छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित महादेव सट्टा मामले की जांच अब सीबीआई को सौप दिया गया है जिसकी जांच अब सीबीआई ने शुरू कर दिया है। बताया जाता है कि ईडी और ईओडब्ल्यू में दर्ज मामले की डायरी को अब सीबीआई के अधिकारियों के हवाले कर दिया गया है…….
रायपुर: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित महादेव सट्टा एप मामले में अब सीबीआई की एंट्री हो गई है। अब इस कथित घोटाले की जांच सीबीआई करेगी। पहले यह केस ईडी और आर्थिक अपराध शाखा के दायरे में थी। ईडी और ईओडब्ल्यू में दर्ज मामले की डायरी अब सीबीआई के अधिकारियों को सौंपी गई है। केस लेते ही सीबीआई ने जांच भी शुरू कर दिया है। मामले की पड़ताल के लिए सीबीआई की स्पेशल टीम दिल्ली से छत्तीसगढ़ भेजी गई है। मामले में छह हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की कथित धोखाधड़ी हुआ है।
महादेव सट्टेबाजी घोटाले मे शीर्ष पुलिस अधिकारी गण भी इसमें शामिल हैं
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा किए गए विस्फोटक खुलासों के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) करोड़ों अरबों रुपये के महादेव सट्टेबाजी घोटाले की जांच शुरू करने के लिए तैयार है। पिछले सप्ताह छत्तीसगढ़ सरकार ने जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
रायपुर विशेष पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) अदालत में तीन आरोपपत्र दाखिल करने वाले ईडी ने कई उच्च रैंकिंग वाले भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारियों, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारियों, विशेष कार्य अधिकारियों (ओएसडी), पुलिस कर्मियों और राजनेताओ के बीच महादेव ऐप के समर्थकों सहित आरोपियों के बीच सांठगांठ को उजागर किया था। इसने उच्चतम स्तर पर भ्रष्टाचार के बारे में गंभीर चिंताएँ पैदा की थीं। राष्ट्रीय जगत विजन के पास तीनों आरोपपत्रों की प्रतियां हैं।
छत्तीसगढ़ कैडर के 2013 बैच के राज्य पुलिस सेवा (एसपीएस) अधिकारी एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) अभिषेक माहेश्वरी ने सतीश द्वारा कथित तौर पर दी गई सूचना के आधार पर महादेव सट्टेबाजी पैनल पर छापेमारी की।
हालांकि, माहेश्वरी कथित रूप से इसमें शामिल हो गए, उन्होंने मामले को सुलझा लिया और बाद में सट्टेबाजी नेटवर्क को संरक्षण प्रदान किया, जिससे आगे की गतिविधियों को रोका जा सका।
ईडी द्वारा दायर अभियोजन शिकायत के अनुसार, उन पर पुलिस कार्यवाही का कोई आरोप नहीं है, जो कोयला घोटाले में भी उनके खिलाफ जांच कर रही है।
इन आरोपों को और गहरा करने वाला एक अन्य आरोपी, छत्तीसगढ़ पुलिस के निलंबित सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) चंद्रभूषण वर्मा द्वारा माहेश्वरी के खिलाफ दिया गया बयान है। वर्मा ने आरोप लगाया कि माहेश्वरी को नवंबर-दिसंबर 2021 से जून 2023 तक ऐप प्रमोटरों से हर महीने 35 लाख रुपये मिले। यह भी कहा गया है कि सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल ने रायपुर के पॉश आवासीय परिसर, रामायण एन्क्लेव में माहेश्वरी के लिए एक शानदार फ्लैट की खरीद का वित्तपोषण किया। अभियोजन पक्ष की शिकायत के अनुसार, यह खरीद कथित तौर पर छत्तीसगढ़ में अतिरिक्त एसपी (अपराध) और खुफिया अधिकारी के रूप में माहेश्वरी के कार्यकाल के दौरान और बाद में रायपुर और बिलासपुर (ग्रामीण) में एएसपी के रूप में हुई थी। माहेश्वरी ने सोमवार को राष्ट्रीय जगत विजन को बताया कि उनके खिलाफ आरोप निराधार हैं और वह कभी भी दोनों आरोपियों के संपर्क में नहीं थे।
अब देखिए किसे कितना पैसा मिलता था…
अफसरों और नेताओं को हर महीने करोड़ों की प्रोटेक्शन मनी
ईडी और ईओडब्ल्यू ने आरोप लगाया था कि सट्टा बिना किसी रुकावट चलाने के लिए सिक्योरिटी मनी के तौर पर हर महीने एक से दो करोड़ रुपये पुलिस के अधिकारियों और नेताओं को दिए जा रहे थे। एक बड़े नेता पूर्व मुख्यमंत्री पर भी गंभीर आरोप लगाया गया था। सट्टेबाजी एप के एक प्रमोटर ने दुबई से वीडियो जारी कर खुद इसका दावा किया था। आईटी के छापे और ईडी की रिपोर्ट में भी ये तथ्य सामने आए हैं, लेकिन गिरफ्तारी किसी की भी अभी तक नहीं की गई है। इसलिए सरकार ने सीबीआई जांच का फैसला लिया है।
अब तक इनकी हुई थी गिरफ्तार
ईडी ने 2022 में ECIR दर्ज किया था। इसमें सट्टेबाजी के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर, शुभम सोनी, रवि उप्पल, अतुल अग्रवाल को आरोपी बनाया गया। जांच शुरू की गई। ईडी ने सिपाही, एएसआई रैंक के पुलिस कर्मियों, मीडिया से जुड़े लोगों को गिरफ्तार किया है। इसके बाद हवाला कारोबारी, निवेशक, व्यापारी भी गिरफ्तार किए गए हैं। जांच में अधिकारियों और नेताओं के नाम सामने आए, लेकिन किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया।
ED के पास 6000 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत
चार्जशीट में कई नेताओं, ओएसडी, आईजी रैंक के दो अधिकारी, एसएसपी, एएसपी, टीआई रैंक के अधिकारी और विधायक का जिक्र था लेकिन कभी इनके घर पर छापा नहीं मारा गया। ईडी ने महादेव ऐप के मालिक, उनके परिवार, बिजनेस पार्टनर और प्रचार करने वाले सेलिब्रिटीज के लिए टिकटिंग का काम संभालने वाली ट्रैवल एजेंसी पर भी छापेमारी की थी।