राष्ट्रीय जगत विजन के समाचार का हुआ असर…… जल संसाधन विभाग में संविदा पर तैनाती कर भ्रस्ट अफसरों द्वारा किये जा रहे भ्रस्टाचार की खुली पोल, मामले को लिपापोती करने में लगी छत्तीसगढ़ सरकार
150 करोड़ रूपये के लगभग बगैर वित्तीय अधिकार के किया गया भुगतान
रायपुर। छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग में अधिकारियों द्वारा सविंदा पर सेवानिवृत हुए भ्रस्ट अधिकारिओ को महत्वपूर्व जिम्मेदारी देकर किस तरह भ्रस्टाचार किया जा रहा था, इसकी पोल खुल गयी है। राष्ट्रीय जगत विजन ने इस संबंध में लगातार खबरों का प्रकाशन किया था। इसका असर देखने को यह मिला कि आखिरकार शासन ने इस बात को स्वीकार कर लिया कि सविंदा पर पदस्थ किये गये सेवानिवृत अधिकारियों को ना ही केवल महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है और ना ही उन्हें आहरण-वितरण का अधिकार सौंपा जा सकता है।
7 जुलाई 2022 को शासन ने एक आदेश जारी कर सविंदा पर जिन अधिकारियो को महत्वपूर्ण स्थानों पर बैठाया गया था उन्हें हटाने का निर्देश जारी किया है। साथ ही इस आदेश का कड़ाई से अनुपालन कराने को भी कहा है। बुलंद छत्तीसगढ़ ने 31 मई 2022 के अंक में बिलासपुर डिवीजन में सविंदा पर पदस्य किये गये खारंग डिवीजन के कार्यपालन अभियंता आरपी शुक्ला और कोटा डिवीजन के कार्यपालन अभियंता अशोक तिवारी के प्रकरण का उदाहरण देते हुए उनकी तैनाती को और उनके द्वारा काटे जा रहे चेकों की प्रकिया को अवैधानिक एवं नियमों के विपरीत बताया था। बुलंद छत्तीसगढ़ के इस सवाल पर जल संसाधन विभाग में तूफान खड़ा हो गया।अंततः 7 जुलाई 2022 को शासन ने बुलंद छत्तीसगढ़ की रिपोर्ट को सही मानते हुए, सविंदा पर पदस्य अधिकारिओ से आहरण वितरण और उनकी कार्यलय प्रमुख के पद पर तैनाती पर रोक लगा दिया है, फिर भी विभाग के अधिकारी अपनी मनमानी करने पर उतारू है। 10 जुलाई 2022 तक इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की गयी है।