अडानी की कंपनी ने मुर्दे के नाम पर ली फर्जी मंजूरी, संकट के बादल छाए
सरगुजा : अडानी को कोयला निकालने के लिए पेड़ काटने की अनुमति लेने अफसरों ने ग्राम सभा में मौजूद आदिवासियों की संख्या को तीन गुना बढ़ाकर दिखाया।
अनुसूचित जनजाति आयेाग ने सरगुजा कलेक्टर को पत्र लिखकर हसदेव के पेड़ों की कटाई रोकने को कहा है। आयेाग ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि परसा कोल ब्लॉक के लिए जो पेड़ काटे जा रहे हैं उनकी अनुमति फर्जी दस्तावेज तैयार कर ली गई है। आयोग ने कहा कि अफसरों ने आदिवासियों को प्रताड़ित कर फर्जी अनुमति तैयार की।
अडानी को कोयला निकालने के लिए पेड़ काटने की अनुमति लेने अफसरों ने ग्राम सभा में मौजूद आदिवासियों की संख्या को तीन गुना बढ़ाकर दिखाया। आयोग ने कहा कि यह पूरा मामला अनुसूचित जानजाति प्रताड़ना में आता है। लेकिन यहां पर सवाल यह उठता है कि क्या अडानी पर आयोग की इस चिट्ठी का असर होगा। क्या हसदेव में चल रही पेड़ों की कटाई रुक जाएगी। क्योंकि अडानी के हाथ बहुत लंबे हैं।
ग्राम सभा की कार्यवाही में इस तरह पाई गईं अनियमितताएं
ग्राम साल्ही में 27 जनवरी 2018 ग्राम सभा हुई। उपस्थिति पंजी में मौजूद ग्रामवासियों की संख्या 150 दर्ज है। लेकिन खनन कंपनी अडानी ने उपस्थित ग्रामवासियों की संख्या 450 कर दी। इसी प्रस्ताव को केंद्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेजा गया। तत्कालीन राजस्व अधिकारी बालेश्वर राम इस पंजी को अपने साथ ले गए थे।
ग्राम हरिहरपुर की 24 जनवरी 2018 की ग्राम सभा की कार्यवाही को सचिव ने आयोग को उपलब्ध कराया। इस कार्यवाही के दौरान 95 लोगों की मौजूदगी थी। लेकिन अडानी ने ग्रामवासियों की संख्या 195 कर इस प्रस्ताव को केंद्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को अनुमति के लिए भेज दिया।
इसी तरह 22 अप्रैल 2017 को ग्राम घाटबर्रा में ग्राम सभा हुई। यहां पर 132 ग्रामवासी उपस्थित हुए। केंद्र सरकार को भेजे प्रस्ताव में इनकी संख्या 482 दिखाई गई। वन एवं राजस्व भूमि के संबंध में कूट रचित तरीके से अनापत्ति ली गई।
ग्राम घाट बर्रा की उपस्थिति पंजी में दिलबंधू नामक व्यक्ति के अंगूठे का निशान दिखाया गया है जबकि उसकी मौत 28 जून 2016 को ही हो गई थी।
हसदेव बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य कहते हैं कि आयोग की रिपोर्ट में स्पष्ट हो गया है कि ग्राम सभा की अनुमति फर्जी तरीके से तैयार की गई। अब पेड़ो की कटाई पर रोक लगनी चाहिए।
आयोग ने दिए ये निष्कर्ष
परसा कोल ब्लॅाक की मंजूरी एवं वन भूमि का डायवर्सन की अनुमति प्राप्त करने के लिए राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड ने जिला प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों का दुरुपयोग करते हुए निर्वाचित महिला आदिवासी सरपंच और मनोनीत ग्रामसभा अध्यक्षों को मानसिक रुप से प्रताड़ित करते हुए कूट रचित फर्जी तरीके से तैयार किए गए प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के लिए अनुचित तरीके से दबाव बनाया जो अनुसूचित जनजाति प्रताड़ना में आता है।
सरकारी कर्मचारियों का विधि विरुद्ध यह कृत्य पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों की स्वायत्त इकाई ग्रामसभा के अधिकारों पर भी हमला है।
आयोग ने पाया कि 24 जनवरी 2018 को ग्राम हरिहरपुर, 26 अगस्त 2017 को फतेहपुर और 24 अप्रैल 2017 को ग्रामसभा घाटबर्रा में कोल ब्लॉक शुरु किए जाने संबंधी अनापत्ति के संबंध में वन एवं राजस्व भूमि के संबंध में बनाए गए प्रस्ताव फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेज हैं।
राजस्थान विद्युत उत्पादन लिमिटेड से इस प्रकरण के संबंध में जवाब मांगा गया था। लेकिन जवाब नहीं दिया गया।
इन सब स्थितियों के कारण वन अधिकार की प्रक्रिया अपूर्ण है और ग्राम सभा की प्रक्रिया भी फर्जी एंव कूटरचित है। इसलिए परसा कोल ब्लॉक के लिए दी गई अनुमति शून्य की जाए।
राज्य जनजाति आयोग यह सिफारिश करता है कि फिर से ग्रामसभा आयोजित की जाए और आयोग को इसकी जानकारी दी जाए।
समिति के सदस्यों ने मांग की है कि आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए और परसा कोल ब्लॉक के सबंध में की कार्यवाही शून्य की जाए।
क्या है मामला
हसदेव के जंगल में दूसरे कोल ब्लॉक के लिए अडानी की कंपनी ने फिर पेड़ों की कटाई शुरु कर दी है। हसदेव अरंड में तीन कोल परियोजनाएं अडानी की कंपनियों को आवंटित की गई हैं। परसा ईस्ट केते वासन, परसा कोल ब्लॉक और केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक। परसा ईस्ट के पहले चरण के लिए लाखों पेड़ काटे जा चुके हैं। अब परसा कोल ब्लॉक के लिए पेड़ों की कटाई शुरु हो गई है। इन तीनों परियोजनाओं के लिए हसदेव के 10 लाख पेड़ कटेंगे।
इन परियोजनाओं से राजस्थान सरकार की बिजली कंपनियां अडानी से कोयला खरीदती हैं। अडानी की राजस्थान सरकार के साथ ज्वाइंट वेंचर में बनी कंपनी ये काम करती है। जिस कोल ब्लॉक के लिए पेड़ों की कटाई शुरु हुई है उसमें करीब ढाई लाख पेड़ कटने हैँ और इसके बाद जिस कोल ब्लॉक पर काम किया जाएगा उसमें छह से सात लाख पेड़ काटे जाने हैं। हसदेव बचाओ समिति के लोग इन पेड़ों को काटे जाने का विरोध कर रहे हैं। जनजाति आयोग के सामने हसदेव बचाओ समिति ने इसकी शिकायत की।
आयोग ने इस मामले की जांच कराई जिसमें से सारी अनियमितताएं और फर्जी दस्तावेज से पर्यावरण क्लियरेंस लेने का खुलासा हुआ। अब मामला सीएम कोर्ट में है। अब सवाल यह है कि इतना सब मामला सामने आने के बाद क्या आदिवासी सीएम विष्णुदेव साय आदिवासियों की गुहार सुनकर अडानी को पेड़ काटने से रोक पाएंगे।