घोटालों का सरताज लोकपाल सिंह जोगी को आखिर क्यों और किसके सरपरस्ती में छोडा गया आज तक उसके ऊपर कार्यवाही क्यों नहीं ?
छत्तीसगढ़ : कोरबा जिले के पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक में BEO रहते लोकपाल सिंह जोगी के कार्यकाल में हुए घोटाले की जांच पूरी होने के बाद कार्यालय में पदस्थ 3 कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है, वहीं कंप्यूटर ऑपरेटर को चेतावनी देकर बख्श दिया गया है। आखिर क्यों?
घोटालों की है लंबी फेहरिस्त
कोरबा जिले के पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक में BEO के पद पर पदस्थापना के दौरान लोकपाल सिंह जोगी द्वारा कई घोटाले किये गए, जिसकी काफी लम्बे समय तक शिकायत यहां के शिक्षक संगठनों द्वारा ही की गई। आखिरकार उन्हें यहां से हटाते हुए बिलासपुर जिले के तखतपुर में इसी पद पर तबादला कर दिया गया। इस दौरान हुए घोटालों की जांच शिक्षा संभाग बिलासपुर के संयुक्त संचालक स्तर पर कराई गई। जांच में लगभग अधिकांश शिकायतें सही पाई गईं।
इन्हें किया गया निलंबित
शिक्षा संभाग बिलासपुर के संयुक्त संचालक आर एन हीराधर द्वारा जारी आदेश में पहला नाम प्रधान पाठक परमेश्वर प्रसाद बनवा का उल्लेख है, जिनके ऊपर आरोप है कि उन्होंने BEO लोकपाल सिंह जोगी द्वारा दिए गए 2 लाख रूपये के बेयरर चेक को अपने नाम पर नगद भुगतान कराया। बाद में जब जांच के दौरान परमेश्वर प्रसाद को नोटिस जारी किया गया तब उन्होंने 2 लाख रूपये का चालान विभाग में जमा कर दिया। इसका उल्लेख करते हुए परमेश्वर प्रसाद को निलंबित करते हुए BEO कार्यालय पोड़ी उपरोड़ा में अटैच कर दिया गया इसी तरह BEO कार्यालय के प्रभारी लेखपाल छब्बी कुमार अहिरवार को भी निलंबित किया गया है। उनके निलंबन आदेश में भी BEO लोकपाल सिंह जोगी के कार्यकाल के दौरान की गई 11 गड़बड़ियों का उल्लेख है। इसमें प्रमुख रूप से बिसु राम भृत्य का 14 माह की अनुपस्थिति का गलत तरीके से वेतन बनाकर भुगतान करना, बहादुर भृत्य के 72 महीने तक गैरहाजिर रहने के बावजूद उसके वेतन का भुगतान करना भी शामिल है। इसके अलावा BEO लोकपाल सिंह जोगी के साथ मिलीभगत करके लाखों रुपयों का भुगतान अलग-अलग माध्यम से किया गया। इस वजह से छब्बी कुमार को निलंबित किया गया, और उनका मुख्यालय DEO कार्यालय, कोरबा नियत किया गया है।
BEO कार्यालय में ही पदस्थ सहायक ग्रेड -2 पीके मिश्रा को भी निलंबित किया गया है। मिश्रा के ऊपर भी गलत तरीके से भुगतान करने में BEO लोकपाल सिंह जोगी का सहभागी माना गया है। इसके अलावा BEO कार्यालय में ही तैनात कंप्यूटर ऑपरेटर बृजेन्द्र कुमार बानी को केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है। बृजेन्द्र पर आरोप है कि उसने BEO जोगी द्वारा दिए गए 1 लाख 38 हजार रूपये के बेयरर चेक को भुनाने का दोषी पाया गया है ।वही ब्लॉक के 3 कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।कोरबा जिले के पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक में BEO रहते लोकपाल सिंह जोगी के कार्यकाल में हुए घोटाले की जांच पूरी होने के बाद कार्यालय में पदस्थ 3 कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है, वहीं कंप्यूटर ऑपरेटर को चेतावनी देकर बख्श दिया गया है।
बलि का बकरा बनाने का आरोप
पोड़ी-उपरोड़ा में BEO के कार्यकाल के दौरान जोगी के सहभागी होने के मामले में जिन 3 कर्मियों को निलंबित किया गया है उनमें पीके मिश्रा ने खुद को निर्दोष बताया है। मिश्रा का कहना है कि उनके ऊपर भृत्यों को महीनों के वेतन भुगतान में सहयोग का आरोप लगा है, जबकि इस तरह के भुगतान का उल्लेख कर्मियों की सेवा पुस्तिका में होना चाहिए। मिश्रा का कहना है कि BEO जोगी ने सारे भुगतान उनकी जानकारी के बिना ही लेखपाल की मिलीभगत से बाहर ही बाहर कर दिए गए और सेवा पुस्तिका में इसका उल्लेख ही नहीं किया गया। इसी तरह दिवंगत कर्मी प्रफुल्ल खलखो की पत्नी प्रमिला खलखो को आज तक 2 लाख रूपये का भुगतान नहीं किये जाने का उल्लेख है, जबकि मिश्रा का कहना है कि भुगतान हुआ है और प्रमिला खलखो ने अपने लिखित बयान में इसका उल्लेख किया है।
“जोगी” के खिलाफ हुई जांच के बाद पोड़ी ब्लॉक के 3 कर्मी निलंबित, BEO पर भी जल्द ही गिरेगी गाज…कोरबा जिले के पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक में BEO रहते लोकपाल सिंह जोगी के कार्यकाल में हुए घोटाले की जांच पूरी होने के बाद कार्यालय में पदस्थ 3 कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है, वहीं कंप्यूटर ऑपरेटर को चेतावनी देकर बख्श दिया गया है।
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“आखिर कार जोगी” पर कब होगी कार्यवाही..?
संयुक्त संचालक के स्तर पर हुई इस जांच में जितने भी घोटालों का उल्लेख है, उससे यह स्पष्ट है कि पूर्व BEO लोकपाल सिंह जोगी के संरक्षण में ही सारे घोटाले हुए हैं। यह भी तय माना जा रहा है कि इतने सारे घोटाले करने वाले “जोगी” का निलंबन भी संभव है, मगर जांच पूरे हुए लंबा समय बीत जाने के बावजूद अब तक जोगी को बख्शा क्यों गया है? कहीं ऐसा तो नहीं की जिस तरह लोकपाल सिंह जोगी के खिलाफ कोरबा जिले में ही कार्रवाई करने की बजाय उसी पद पर दूसरे जिले में तबादले का “ईनाम” दे दिया गया, उसी तरह कहीं उनकी फाइल कहीं दबा न दी जाये। उम्मीद की जा रही है कि विभाग के सक्षम अधिकारी जल्द ही उनके खिलाफ कार्यवाही संबंधी फैसला लेंगे।