गौठान में वर्मी कंपोस्ट घोटाला आया बाहर : कंपोस्ट के नाम पर गोबर छान कर बेच रहे अधिकारी
रायगढ़ : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की गोधन न्याय योजना की जहां पूरा देश तारीफ करते नहीं थक रहा है। वहीं उनके अपने ही सरकार में बैठे अधिकारी और विभाग के लोग इस योजना पर पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। रायगढ़ कृषि विभाग द्वारा वर्मी कंपोस्ट की बोगस बिक्री कर किसानों के साथ ही राज्य सरकार को बट्टा लगाने का काम किया जा रहा है। रागी की आड़ में प्रशासन को चूना लगाने वाले कृषि विभाग में घोटाले अब समय बीतने के साथ सामने आने लगे हैं। बीते एक साल से खाद, बीज और रागी को लेकर आए दिन सुर्खियों में रहने वाले कृषि विभाग में अब वर्मी कंपोस्ट और नलकूप खनन घोटाले की खबरें आ रही हैं। सूत्र बताते हैं कृषि विभाग के अधिकारियों को गोठानों का नोडल अधिकारी बनाया गया है। इन्हीं गोठानों के गोबर से यहीं महिला स्व सहायता समूह वर्मी कंपोस्ट खाद बनाती है। गोठानों में खाद नहीं होने के बाद भी इसे कागजों में बेच दिया गया और महिला स्व सहायता समूहों के खाते में पैसे भी आ गए। यहां एक उदाहरण से समझते हैं कि पुसौर के दाउभठली गोठान जहां खाद था ही नहीं वहां से 19 मार्च 2022 को सहकारी समिति बड़े हल्दी को 1.07 लाख किलो वर्मी कंपोस्ट देने का आर्डर निकल गया (क्यू आर कोड जनरेट करना), बड़े हल्दी सहकारी समिति के मार्फत अपेक्स बैंक ने 10 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 10 लाख 73 हजार 700 रुपये का भुगतान हो गया। पर किसानों को पूरा खाद अभी तक नहीं मिला है क्योंकि गोठान में खाद है ही नहीं। गोठान में खाद नहीं है तो उसकी बोगस बिक्री का षड़यंत्र क्यों रचा जा रहा है। यहां बात एक ब्लॉक के एक गोठान के एक ऑर्डर की हुई है। विभागीय जांच हो तो सिर्फ वर्मी कंपोस्ट घोटाला करोड़ों तक पहुंच जाए तो कोई आश्यर्च नहीं होगा। पुसौर विकासखंड में 51 गोठान हैं। पूरे जिले में 9 विकासखंडों में 545 और 10 नगरीय निकाय में 10 मिलाकर कुल 555 गोठान हैं। . केचुआ खाद से जुड़ी एक और मजेदार बात यह है कि यह 45-60 दिनों में खराब हो जाता है। ऐसे में क्यूआर कटने के दो महीने के भीतर ही इसकी डिलिवरी किसानों को करनी होती है, पर जिले में कई महीनों के कटे हुए क्यूआर हैं अर्थात वह खरीदी ही समाप्त हो गई और राज्य सरकार को भारी राशि चुकानी पड़ रही है। गोठानों में खाद नहीं है जो किसान सीधे वहां जाकर वर्मी कंपोस्ट खरीद रहे हैं उन्हें गोबर छान कर दिया जा रहा है। अब जब किसानों को खेती किसानी के लिए केचुआ खाद देने की बारी आई है तो गोठान के कर्मी गोबर छानकर वर्मी कंपोस्ट के नाम पर दे रहे हैं। सीधे तौर पर पुसौर के प्रभारी एसएडीओ शामिल हैं जो अपने कर्मचारियों पर दबाव बनाते हुए कार्य कर रहे हैं। इसी तरह जिला खनिज न्यास मद (डीएमएफ) की राशि भी गोठानों में गोधन न्याय योजना के तरह खर्च की जानी थी, लेकिन राशि गई तो सिर्फ अधिकारियों की जेब में। मद से जो सामग्रियां आनी थी और किसानों तक पहुंचनी थी उसका बंदरबाट किया जा रहा है ।