राष्ट्रीय जगत विजन, CRIME CHHATTTISGARH NATIONAL
VIP Security CG : तस्तरी में PSO, छत्तीसगढ़ में वीआइपी बनने के चक्कर में कुपात्र नेताओं, रिटायर अफसरों, दलालो और लाइजनरो के पास सरकारी खर्च पर ढेरों सुरक्षाकर्मी, सिक्योरिटी मुहैया कराने के कई बहाने, कर्ज में जनता
रायपुर : छत्तीसगढ़ में मोदी सरकार ने वीआइपी कल्चर लगभग खत्म कर दिया था। बीजेपी शासन काल में रमन सिंह की सरकार में वाहनों से लाल-नीली और बहुरंगी बत्तियां हटा दी गई थी, यहां तक की भ्रष्टाचार और अवैध वसूली की शिकायतों के बाद क्राइम ब्रांच को भी ख़त्म कर दिया गया था। लेकिन उनकी सरकार के जाते ही माननीयों ने अपना जलवा बिखेरने के लिए सरकारी तिजोरी ऐसी खोली है कि राज्य की जनता कर्ज के बोझ तले दब गई है।
मौजूदा बघेल सरक़ार ने स्टेटस सिंबल के रूप में पुलिस जवानों और सरकारी धन दोनों की मान मर्यादा तक ताक में रख दी। राज्य में प्रतिमाह करोडो रूपये कुपात्रों की सुरक्षा व्यवस्था पर बर्बाद हो रहा है। VIP कल्चर के नाम पर लोगो को सरकारी खर्च पर सिक्योरिटी और PSO उपलब्ध कराये गए है। बताते है कि कई कांग्रेसी नेताओ और कारोबार से जुड़े लोगो को बगैर किसी खतरे और ठोस वजह के बावजूद सुरक्षा कर्मी उपलब्ध कराये गए है।
राज्य में कांग्रेसी शासन काल में कई नेताओ को अपने साथ PSO रखने का मोह ऐसा जगा है कि उनकी राजनीति चमकाने के लिए शासन द्वारा बगैर किसी ठोस वजह के सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है, वह भी सरकारी खर्चे पर।
मुख्यमंत्री और मंत्रियों के साथ ही सांसद-विधायकों और आयोग निगम मंडलो के चेयरमैन लिए प्रोटोकाल के नाते सुरक्षा जरूरी है, जबकि बड़ी संख्या में रिटायर्ड अफसरों, दलाली, ठेकेदारी और नेतागिरी के पेशे में शामिल लोगो ने बगैर किसी ठोस आधार पर सुरक्षा ली हुई है। ऐसे लोगो को PSO देने में गृह सचिव की अध्यक्षता वाली रिव्यू कमेटी सवालों के घेरे में है।
छत्तीसगढ़ में पुलिस होम गार्ड और अन्य विंग में हजारो पद खाली पड़े है, नक्सली इलाको से लेकर मैदानी इलाको तक राज्य में गैर जरुरी कार्यो पर करोडो रुपये अनावश्यक व्यय हो रहे है। पुलिस कर्मचारी और PSO को माननीयों की सेवा के अलावा कुपात्रों के ठिकानो में तैनात किया गया है।
बताते है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तो सूर्यकान्त तिवारी समेत कोल खनन परिवहन घोटाले और कई शराब कारोबारियों को भी PSO उपलब्ध कराने में सहमति दी थी। बताते है कि राज्य के ज्यादातर कुपात्रों को फर्जीधमकियों की दुहाई देते हुए सरकार से सुरक्षा ली हुई है, जबकि 11 सांसदों और 90 विधायकों को प्रोटोकाल के अनुसार सुरक्षा गार्ड उपलब्ध कराए गए हैं।
बताते है कि बड़ी संख्या में रिटायर्ड अफसरों और कुपात्रों की सुरक्षा का खर्च राज्य सरकार के सिर मढ़ दिया गया है, जबकि रिव्यू कमेटी की सिफारिशें जनता की अदालत में दम तोड़ रही है। कई PSO अर्दली और भृत्य का कार्य करते नजर आ रहे है, जबकि प्रदेश के ज्यादातर थानों में स्वीकृत बल भी उपलब्ध कराने के मामलो में कई IPS अधिकारी कन्नी काट रहे है।
न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ द्वारा पुलिस और रिव्यू कमेटी के कुछ जिम्मेदार अधिकारियो से इस बारे में चर्चा की गई। उनसे सवाल पूछा गया था कि कितने सांसद-विधायकों, पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों तथा अन्य विभिन्न श्रेणियों से संबंधित नेताओं को सरकारी खर्च पर सुरक्षा प्रदान की गई है। किस आधार पर इन माननीयों की सुरक्षा पर होने वाला खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता है।
कितने लोगों को धमकी के आधार पर सुरक्षा प्रदान की गई है। लेकिन जिम्मेदार अफसरों ने इसका सीधा सीधा जवाब देने के बजाय मामला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पाले में डाल दिया। माननीयों को सुरक्षा का ब्यौरा मांगते वक्त राष्ट्रीय जगत विजन छत्तीसगढ़ की टीम से एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कमेंट करते हुए कहा कि बड़ा दुःख लग रहा है, ‘आप’ श्रेणी, सुरक्षा प्राप्त नेता जी और उन्हें उपलब्ध कुल सुरक्षा कर्मी का ‘ब्यौरा’ मांग रहे है, हमारे जवान ‘बैरा’ बन गए है।
उधर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सिर्फ अपनी सुविधानुसार खुद के प्रेस मीडिया कर्मियों से मन की बात करते है, लेकिन पत्रकारों से सामना होते ही मौके से भाग निकलना ही मुनासिब समझते है।
छत्तीसगढ़ को छोड़ देश के लगभग सभी राज्यों में VIP कल्चर के लिए सुरक्षा प्राप्त करने वाले लोगों PSO अथवा सुरक्षा कर्मियों की सुरक्षा का खर्च स्वयं वहन किया जाता है। लेकिन अकेले छत्तीसगढ़ में बघेल सरकार ने इसे सरकारी खर्च में शामिल कर लिया है। बताते है कि सुरक्षा के नाम पर रोजाना हो रहे भारी भरकम खर्च की जानकारी RTI और विधान सभा में देने तक से अधिकारी बच रहे है। इस बाबत कई RTI कार्यकर्ताओ को सरकार के साथ जूझना पड़ रहा है।
सीएम भूपेश बघेल और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की जेड प्लस सिक्योरिटी में सर्वाधिक जवानो की तैनाती की बात लोगो को समझ आ रही है। लेकिन कुपात्रों की तीमारदारी में पुलिस के जवानों व अफसरों की तैनाती परित्राणाय साधूनाम् जैसे सूक्ति वाक्य को मुँह चिढ़ा रही है। इन दिनों छत्तीसगढ़ पुलिस के कई जवानो का बुरा हाल है। कुपात्रों की चौखट पर उन्हें सरकारी सुरक्षा के नाम पर झोक दिया गया है। वे बताते है कि सुरक्षा के बजाय उन्हें कई प्रकार के ऐसे भी कार्य करने होते है, जो अक्सर न गवार गुजरते है।