वर्तमान मार्केट दर से दस गुना अधिक कीमत पर ख़रीदा वजन मशीन : स्टैंपिंग में सप्लायर को पहूंचाया 70 लाख का फायदा…….. अधिकारियो की मिलीभगत से शासन को लगा करोडो का चूना
रायपुर : सरकारी धन के दुरुपयोग और कमीशनखोरी एवं भ्रष्टाचार के लिए विख्यात महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियो ने गर्भवती महिलाओ और बच्चो के वजन के लिए ख़रीदीकिए गए वजन मशीन में भी सुनियोजित तरीके से भारी गड़बड़ी किया है। अधिकारियो ने सप्लायर एवं कंपनी के साथ मिलकर शासन को करोडो का चूना लगाया है। विभागीय अफसरों ने जिस वजन मशीन को करीब 4000 रुपये की दर पर ख़रीदा है, उसकी ओपन मार्केट में कीमत मात्र 400 रुपये है । इस तरह अधिकारियो ने मशीन को वास्तविक मूल्य से करीब दस गुना अधिक दर पर ख़रीदा है।
भ्रष्टाचार और गड़बड़ी का गढ़ बने महिला एवं बाल विकास विभाग में कमीशनखोरी चरम पर है। विभागीय अफसरों ने शासन को चूना लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। आईसीडीएस के अधिकारियो ने वित्तीय वर्ष समाप्ति के अंतिम दिन 31 मार्च को करीब साढ़े 17 हजार वजन मशीनों के लिए सप्लाई आदेश जारी किया। आपूर्तीकर्ता कंपनी मेसर्स जयंता वेविंग प्राइवेट लिमिटेड ने बिना स्टैम्पिंग के मशीनों की सप्लाई कर दिया और कमीशन की चासनी में डूबे अफसरों ने मशीनों के गुणवत्ता और स्टैम्पिंग की जाँच पड़ताल नहीं किया और सब ओके रिपोर्ट भी दे दिया और सप्लायर ने सभी जिला अधिकारियो को मशीनों की सप्लाई भी कर दिया। मशीने जब जिला मुख्यालयों में पहुंची तो गड़बड़ी और गुणवत्ता की पोल खुल गई। शिकायतो के बाद 11 जुलाई 2022 को आईसीडीएस के उपसंचालक सुनील शर्मा ने सभी जिला अधिकारियो को पत्र जारी कर मशीनों का उपयोग नही करने निर्देशित किया। तब से लेकर आज तक मशीने जिला कार्यालयों में धूल खाते पड़ी हुई है ।
संचालक के बिना अनुमोदन जारी हुआ पत्र !
मशीनों में स्टैंपिंग नहीं होने की शिकायतों के बाद विभाग के अधिकारी नींद से अचानक जागे। आईसीडीएस के उपसंचालक सुनील शर्मा ने 11 जुलाई को महासमुंद रायपुर सहित दर्जन भर से अधिक जिला कार्यक्रम अधिकारियो को पत्र जारी कर मशीनों का उपयोग नही करने निर्देशित किया। उक्त पत्र को पूर्व संचालक दिव्या मिश्रा से अनुमोदन नहीं लिया गया। जिला अधिकारियो को पत्र आम तौर पर संचालक या संयुक्त संचालक जारी करते है पर उपसंचालक ने पत्र जारी किया था। जिस पर अधिकारियो ने दबे जुबान आपत्ति भी किया है। दरअसल जिलों में पदस्थ अधिकांश उपसंचालक सुनील शर्मा से सीनियर है, ऐसे में जूनियर अफसर द्वारा पत्र जारी करने पर सभी ने आपत्ति की। पत्र में अनुमोदन नहीं होने पर एक संयुक्त संचालक ने बताया कि परिस्थिति अनुसार पत्र जारी किया जाता है । कभी कार्योत्तर अनुमोदन लिया जाता है।
महिला बाल विकास में पहले भी वजन मशीनों की खरीदी हुई है, ऐसे में अधिकारियो को नाप तौल विभाग के स्टैंपिंग की जानकारी है। पूर्व में सप्लाई नागपुर के देशमुख द्वारा की जाती रही इस बार कवर्धा के प्रमोद लुनिया की फर्म जयंता वैविंग प्राइवेट लिमिटेड को दिया। विभागीय सूत्रों की माने तो आईसीडीएस के अफसरों ने सप्लायर का स्टैंपिंग में लगने वाले पैसे को बचाने और जेब गरम करने बिना स्टैंपिंग की मशीने सप्लाई करवा दिया। जिससे सप्लायर को करीब साढ़े सत्तर लाख रुपये की बचत, फायदा हुआ है। नाप-तौल विभाग में मशीनों का स्टैंपिंग दर करीब 400 रुपये निर्धारित है। इस पूरी खरीदी प्रक्रिया में उपसंचालक सुनील शर्मा पर कमीशनखोरी कर भ्रष्टाचार का आरोप लगे है।
उपसंचालक के बचाव में संचालक-
महिला बाल विकास आईएएस दिव्या मिश्रा ने
महिला बाल विकास आईएएस दिव्या मिश्रा ने अपने उपसंचालक का बचाव किया। स्टैंपिंग और अनुमोदन को लेकर उनसे सीधी बात की गई ।
सवाल- उपसंचालक द्वारा जारी पत्र में संचालक का अनुमोदन नहीं है, फिर भी पत्र जारी हो गया?
जवाब- आपको कैसे पता की संचालक का अनुमोदन नहीं है? अनुमोदन के बाद ही पत्र जारी किया गया होगा।
सवाल – किसी भी पत्र में संचालक या आयुक्त द्वारा अनुमोदन के बाद जारी होता है, उक्त पत्र में ऐसा कुछ भी नहीं लिखा गया है। संचालक ,संयुक्त के रहते उपसंचालक को पत्र जारी करने की नौबत क्यों आन पड़ी?
जवाब– आईसीडीएस प्रभारी (बायर) पत्र जारी करने सक्षम है, उस पर प्रश्न नहीं उठना चाहिए।