छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार अडानी से हाथ मिला कर जमीनों की कार्पोरेट लूट करने में लगी हुई है, आदिवासियों के निर्मम,दमन के एक खिलाफ एक जूट हुए देश के को ई संगठन
रायपुर : छत्तीसगढ़ के अनेक आदिवासी किसान तथा सामाजिक संगठन रायपुर में भूमि अधिकार आंदोलन तथा छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के राज्य स्तरीय सम्मेलन में इकट्ठा हुए । दिन भर चले इस सम्मेलन में जनप्रतिनिधियों ने छग के छत्तीस स्थानों पर जल जंगल जमीन खनिज और अन्य प्राकृतिक संपदा की रक्षा करने तथा जनतंत्र बचाने के लिए चल रहे आंदोलनों और उन पर किए जा रहे जुल्म तथा अत्याचारों का विवरण दिया । तथा विस्थापन की बेदर्दी और पीड़ा को सामने रखा ।
आलोक शुक्ला के संचालन में हुए इस सत्र में हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति से मुनेश्वर कुर्ते, रावघाट संघर्ष समिति से नरसिंह मंडावी, दलित व आदिवासी मंच से राजिम केतवास बेचा घाट आंदोलन के सरजू टेकाम नया रायपुर किसान आंदोलन के रूपन चंद्राकर आदिवासी महासभा के मनीष कुंजाम, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के जनक लाल ठाकुर छत्तीसगढ़ किसान सभा के ऋषि गुप्ता ,सर्व आदिवासी समाज से पूर्व सांसद अरविंद नेताम सहित जशपुर ,कोरबा, धमतरी व अन्य स्थानों के प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि इन सभी स्थानों पर मौजूदा सरकार सहित छत्तीसगढ़ की सरकारें किस तरह से कारपोरेट कंपनियों के लिए जंगलों से आदिवासियों की बेदखली और गिरफ्तारियां यहां तक कि फर्जी मुठभेड़ करने के कामों में लगी हुई है । उनकी हत्यारी मुहिम को संरक्षण देने में लगी है सम्मेलन में इन सभी जन आंदोलनों के साथ एकजुटता भी व्यक्त की गई ।
सरकेगुडा के नरसंहार की दसवीं बरसी के दिन हुए इस सम्मेलन में वक्ताओं ने बताया कि जिस नरसंहार में आधा दर्जन से अधिक नाबालिक बच्चों सहित 18 आदिवासी मार दिए गए थे 2018 के चुनाव में कांग्रेस सारकेगुड़ा और एडसमेटा नरसंहार को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ी थी । पूरे बस्तर ने कांग्रेस को जिताया था। और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने थे 3 साल पहले जांच आयोग की रिपोर्ट आ चुकी है ।एडसमेटा और सारकेगुडा नरसंहार की रिपोर्ट आ चुकी है। इन दोनों रिपोर्ट में दोषी पुलिस अधिकारियों को नामजद चिन्हित किया जा चुका है। लेकिन इस सरकार के द्वारा किसी भी रिपोर्ट की एक भी सिफारिश को लागू नहीं किया गया है । एक भी हत्यारे के खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई है । जबकि अभी 24 जून को कई महीनों से धरने पर बैठे पुसनार के आदिवासियों का मंच जेसीबी से ढहा दिया गया और सरकार के इस गैर लोकतांत्रिक कुकृत्य के खिलाफ भी आदिवासी बहादुरी से लड़ रहे हैं ।
सम्मेलन में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र ,गुजरात उड़ीसा
,कश्मीर सहित 15 राज्यों के जनप्रतिनिधि शिरकत कर रहे थे। 15 राज्यों से आए जनप्रतिनिधियों ने कहा कि पूरे देश के किसान छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ खड़ी हैं । किसान संघर्ष समिति के सुनीलम, लोक संघर्ष मोर्चा की प्रतिभा शिंदे, लोक शक्ति अभियान के प्रफुल्ल सामांत्र, सर्वहारा जन आंदोलन की उल्का महाजन ,अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन मध्य प्रदेश किसान सभा के बादल सरोज किसान, खेत मजदूर संगठन के मनीष मनीष श्रीवास्तव, आदि ने अपने-अपने राज्यों में चल रहे भूमि आंदोलनों का विस्तृत रूप से ब्यौरा को रखा । उन्होंने बताया कि किस प्रकार आदेश में संवैधानिक प्रावधानों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। और जो लोग अपने हक अधिकारों की वकालत कर रहे हैं उन्हें जेल में डाल दिया जा रहा है ।देश की तमाम सरकारें नागरिकों के मूलभूत अधिकारों के मुकाबले कारपोरेट हीतो को प्राथमिकता दे रही है । जिसके चलते देश का जल, जंगल ,जमीन और पर्यावरण को खुले –आम कारपोरेट मुनाफे के लिए भेज रही है । इसलिए सभी को मिलकर कारपोरेट लूट के खिलाफ जनतंत्र को बचाने के लिए सड़कों पर आना होगा और ताकतवर भूमि आंदोलन खड़ा करना होगा। छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधियों की बातें सुनने के बाद उन्होंने इस छत्तीसगढ़ सरकार के खिलाफ जो क्षोभ व्यक्त किया कि प्रदेश में भाजपा की सरकार जाने के बाद और कांग्रेस के सरकार आने से भी कोई बदलाव नहीं आया है । उल्टा ये कांग्रेस सरकार इनके साथ जोर जबरदस्ती कर प्रस्ताव पास करवा रही है । झूठे प्रस्ताव के दम पर आडाणी जैसे कारपोरेट सेक्टर को खदान खोलने की अनुमति दी जा रही है । भूमि अधिकार आंदोलन की शुरुआत देश के वरिष्ठ किसान नेता अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मौला ने की उन्होंने कहा कि मोदानी मॉडल जल जंगल जमीन और जनतंत्र को मिटाकर प्राकृतिक संपदा को लूटने वाला मोदी –अडानी मॉडल अब नहीं चलेगा उन्होंने कहा कि इन प्राकृतिक संसाधनों पर समाज का अधिकार है । लेकिन आज इसे पूंजी की ताकत और सत्ता के संरक्षण में इसे हड़पने की कोशिश की जा रही है । भूमि अधिकार आंदोलन के निर्माण की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि इस मंच के जरिए सरकार की कारपोरेट परस्त नीतियों के खिलाफ एक नया प्रतिरोध आंदोलन विकसित हो रहा है ।और इस आंदोलन की आग में छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार भी जल जाएगी ।नर्मदा बचाओ आंदोलन तथा जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वयक मेघा पाटकर ने कहा यह आर्थिक शोषण का दौर है जो जीवन के अधिकारों का हनन कर रहे हैं और ये भूपेश सरकार अडानी से हाथ मिला कर जल जंगल जमीन को बेचने में लगा हुआ है। जो हम कदापि नहीं होने देंगे