पटवारी और अधिकारी ने जमीन को उड़ाया….रसूखदार जमीन चोर ने किसे किया फ्लैट गिफ्ट…क्यों नहीं उठ रही आवाज…..आम जनता में शुरू हुई चर्चा
पटवारी और अधिकारी ने जमीन को उड़ाया….रसूखदार जमीन चोर ने किसे किया फ्लैट गिफ्ट…क्यों नहीं उठ रही आवाज……आम जनता में शुरू हुई चर्चा
बिलासपुर : राजस्व अधिकारियों और जमीन दलालों की मिलीभगत के चलते अपोलो हॉस्पिटल बिलासपुर स्थित जमीन का मामला अभी तक नहीं सुलझ पाया है। इस मामले में कई बार शिकायतें हुई। परिणाम ढाक के तीन पात ही साबित हुआ। राजस्व अधिकारियों और जमीन माफियों की अटूट गठजोड़… शासन प्रशासन पर आज भी भारी है। यही कारण है कि जमीन दलालों ने पटवारी और तहसीलदार से मिलकर अपोलो की बिना नामान्तरण जमीन को पहले अपने नाम किया। इसके बाद करीब एक किलोमीटर उड़ाकर सरकारी जमीन पर बैठवा दिया है।
जानकारी देते चलें कि अपोलो अस्पताल के सामने बहुत बड़ा मैदान है। मैदान के एक हिस्से मे सायकल स्टैण्ड है। किसी जमाने में यह जमीन किसी पटाखा वाले की थी। तात्कालीन समय गायब जमीन को पाने के लिए पटाखा वाले ने तहसीलदार, पटवारी और कलेक्टर कार्यालय के सामने जमकर ऐड़ी रगड़ा। लेकिन जमीन नहीं मिली। अन्ततः पटाखा वाले ने परिवाद दायर कर दिया।
कोर्ट ने बतायी कहां है जमीन
जिला कोर्ट के आदेश पर जमीन तलाशने के लिए एक टीम का गठन किया गया। काफी छानबीन के बाद जानकारी मिली कि जिस स्थान पर अपोलो का सायकल स्टैण्ड है। दरअसल वह जमीन पटाखावाले का है। जानकारी के बाद एसईसीएल ने जमीन रजिस्ट्री के बाद पटाखावाले को मुआवजा दिया। लेकिन नामान्तरण का काम नहीं हुआ।
जमीन उड़ाकर सरकारी जमीन पर बैठाया
पटवारियों के साथ बिना नामान्तरण और सरकारी जमीन की तलाश करने वाले जमीन माफियों की नजर खसरा नम्बर 67 पर गयी। जमीन को जिले के एक नेता ने खरीदा। नेता को समझते देर नहीं लगी कि वह फंस गया है। आनन फानन में उसने जमीन को को स्थानीय जमीन माफिय को बेचा। जमीन माफिया ने शहर के एक रसूखदार व्यापारी के साथ जमीन को पटवारी के सहयोग से करीब कुछ सौ मीटर उड़ाकर सरकारी जमीन पर बैठा दिया।
सरकारी जमीन पर शहर के रसूखदार जमीन चोर ने शानदार फ्लैट बनवाया और लाखों रूपयों की कीमत में एक एक फ्लैट बेचा। बाद में कुछ लोगों ने सरकारी और अपोलो की जमीन को लेकर जिला प्रशासन के सामने शिकायत दर्ज कराया। शिकायत के बाद पटवारी ने फ्लैट नामान्तरण पर रोक लगा दिया। लेकिन तत्कालीन तहसीलदार गभेल और एसडीएम के सहयोग से जमीन माफिया को बचा लिया गया।
सीमांकन हुआ..लेकिन दो रिपोर्ट
सूत्र ने बताया कि जमीन सीमांकन की शिकायत पर तात्कालीन कलेक्टर ने एक टीम का गठन किया। सीमांकन भी किया गया। टीम ने दो रिपोर्ट तैयार किया। एक रिपोर्ट शिकायत करने वाले को थमाया। जबकि दूसरा रिपोर्ट जमीन माफिया के अनुसार तैयार कर तहसीलदार को दिया। ऐसा तत्कालीन तहसीलदार के कहने पर किया गया।
अधिकारी का रिश्तेदार भी शामिल
अधिकारियों को दिया एक एक फ्लैट
फिलहाल एक बार मामला फिर गर्म हो गया है। तहसीलदार और तात्कालीन एसडीएम ने जमीन चोर का जमकर साथ दिया है। सूत्रों की माने तो इस पूरे मामले में तात्कालीन प्रशासनिक अधिकारी का रिश्तेदार भी शामिल है। जिसने पटवारी और आरआई के सहयोग से जमीन को उड़ाने में जमीन चोर का साथ दिया। बताते चलें कि जमीन चोर शहर का रसूखदार व्यापारी है। और ऐसे ही दो मामलों में जेल की हवा खा चुका है।
सूत्रों पर विश्वास करें तो खसरा नम्बर 67 की जगह सरकारी जमीन पर बनाए गए फ्लैट में जमीन चोर ने पटवारी.तहसीलदार और तात्कालीन एसडीएम को एक एक फ्लैट भी गिफ्ट दिया है। ताकि लोकायुक्त में की गयी शिकायत पर जांच ना करें। साथ ही स्थानीय लोगों को मैनेज भी करें। बहरहाल एक बार फिर अपोलो अस्पताल स्थित जमीन का मामला गर्म हो गया है। इसकी वजह तत्कालीन तहसीलदार और पटवारी को बताया जा रहा है। क्योंकि दोनो इस समय आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में कोर्ट कचहरी का चक्कर काट रहे हैं। जिसमें पटवारी का मामला अब वाइन्ड अप हो गया है। जल्द ही तत्कालीन तहसीलदार का केस भी बन्द होने जा रहा है।