छत्तीसगढ़ में विधान सभा उपचुनाव में ब्लैकमनी के इस्तेमाल और PHE विभाग में 800 करोड़ के लेन-देन पर ED की निगाहें,ट्रैन में ढोये गए बक्सों की पड़ताल भी जारी,आधा दर्जन से ज्यादा नई टीम बड़े मिशन पर
रायपुर / दिल्ली : छत्तीसगढ़ में आईटी-ईडी की पड़ताल जोरो पर है। छापो की जद में आए अफसरों के अलावा उनसे जुड़े कई कारोबारियों की चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा लगातार बढ़ते जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक ईडी ने रायपुर,दुर्ग,बेमेतरा,राजनांदगांव, महासमुंद,बिलासपुर,रायगढ़ और बालोद में आधा दर्जन अफसरों की लगभग 40 जमीने चिन्हित की है। इनमे से ज्यादातर संपत्ति अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों की है।
बताते है कि पांच दागी अफसरों समेत कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी की कुछ ख़ास संपत्ति की खरीदी-बिक्री पर रोक की कवायत प्रक्रिया में है। इसके लिए ईडी ने कुछ रजिस्ट्रार-पंजीयकों को पत्र लिखकर ब्यौरा माँगा है।
बताया जा रहा है कि राज्य में विधान सभा उपचुनाव में ब्लैकमनी के इस्तेमाल पर भी ईडी की निगाहें है। सूत्रों के मुताबिक ईडी की एक टीम ने आज कांकेर की भानुप्रतापपुर इलाके में नामांकन प्रक्रिया शुरू होते ही कुछ ख़ास ठिकानो का जायजा लिया है।
सूत्र बताते है कि इस इलाके में ईडी अफसरों का सादी वर्दी में सक्रिय कुछ ऐसे कार्यकर्ताओ से भी सामना हुआ है,जिनके बारे में पता पड़ा कि वे “जवान” कुछ खास कार्य के लिए तैनात किए गए है। बताया जा रहा है कि चुनाव के दौरान ब्लैक मनी के इस्तेमाल पर लगाम लगाने के साथ-साथ कुछ संदेही अफसरों पर ईडी ने अपनी निगाहें गड़ा रखी है।
उधर ट्रेनों पर सवार होकर हवाला कारोबार को अंजाम देने वाले पॉइंटर्स की खोजबीन,पड़ताल और शिनाख्ती के लिए ईडी की एक अन्य टीम के मैदान में डटे होने की खबर है। बताया जा रहा है कि आईटी-ईडी के छापो से पूर्व सूर्यकांत और एक महिला अफसर ने करोडो की रकम इधर से उधर की थी। सूत्रों का दावा है कि कुछ खास वर्दीधारी अफसरों की निगरानी में ब्लैकमनी को हवाला के जरिए भी ठिकाने लगाया जा रहा था। सूत्र बताते है कि रेलवे के महीनो पुराने सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे है।
जानकारी के मुताबिक ईडी की अन्य टीम सेंट्रल फंडिंग वाली कुछ योजनाओं का जायजा भी ले रही है। इसमें वन विभाग की कैम्पा योजना और PHE विभाग की जल-जीवन मिशन योजना के आर्थिक पहलुओं का अध्ययन किया जा रहा है।
सूत्र बताते है कि जल-जीवन मिशन के करीब 800 करोड़ के बिलो का भुगतान होना है। केंद्र ने अपने हिस्से की रकम राज्य सरकार को सौंप दी है। बताया जाता है कि इसका भुगतान जल्द शुरू होगा। ईडी की नजर इस भुगतान के तौर -तरीको पर भी बताई जा रही है।
बताते है कि PHE के कई ठेकेदारों ने अपने संगठन के जरिए ईडी को सबूतो के साथ शिकायते की थी। इसमें बिलो के भुगतान में कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार का पुलिंदा सौंपा गया था। सूत्र बताते है कि राज्य में ईडी की नजर कोल कारोबार ही नहीं बल्कि अन्य विभागों में अफसरों द्वारा अंजाम दिए जा रहे आर्थिक मामलो पर भी है।