं की।यहां तक कि जिस अचानकमार और बार नवापारा अभयारण्य से गांवों को विस्थापित किया गया, उन इलाकों को भी आज तक वन विभाग का अमला बाघों के अनुकूल विकसित नहीं कर पाया। सभी मामलों में फेल रहा वन विभाग सिर्फ भ्रष्टाचार में रहे आगे।