छत्तीसगढ़ के जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों और उनकी अमानवीय स्थिति को लेकर हाइकोर्ट में हुई सुनवाई, डीजी जेल के शपथ पत्र पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी
जेलों में कैदियों की अमानवीय स्थिति और मारपीट के मामले को लेकर हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है। 5 नवंबर को डीजी जेल ने इस मामले में शपथ पत्र पेश किया जिसे हाईकोर्ट ने औपचारिक मानते हुए नाराजगी जाहिर किया और दूसरा शपथ पत्र प्रस्तुत करने को कहा है।
बिलासपुर : छत्तीसगढ़ के जेलों में क्षमता से अधिक बंदियों को रखें जाने और अमानवीय स्थिति को लेकर जनहित याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई की। डीजी जेल के शपथपत्र को अपर्याप्त मानते हुए कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए नए शपथ पत्र और तुलनात्मक चार्ट के साथ फिर से इसे प्रस्तुत करने को कहा है। इसके साथ ही सारंगढ उपजेल में हुए बलवे और छत्तीसगढ़ के जेलों में आनाधिकृत वस्तुओं के लाने पर भी डिविजन बैंच में डीजी जेल ने शपथपत्र प्रस्तुत किया। कोर्ट ने बाकी आरोपी जेलकर्मियों पर कब तक कार्यवाही की जाएगी, यह बताने के निर्देश भी दिया गया है।
शासन ने दोषियों के खिलाफ जांच और कार्यवाही के लिए 15 दिन का समय मांगा है । जिसे स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने 26 नवंबर को अगली सुनवाई निर्धारित किया है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय जेलों में क्षमता से अधिक बंदियों को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इसके कुछ समय बाद जेलों में कैदियों की अमानवीय परिस्थितियों को लेकर एक जनहित याचिका लगाई गई है।
इस बीच हाईकोर्ट के संज्ञान में भी कुछ माध्यमों से यह बात आई है कि जेलों में कैदियों की स्थिति अच्छी नहीं है। और जेल में मारपीट जैसी घटनाएं घटीट हो रही है जिसे माननीय न्यायालय ने पत्र याचिका के तौर पर स्वीकार किया है। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने सभी मामलों पर एक साथ सुनवाई शुरू की है । हाईकोर्ट ने अधिवक्ता रणवीर मरहास को न्यायमित्र नियुक्त किया था। लगातार चल रही सुनवाई में पहले शासन ने बताया था कि जेलों में कैदियों के स्वास्थ्य और अन्य सुविधाओं को लेकर काम किया जा रहा है। इसी तरह रायपुर और बिलासपुर जिले में विशेष जेलों की स्थापना और बेमेतरा में खुली जेल शुरू करने की बात कही गई है। सरकार के वकील ने तब कहा था कि रायपुर जिले में विशेष जेल हेतु भूमि मिल चुकी है बाद में इसमें काम शुरू कर दिया गया है। बेमेतरा में भी एक खुली जेल की स्थापना की जा रही है,इसका काम अंतिम चरण पर है। मंगलवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में जो शपथपत्र शासन की ओर से प्रस्तुत किया गया, उससे कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ। डिविजन बैंच ने कहा कि, 2018 से अब तक जेलों में क्या सुधार किए गया हैं या क्या कदम उठाये गए, इस बारे में महानिदेशक जेल को नए सिरे से शपथपत्र देने के निर्देश दिए गए हैं।
डीजी जेल ने पेश किए दो शपथ पत्र:–
सारंगढ़ उपजेल में हुई मारपीट को लेकर भी मंगलवार को चीफ जस्टिस की डीबी में सुनवाई हुई। इस दौरान डीजी जेल ने एक शपथपत्र प्रस्तुत किया। दूसरा शपथपत्र जेलों में आने वाले अनधिकृत सामान को लेकर भी दिया गया। पहले शपथपत्र में बताया गया कि जेल में मारपीट के 10 दोषियों में से 7 के खिलाफ जांच पूरी कर ली गई है। इसके अलावा शेष बचे 3 लोगों के लिये जांच में समय लगने की बात कही गई। कोर्ट ने कहा इसे आप कब तक पूरा करेंगे, शासन के अनुरोध पर 15 दिन का समय दिया गया। इसी तरह बिलासपुर और रायपुर जेल में हुई मारपीट का भी मामला सामने आया है।