छत्तीसगढ़ में सत्ताधारी नेताओं के विश्वासपात्र अफसरों ने बदला पाला, ED के खिलाफ फर्जी प्रकरण दर्ज करने को लेकर पुलिस की ” ना ” केंद्रीय एजेंसियां पैतरेबाजी से सतर्क
दिल्ली/ रायपुर : छत्तीसगढ़ में IT – ED की छापेमार कार्यवाही और विवेचना के बीच राज्य सरकार का एक पत्र केंद्रीय गृह मंत्रालय में चर्चा में है। बताते है कि यह पत्र छत्तीसगढ़ के गृह विभाग से सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय पंहुचा है। सूत्र बताते है कि छत्तीसगढ़ शासन के एक शिकायती पत्र को केंद्र सरकार ने गम्भीरता से लिया है। बताया जा रहा है कि इस पर जल्द ही जाँच कराइ जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में ED की टीम को कई मौको पर असहज स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। कोल परिवहन घोटाले की जाँच कर रही केंद्रीय एजेंसियों की कार्यवाही में कई रसुकदार अफसरों पर शिकंजा लगातार कसते जा रहा है। वही ED की जाँच को प्रभावित करने और एजेंसियों के अफसरों को दबाव में डालने के लिए नई पैतरेबाजी सामने आई है। बताते है कि छत्तीसगढ़ सरकार ED पर आरोप लगा रही है कि पूछताछ के दौरान कई लोगो को मुर्गा बनाया जा रहा है।
राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आरोप लगा रहे है कि कारोबारियों के साथ ED के अफसर मारपीट कर रहे है। उन्हें झूठे बयान स्वीकारने के लिए डराया – धमकाया जा रहा है। कई लोगों के कान और अन्य अंगों में मारपीट का असर हुआ है। हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्रकारों को बताया था कि ED की ज्यादतियों को लेकर कई शिकायतें राज्य सरकार को प्राप्त हो रही है। उन्होंने ED पर कई आरोप लगाते हुए बताया कि गृह विभाग के सचिव मनोज पिंगुवा द्वारा ED के कार्यकलापों से वरिष्ठ अफसरों और केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अवगत कराया गया है। बघेल ने यह भी कहा था कि ED जाँच करे, सरकार सहयोग करेगी, लेकिन जोर – जबरदस्ती और मारपीट की घटनाओं को बर्दास्त नहीं किया जायेगा | बघेल के केंद्र को लिखे पत्र के बाद अब यह जानकारी भी सामने आई है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस पत्र को काफी गंभीरता से लिया है।
सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार के वरिष्ठ अफसरों ने ED की कार्यवाही की पड़ताल के बाद राज्य सरकार के अफसरों की भूमिका पर सवालियां निशान लगाए है। बताते है कि जल्द ही केंद्र के अफसरों की एक टीम रायपुर दौरा कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि ED की कार्यवाही को क्लीनचिट प्राप्त हो गई है, जबकि राज्य सरकार और उसके कई अफसरों की कार्यप्रणाली से निर्मित गतिरोध जल्द दूर कर लिया जायेगा। केंद्रीय दल उन लोगो से भी मुलाकात करेगा जो विवेचना में ED की सहायता कर रहे है। ऐसे लोगो को भी परेशान किये जाने की जानकारी सामने आ रही है।
बताया जाता है कि ED के खिलाफ काल्पनिक शिकायतों और झूठे आरोपों की जांच जल्द हो सकती है। बताते है कि कोल परिवहन घोटाले में ED की जाँच पर रोड़ा अटकाने के लिए कई राजनेता हाथ – पांव मार रहे है। सूत्रों के मुताबिक ऐसे कई नेताओं के कुनबे भ्रष्टाचार के मामलो में जांच के दायरे में है। लिहाजा ED की संभावित कार्यवाही से बचने को लेकर कई संदेहियों ने अभी से दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
बताया जाता है कि कोल परिवहन घोटाले में कुख्यात आरोपी सूर्यकांत तिवारी के सहयोगी नीलेश चंद्राकर को पूछताछ के लिए ED ने बुलाया था। लेकिन उसके पिता ने महासमुंद थाने में नीलेश के अपहरण की शिकायत दर्ज करा दी। सूत्र बताते है कि इस शिकायत पर ED के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध करने के लिए कई नेताओं ने पुलिस पर दबाव बनाया था। लेकिन मामले की हक़ीकत को देखते हुए जिम्मेदार अफसरों ने न केवल उन नेताओं के अरमानो पर पानी फेर दिया जो ED पर कार्यवाही किये जाने के लिए उन्हें बाध्य कर रहे थे। बल्कि ED को उनकी भी हकीकत से वाकिफ कराया है।
नतीजतन ED के सक्रीय होते ही नीलेश चंद्राकर के पिता ने अपनी झूटी शिकायत वापस ले ली है। बताते है कि इस काल्पनिक शिकायत के लिए कुछ संदेही नीलेश चंद्राकर के पिता के संपर्क में थे। उनके प्रभाव में उन्होंने शिकायत तो थाने में दे दी थी लेकिन हकीकत से रूबरू होते ही, उलटे पांव शिकायत भी वापस ले ली। यह मामला केंद्रीय गृह मंत्रालय में सुर्खियां बटोर रहा है।
सूत्रों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय सेवाओं के कई अफसर उन नेताओं के निर्देशों की नाफरमानी कर रहे है जो गैरकानूनी और मौखिक रूप से दिए जा रहे है। बताते है कि कुछ माह पूर्व एक अन्य आईपीएस अधिकारी ने ED के खिलाफ महासमुंद में अपराध दर्ज करने से इंकार कर दिया था। हालांकि बतौर पुलिस अधीक्षक इस अधिकारी का यहाँ से लगभग दो महीनो के कार्यकाल में ही तबादला कर दिया गया। यह अफसर बघेल सरकार और उनकी उपसचिव सौम्या चौरसिया का विश्वासपात्र सहयोगी रहा है। बताते है कि सूर्यकान्त तिवारी और सौम्या चौरसिया से पूर्व में हुई ED की पूछताछ के दौरान भी कई नेताओं ने इसी तर्ज पर दबाव बनाया था।
बताते है कि सूर्यकान्त और सौम्या चौरसिया से जुड़े कई कारोबारियों से जारी पूछताछ में मारपीट की कोई शिकायते तद दौरान प्रदेश के किसी भी थाने में लंबित नहीं थी। बावजूद इसके महासमुंद में ED के खिलाफ FIR दर्ज करने का फरमान सौम्या चौरसिया ने सुना दिया था। लेकिन महासमुंद के तत्कालीन SP ने यह कहकर मामला दर्ज करने से इंकार कर दिया था कि ED का पूछताछ स्थल रायपुर है, महासमुंद नहीं। बताते है कि इसका खामियाजा उन्हें तुरंत तबादले के रूप में भोगना पड़ा था। बहरहाल छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय सेवाओं के ज्यादातर अफसरों ने गैरकानूनी कार्यो के लिए मौखिक निर्देश देने वाले नेताओं के फरमानो को सुनना बंद कर दिया है।
कई अफसर तो अब मामलो की वैधानिक स्थिति से नेताओं को वाकिफ करा कर उनसे पल्ला झाड़ रहे है। बताते है कि ED की कार्यवाही में जिस तरह से अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियो की संलिप्तता सामने आ रही है, वैसे वैसे ED के खिलाफ भी राजनेताओं के हमले तेज होते जा रहे है। फ़िलहाल बघेल सरकार का पत्र क्या रंग लाता है, यह देखना गौरतलब होगा।