आदिवासी के जमीन को बिना कलेक्टर की अनुमति के सामान्य वर्ग में किया रजिस्ट्री
News Desk:सक्ती। आदिवासी की जमीन को बिना जिला दंडाधिकारी के अनुमति सामान्य वर्ग को रजिस्ट्री कर देने का मामला सामने आया है। कंचनपुर में बारह डिसमिल आदिवासी की भूमि को सामान्य वर्ग में रजिस्ट्री कर दी गई है। मिली जानकारी के अनुसार जानकी बाई, कु. ममता, कु. पद्मिनी व सोनू की जगह हिमांशु का उर्फ़ लगा अधारकार्ड देते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग से सटी बारह डिसमिल भूमि को आम मुख्तियार बन जगदीश बंसल द्वारा खसरा क्रमांक 14/3 को रजिस्ट्री करा शासन को शुल्क में भी चुना लगाया गया है। बता दें कि नगर सहित जिले के अधिकांश जगहों में जगदीश बंसल द्वारा शासकीय भूमि सहित कुछ निजी भूमियों को अपने नाम कराने का आरोप लगता रहा है, वहीं इस बार आदिवासी की जमीन को खारिज प्रकरण को आदेश बता बिना जिला दंडाधिकारी के अनुमति के आम मुख्तियार बन मुस्कान बंसल के नाम खरीदने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
कलेक्टर ने जिस आवेदन को खारिज किया उसे आदेश बता किया गया फर्जीवाड़ा
कलेक्टर के समक्ष जानकी बाई वगैरह द्वारा अपने स्वामित्व की बारह डिसमिल भूमि को विक्रय करने आवेदन किया गया था, जिसमें उक्त आवेदन को खारिज किया गया, जिसे आदेश बताते हुए रजिस्ट्रीकर्ता अधिकारी द्वारा अनुसूचित जनजाति के लिए बनाये गये नियमों को धता बताते हुए टिप लिख खारिज आदेश को पक्ष का आदेश दर्शित करते हुए बिना अनुमति रजिस्ट्री कर दिया गया। प्रतीक खेमका तत्कालीन उपपंजीयक सक्ती को कारण बताओ नोटिस की गई तामिल उक्त मामले के संबंध में कलेक्टर के संज्ञान में आते ही उपपंजीयक को नोटिस देते हुए अनुसूचित जनजाति के भूमि संबंधी धारा अन्तर्गत सात दिवस के भीतर जवाब मांगा गया है। जिस तरह से पूरे मामले में दिमागी खेल करते हुए खेला गया है उससे जानकारों का मानना है कि सीधे तौर पर आदिवासी समाज के लिए बने संविधान के साथ खिलवाड़ करते हुए उपपंजीयक और आम मुख्तियार दोषी हैं और इन परिस्थितियों में एक्ट्रोसिटी एक्ट अन्तर्गत अनुसूचित जनजाति आयोग को स्वेमेव संज्ञान लेकर कार्यवाही करने का प्रावधान भी है।
सोनू नाम के आगे बिना शासकीय आदेश के उर्फ हिमांशु लिख किया गया फर्जीवाड़ा
रजिस्ट्री में उपयोग किए गए फार्म बी-1 किश्तबंदी खतौनी (आसामीवार) में जानकी बाई बेवा गणेश राम, कुमारी ममता बाई, कुमारी पद्मिनी, बा सोनू पिता गणेशराम दर्ज है, लेकिन दस्तावेज के साथ छेड़छाड़ करते हुए सोनू के नाम के बाद उर्फ हिमांशु लगा रजिस्ट्री के समय हिमांशु के दस्तावेज को लगा रजिस्ट्री की गई है, जिसमें जानकारों का मानना है कि सोनू और हिमांशु दो अलग अलग हैं और भूमि में सोनू नाम दर्ज है जिसे छल पूर्वक उर्फ हिमांशु जोड़ के धोखा करने की बात कही जा रही है।
मामले के संज्ञान में आते ही उपपंजीयक प्रतीक को नोटिस जारी कर सात दिवस के भीतर जवाब मांगा गया है। उक्त भूमि में शासन के राजस्व की भी हानि सामने आ रही है, साथ ही बिना अनुमति के किसी भी आदिवासी की कोई भी भूमि को सामान्य वर्ग द्वारा ख़रीदा नहीं जा सकता है।