राष्ट्रीय जगत विजन विशेष: “छत्तीसगढ़ में तथाकथित गरीब लगाते है 3 से 4 हजार करोड़ का सट्टा पर दाव !”
रायपुर : छत्तीसगढ़ में जल्दी आओ ED/CBI /IT यहां पर बड़े बड़े अवैध,धनकुबेर कारोबारी बेठे है ! तमाम राजनीतिक दलों के नेता, छुटभैये नेता,बड़े भैया नेता तो बहुत है, लेकिन सब है एक ही थैली के चट्टे बट्टे, सता बदलती है ? या तो माफिया बदल जाता है, या जो पहले वालो को दे रहे थे, अब उनको देने लगते है, जनता के,लोगो के घर परिवार बर्बाद होते रहे, जनता को बर्बाद करने वाली इन बुराइयों पर रोक लगाने की किसी को फुर्सत नही है ! ऐसा कोई मर्द नेता,अधिकारी किसी माता ने क्यों नहीं जन्मा ?जो छत्तीसगढ़ में अवैध नशे के कारोबार पर, अवैध जुआ,सट्टा, ड्रग्स, गांजा अफीम तस्करों जैसे मानवता के दुश्मनों पर इन अवैध कारोबारियों पर नकेल कसे ? ऑनलाइन महादेव एप्प पर सट्टा खिलाने वाले बड़े बड़े अंतर्राष्ट्रीय स्तर के गुर्गों को पुलिस गिरफ्तार करने में दिखावे की कड़ी मेहनत तो कर रही है , लेकिन किसलिए ? कौन से कानून के तहत कड़ी सजा दिलायेगी? जब सैंकड़ों करोड़ रु सत्ताधारी के पास जाता हो तो कड़ा कानून बनाएगा कौन ? सबसे बड़ी बात यह है कि सट्टा पर दाव लगाने वाले अक्सर माध्यम वर्ग या गरीब तबके के लोग होते है। सट्टा पर दाव लगाना एक प्रकार का नशा है, रोज कुछ न कुछ हारने के वावजूद भी लोगो को सट्टा पर लगा दाव झूठी उम्मीदों में जिंदा लाश के रूप में जिंदा भर रहने देता है ? महादेव एप्प के माध्यम से सट्टा खिलाने वाले बड़े खिलाड़ियों की गिरफ्तारी मात्र दिखावा है ! तभी तो दुर्ग पुलिस सरेआम मुफ्त की यह सलाह देते हुए दिखी इन लोगो को, कि पुराने ठर्रे पर लौट आओ, राशि इतनी बड़ी है कि ED/CBI/IT हाथ डालेगी तो पुलिस की मंथली कमाई तो जायेगी ही, यदि ED/IT/CBI की गिरफ्त में आए लोगो ने छत्तीसगढ़ पुलिस और नेताओ के संरक्षण का खुलासा कर दिया तो कोई आश्चर्य नहीं कि कई नेता और आईएएस/आईपीएस भी लपेटे में आ जाएंगे ! सभी समझते है कि प्रदेश की ACB असफल हुई तो सौम्या चौरसिया और आई ए एस विश्नोई सहित कोयल घोटाले के दलाल सहित कई बड़े लोग लपेटे में आ गए हैं, और अभी कई लोगों का आना बाकी है। वो नोबत न आए इसलिए तो दुर्ग पुलिस ने जुआ एक्ट की सस्ती सी कार्यवाही में निपटने की मुक्त सलाह दे डाली ? सवाल फिर वही खड़ा है कि है कोई राजनीतिक नेतृत्व,अफसरशाही ऐसी जो उपरोक्त तमाम प्रकार के अवैध कारोबार को स्थाई रूप से बंद कराने में सक्षम हो ? या यह अंतहीन सिलसिला यू ही चलता रहेगा, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव इस वर्ष 2023 में होने जा है, दोनो पार्टियों के नेता एक दूसरे पर झूठे सच्चे आरोप प्रत्यारोप लगाकर,जनता का सस्ता मनोरंजन मात्र कर रहे है ? चुनाव इसी सस्ते मनोरंजन के माध्यम से निपट जायेगा, कोई भी यह बताने की स्थिति में है नहीं कि हमारा शासन,हमारी सत्ता किन मायनो में और किन वजहों से जनहितार्थ साबित होगी ? मुख्यमंत्री जी भेट मुलाकात से जनसमर्थन जुटाने में मशगूल है, प्रश्न पुछने वालों पर भड़कने और गुस्सा दिखाने में माहिर हैं अब आप इसे अहंकार कहे या सत्ता के मद में चूर, कांग्रेस के किसी भी नेता को अपना रूप/वेश बदलकर अपने शासन/सत्ता की असलियत जानने की जरूरत और फुर्सत नहीं है! आज भी भेट मुलाकात कार्यक्रम में किसी का बीपीएल राशन कार्ड नहीं बना है, तो किसी को वृद्धा पेंशन नही मिल रहा है जैसी लोगो की छोटी छोटी शिकायते आ रही है, सत्ता और शासन प्रशासन के लिए ये इतने छोटे छोटे काम भेट मुलाकात कार्यक्रम में सामने आ रहे है तो 4 साल में सत्ता के अंतर्गत काम करने वाला प्रशासन/अधिकारी क्या करते रहे ? उचित यह होता कि CM भूपेश बघेल जी और उनके तमाम मंत्री वेश बदलकर अपने अपने विभागो में सामान्य व्यक्ति बनकर जाते तो सत्ता और जनता की हकीकत के साथ आपकी सत्ता में अफसरशाही कितनी जनसेवक है या फिर कितना भ्रष्टाचार, हकीकत सामने आती ? जगह जगह खुले चॉइस सेंटरों तक में भ्रष्टाचार है, यह अलग बात है कि अब भ्रष्टाचार न सता के लिए और न जनता के लिए कोई मुद्दा है क्योंकि सभी ने यह मान लिया है कि भले ही संविधान और कानून में घुस देना न लिखा हो लेकिन भारत के लोगों के तमाम भगवानों और भाग्य विधाताओ ने तो भारत की जनता के भाग्य में लिखकर भेजा है कि भारत में जन्म लेना है तो घुस के रूप में सता,शासक,शासन,प्रशासन का गुंडा टैक्स देना है ?
विशेष: देश के तमाम राजनीतिक दलों के बीच अघोषित संधि है कि ये लोग आपस में एक दूसरे को ठग,चोर,लुटेरे,बेईमान,बलात्कारी,भ्रष्टाचारी कुछ भी बोलते रहे और होली दिवाली, तीज त्यौहार पर नेताओ के बंगलो से कही मिठाई का डब्बा तो कही बकसिस स्वरूप चंद रुपए लेकर नेताओ की प्रेस विज्ञोतियो के माध्यम से जनता का सस्ता मनोरंजन करते रहे,इनको सब छूट है, लेकिन मजाल है कि कोई व्यक्ति जो इनकी राजनीतिक बिरादरी से बाहर का है ?मसलन, भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार विजिया पाठक हो या रायपुर का पत्रकार सुनील नामदेव जैसे लोग यदि सता और शासक,शासन प्रशासन से सवाल करे तो उनको पुलिस भेजकर गिरफ्तार करवा देंगे या फिर उनका घर तुड़वा दिया जायेगा, जेल भेज दिया जायेगा, लेकिन राजनीतिक बिरादरी के लोग आपस में एक दूसरे को जेल कभी नही भेजते है,यही स्थिति देशभर में स्थानीय प्रशासन की है, कुछ पत्रकार थानों से दिवाली पर पटाखे और मिठाई लेते है बदले में साल भर पुलिस की भक्ति में चालीसा लिखते रहते है, जबकि सता किसी की भी हो?देशभर में राजस्व और पुलिस ये दो विभाग सर्वाधिक भ्रष्ट की सूची में सबसे ऊपर पायदान पर बने रहते है ? तो भक्ति चालीसा किस खुशी में ? तमाम राजनीतिक दलों के छूट भैया /बड़े भैया नेता/युवा नेता, अपने अपने स्तर पर भावी माफिया है !
पढ़िए,सच जानिए, हमारे देश में मंत्री कैसे काम करते है ?उनकी कार्यप्रणाली कैसी होती है ? यदि कोई नेता,जेल मंत्री बनता है तो नया नया मंत्री बनते ही प्रदेश की समस्त जेलों का दौरा करता है? और जेलर,जेल अधीक्षक से गुप्त वार्ता होती है कि क्यों ?पहले वालो को कितना दे रहा था? साहब इतना दे रहा था, मंत्री जी कहते है ठीक है बजट बढ़ा देता हूं, अब मुझे इतना चाहिए? और मीडिया में क्या लिखा जाता है कि मंत्री जी जेल का निरक्षण किया, सब ठीक मिला, केदियो के साथ भोजन किया, भोजन घर जैसा था !सब ठीक है, वयवस्था में और अधिक सुधार हेतु जेल अधीक्षक को निर्देशित किया ?इत्यादि इत्यादि ! वो ही जेल मंत्री फिर कभी अपने 5साल के कार्यकाल में जेलो का निरीक्षण नही करता है?क्यों, क्योंकि जो सेटिंग होनी थी वो तो हो चुकी, अब अगली बार जेल का निरीक्षण तभी होगा जब समय पर माल नहीं पहुंचेगा ?यह स्थिति पूरे देशभर में है, आप ही बताओ,अमूनन प्रत्येक प्रदेश में 25/30जेल होती है, और मंत्री जी के पास 5साल ? तो क्यों न हर महीने कम से कम 10/15जेलो का निरीक्षण करे, और कैदियों की सही स्थिति, सुविधाओ के बारे में रिपोर्ट तैयार करे, किसी की जमानत क्यों नहीं हो रही,किसी कैदी का सही उपचार क्यों नहीं हो रहा? कितने कैदी निर्दोष है उनके लिए अमेरिका की तरह एक अलग से जांच कमेटी बनाए,कमेटी के सदस्य उनके गांव/शहर जाकर, संबंधितो से मिलकर सच का पता लगाए ! लेकिन किस को ऐसी जरूरत पड़ी है,किसी नेता जी को या जेल मंत्री जी को कभी जेल जाना पड़ा तो पहले तो ये लोग अपराध दर्ज होते ही हैस्पिटल में भर्ती हो जाते है और हैस्पिटल में भर्ती न भी हो तो इनको तो जेल में भी होटल जेसी सुविधा मिलनी ही है ? सवाल यह है की सता किसी की भी हो, मंत्री कोई भी हो, ठीक से जबाबदेही पूर्ण काम कोई कर नही रहा है ! माननीय राष्ट्रपति महोदया भी देश के सर्वोच्च न्यायपालिका,पुलिस अधिकारियों की मीटिंग में खुलकर यह चिंता जाहिर कर चुकी है कि जेलो में अधिकांश निर्दोष गरीब लोग बंद है उनके बारे में कोई नहीं सोचता है, पुलिस पता नही किस आवेश में या आदतन ऐसी कलम चलाती है कि बेकसूर लोगो के न केवल घर परिवार बर्बाद हो जाते है बल्कि मामूली मामूली गलतियों में इतनी गंभीर धाराएं लगा दी जाती है कि ग्रामीण तबके के निर्धन लोग सालो तक जेल में रहने को मजबूर होते है ? इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं ! सवाल फिर वही है कि कोई भी अपना काम ठीक से ईमानदारी से कर नही रहा है ! माननीय राष्ट्रपति महोदया ने देशभर के पुलिस अधिकारियों के एक सम्मेलन में स्पष्ट रूप से यह भी चिंता जाहिर की है कि पुलिस के एक हाथ में डंडा होता है ओर दूसरे हाथ के कलम?तो इस कलम का उपयोग करने के पहले कई बार सोचना चाहिए कि वो FIR में किन वास्तविक सुसंगत धाराओं के धाराओं के तहत FIR दर्ज कर रहे है ?क्या माननीय राष्ट्रपति महोदया द्वारा वयक्त इस व्यापक चिंता का असर देश की पुलिस और न्यायपालिका पर पड़ेगा ? या पुलिस और अदालतें अपने पुराने ढर्रे पर चलते रहेंगे ?