बिलासपुर : लोग कहते हैं..मोपका स्थित सरकारी कर्मचारी सहकारी गृह निर्माण समिति भारत की सबसे बड़ी सोसायटी है। इस बात में दम हो या ना हो..लेकिन इस बात में जरूर दम है कि यह सोसायटी एशिया की सबसे बड़ी भ्रष्ट सोसायटी है। मामले में एक बार पत्रकारों की शिकायत पर राजस्व मंत्री ने जांच का आदेश भी दिया था। लेकिन जांच उन्हीं कर्मचारियों ने किया जिन्होने सोसायटी के सैकड़ों नामजद प्लाट को फर्जीवाड़ा कर दूसरों को बेचा था। बहरहाल लगातार शिकायत के बाद एक बार फिर बोतल का जिन्न बाहर आने लगा है। कलेक्टर के आदेश पर तहसीलदार अतुल वैष्णव ने जांच शुरू कर दिया है। समिति के कार्यलाय में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के सामने पीड़ितों ने लिखित शिकायत कर भ्रष्टाचार का एक एक धागा उधेड़ कर रख दिया है। यद्यपि तहसीलदार ने ज्यादा कुछ नहीं बताया। लेकिन उन्होने कहा कि कई दस्तावेज गायब है। जल्द ही पूरी रिपोर्ट कलेक्टर के सामने पेश कर दिया जाएगा।
सबसे बड़ी सोसायटी का काला सच
भारत की सबसे बड़ी सहकारी सोसायटी यानि मोपका स्थित सरकारी कर्मचारी सहकारी गृह निर्माण समिति की भ्रष्टाचार की कलई तहसीलदार जांच में सामने आने लगी है। जानकारी देते चलें कि सरकारी कर्मचारियों के लिए सस्ते दर पर जमीन उपलब्ध कराने करीब दो दशक पहले बताये गए सोसायटी का गठन किया गया। मामले में सरकारी कर्मचारियों को फायदा हुआ या नहीं हुआ..लेकिन सोसायटी के पदाधिकारी जरूर मालामाल हो गए। जमीन माफिया बनकर सैकड़ों प्लाट को फर्जीवाड़ा कर दूसरे को बेच दिया है।
राजस्व मंत्री ने भी दिया था जांच का आदेश
जानकारी देते चलें कि एक साल पहले राजस्व मंत्री ने शिकायत के बाद जांच का आदेश दिया था। लेकिन मामले की जांच उन्ही अधिकारियों और पदाधिकारियों ने किया। जिन्होने फर्जीवाड़ा कर प्लाट को बेचा। मामला उस समय रंग पकड़ लिया जब कलेक्टर ने तहसीलदार को जांच का आदेश दिया। और फिर वही हुआ जैसा कयास लगाया जा रहा था। सैकड़ों लोगों ने तहसीलदार के सामने लिखित शिकायत कर सोसायटी के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के भ्रष्टाचार का एक एक पन्ना फाड़कर रख दिया।
अध्यक्ष को दिया लाखों रूपए…गुडाखु भी दिया
महेश कुमार दौलतानी ने बताया कि उसका जगमल चौक में दुकान है। उसने बताया कि साल 2001 में रजिस्टी वाली जमीन लिया। कई साल बाद जानकारी मिली कि समिति ने जमीन किसी को बेच दिया है। कब्जा करने गया तो समिति के पदाधिकारी संजय तिवारी गाली गलौच किया। जान से मारने की धमकी भी दिया। काफी हाथ पैर मारने के बाद समिति के अध्यक्ष अशोक गोरख ने कहा कि जमीन के लिए खर्च करना होगा। मैने उसके घर का सालों साल राशन भारी मुफ्त भरा। करीब साढ़े सात लाख खर्च किया। अशोक गोरख रोज दुकान आता था। उसे हमेशा गुडाखु भी मुफ्त मे दिया। उसने जमीन दिलाने के नाम पर उधारी माफ करने लिखा पढ़ी किया। बावजूद इसके आज तक जमीन नहीं मिली है। दौलतानी ने बताया कि अशोक गोरख और संजय तिवारी के कहने पर सहकारी समिति संस्थाए के अधिकारी रविन्द्र तिवारी को मोटरसायकल की किश्त पटाने के लिए दस हजार रूपया भी दिया है। संजय तिवारी ने भी जब तब लूटा है।
संजय तिवारी ने दिया जान से मारने की धमकीट
आशा सिंह ने बताया कि उन्होने 11 साल पहले सोसायटी से जमीन लिया। हमें राहुल ढावा के पास जमीन दिखाकर रजिस्ट्री कराया गया। सालो बाद जब हम निर्माण करने गए तो जमीन पर दूसरा आदमी कब्जा किया होना पाया गया। जब हमने समिति से सम्पर्क किया तो उन्होने सहयोग नहीं किया। कौन अध्यक्ष और कौन उपाध्यक्ष है हमें इसकी भी जानकारी नहीं है। चुनाव के बारे में भी हमें पता नहीं है। कभी बनर्जी अध्यक्ष हुआ करते थे। अशोक गोरख और संजय तिवारी कब अध्यक्ष उपाध्यक्ष बन गए इसका भी हमें पता नहीं है। आशा सिंह ने बताया कि संजय तिवारी कहता है कि जिसको जहां शिकायत करना है करे..हमें कोई फर्क नही पड़ता है।
बाउंड्रीवाल तो़डकर संजय और अशोक ने दूुसरे को कराया कब्जा
रेलवे कर्मचारी अंजली मालाकार ने बताया कि साल 2011 में जमीन की रजिस्ट्री हुई थी। हमारे पास सारे दस्तावेज हैं। जमीन खरीदने के बाद हमने बाऊंड्रीवाल भी कराया। एक दिन पता चला कि दीवारे तोड़ दी गयी है। बाऊंड्री का गेट भी नदारद है। हमने समिति सम्पर्क किया तो अशोक गोरख और संजय तिवारी ने बताया कि जमीन समिति की है। यदि दस्तावेज है तो पेश करें। हमने सारे दस्तावेज पेश किये। बावजूद इसके दोनो ने जमीन पर कब्जा करने नहीं दिया। इसी दौरान जानकारी मिली कि दोनो ने मिलकर जमीन बेच दिया है। शिकायत के सवाल पर संजय तिवारी ने कहा कि जिसको जो करना है..कर ले। जमीन हम नहीं देंगे। मालाकार ने बताया कि संजय तिवारी ने जान से मारने की धमकी दिया। हमारा लाखों रूपये डूबते नजर आ रहे हैं। अब उम्मीद है कि जमीन मिल जाए। हमने सारे दस्तावेज तहसीलदार के सामने पेश किया है।
सैकड़़ों लोगों ने बताया संजय और अशोक को जमीन माफिया
शिकायत करने पहुंचे सैकड़ों लोगों ने बताया कि उन्हें नहीं मालूम कब समिति का चुनाव हुआ। कुछ लोगों ने जानकारी दिया कि गुपचुप तरीके से अशोक गोरख ने समिति पर पहले कब्जा किया। संजय तिवारी ने भी यही किया। दोनो ने मिलकर पुरानी रजिस्ट्री के दस्तावेजों में व्यापक स्तर पर छेड़छाड़ किया। लाखों और करोड़ों रूपये लेकर रजिस्ट्री जमीन को दूसरे के नाम चढ़ा दिया।
कई जरूरी दस्तावेज पेश नहीं
मामले में तहसीलदार अतुल वैष्णव ने बताया कि फिलहाल जांच की प्रक्रिया लगातार जारी है। अशोक गोरख और संजय तिवारी को नोटिस दिया गया था। अन्य शिकायत कर्ताओं को भी पेश होने को कहा गया था। सभी ने दस्तावेज शिकायत के साथ पेश किया है। जांच पड़ताल के दौरान जरूरी दस्तावेज गायब पाए गए हैं। प्रक्रिया पूरी होने के बाद रिपोर्ट कलेक्टर के सामने पेश किया जाएगा।