छत्तीसगढ़ में : न्याय नहीं मिलने से आहत सतनामी समाज के युवाओं का राजधानी में नग्न प्रदर्शन, शासन प्रशासन में मचा हड़कंप
रायपुर : छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति के साथ हो रहे अत्याचार और शिकायत के बाद भी न्याय नहीं मिलने से आहत होकर सतनामी समाज के युवाओं द्वारा राजधानी में नग्न प्रदर्शन किया| एका एक नग्न प्रदर्शन की जानकारी मिलते ही प्रशासन, प्रशासन में हड़कंप मच गई | पुलिस ने अम्बेडकर चौक पर प्रदर्शन कर रहे सतनामी समाज के युवाओं को जबरन पेट्रोलिंग वाहन में बैठाया| इससे पहले प्रदेश के विभिन्न जगहों पर पुलिस द्वारा युवाओं को थाने और घरों में भी नज़रबंद किया गया | ताकि वे राजधानी नहीं पहुंच सके | लेकिन दर्जनभर युवा पुलिस प्रशासन को चकमा देकर राजधानी पहुंचने में कामयाब हो गए, जिन्होंने पूर्वनियोजित कार्यक्रम को अंजाम दिया|
राजधानी पहुंचने के बाद सोमवार की दोपहर सभी युवक नग्न अवस्था में साथ में तख़्ती लेकर सड़कों पर मार्च किया| इस दौरान वे प्रदेश सरकार विरोधी नारे भी लगाते रहे |सरकार और मुख्यमंत्री के खिलाफ मुर्दा बाद के नारे भी लगाते रहे। अंबेडकर चौक के पास रायपुर की पुलिस लड़कों के तन को स्कार्फ से ढंककर इन्हें जबरन पेट्रोलिंग वाहन में बैठाई । इस दौरान भी नग्न अवस्था में ये लड़के पुलिस की इस कार्यवाही का जबरदस्त विरोध कर रहे थे।
संजीत बर्मन नामक युवक ने पूर्व में नग्न प्रदर्शन करने का आह्वान किया था | जिसमें सोशल मिडिया के माध्यम से प्रदेशभर के युवा शामिल होने के बात कही गई थी | जिसके मद्देनजर पुलिस ने आंदोलन से जुड़े युवकों को घर में ही नजरबन्द करके रखा, जबकि कुछ युवाओं को थाना में बैठाए रखा था | इसके बाद भी युवक पुलिस को चकमा देकर राजधानी पहुंचने में कामयाब हो गए |
युवकों ने कहा कि लगातार रायपुर, बिलासपुर समेत प्रदेश के कई इलाकों में कहीं अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के साथ मारपीट हो रही है, कहीं हत्या तो कहीं उनकी जमीनों पर कब्जा किया जा रहा है। मगर प्रशासन में बैठे जिम्मेदार अधिकारी इनकी नहीं सुन रहे, इन्हें न्याय नहीं मिल रहा, थक,कर हारने के बाद उन्होंने ये विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है| इधर, बिलासपुर से भी कुछ लोग यहां प्रदर्शन में शामिल होने आ रहे थे। मगर उन्हें पुलिस ने रास्ते में आने से पहले ही रोक लिया।
इस नग्न विरोध प्रदर्शन से जुड़े युवक महेंद्र सिंह खांडे ने बताया कि लगातार अनुसूचित जाति वर्ग अपनी शिकायतें पुलिस और जिला प्रशासन के अफसरों के पास लेकर पहुंचता है। मगर कोई कार्यवाही नहीं होती। इसी वजह से रायपुर के अंबेडकर चौक पर आकर युवकों ने ये प्रदर्शन किया है। पुलिस ने कार्यवाही करते हुए हमारे 12 साथियों को हिरासत में लिया है। सुबह से मुझे भी हिरासत में लिया गया था बाद में छोड़ा गया। सभी साथी बिलासपुर से रायपुर इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे थे। रायपुर में नग्न प्रदर्शन करने वालों में – संजीत बर्मन, मनीष गायकवाड़, विनय कौशल,पंकज भास्कर, आशीष टंडन, बिरेंद्र घृतलहरे, सुरेंदर लहरे, .सतनाम दीप भारद्वाज, राजकुमार सोनवानी, गणेशराम बघेल, साहिल बघेल, तामेश्वर बघेल शामिल थे।
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने बताया तीन महीने पहले रायपुर के तेलीबांधा इलाके में रहने वाले गंगाराम मारकंडे ने कांग्रेस नेता आकाशदीप गिल और उसके कारोबारी रिश्तेदार जगमीर गरचा से तंग आकर आत्महत्या कर ली। दोनों को पुलिस फरार बता रही है। जबकि दोनों अदालतों में वकील के जरिए जमानत की अर्जियां दे रहे हैं, गरचा ने बढ़ती उम्र और इलाज का बहाना कर दिया, रायपुर के अस्पताल में इलाज भी करवाया मृतक गंगा के घर वालों ने सारी बातें पुलिस को बताईं मगर पुलिस कार्यवाही नहीं कर रही। इसी तरह प्रदेश के अलग-अलग शहरों कई घटनाएं हो रही हैं। जिनमें अनुसूचित जाति वर्ग के लोग न्याय के लिए भटक रहे हैं।
इस आंदोलन को अनुमति देने से रायपुर कलेक्टर ने इंकार कर दिया था। इसे लेकर प्रदर्शनकारी युवक संजीत बर्मन ने कहा- ऐसे आदेश और सरकार का हमें कोई परवाह नहीं है, अगर अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाते हुए हमारी जान चली जाती है वो भी हमें मंजूर है। लेकिन जातीय अत्याचार नहीं सहेंगे।
संजीत बर्मन ने बताया हम जिम्मेदारों से पूछना चाहते हैं कि वह अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को भारत देश की नागरिक मानते हैं कि नहीं। रायपुर के मृतक गंगाराम मारकंडे के दोषी फरार हैं, पुलिस हमारे लोगों की आंख में धूल झोंकने के लिए इनाम घोषित कर रही है। उनके कबाड़ संपत्ति को कुर्क करने का भी आदेश दे रखी है, लेकिन आरोपी पैसे के बल पर अपनी मनमानी कर रहे हैं।
मारकंडे के चार पेज के सुसाइड नोट में आरोपियों के नाम,पद एवं कार्य स्पष्ट रूप से उल्लेखित किए हैं, साथ ही उन्होंने सुसाइड नोट के हर पन्ने पर हस्ताक्षर किया हैं। मगर आरोपी फरार हैं। हमने भारत के संविधान पर विश्वास करते हुए पुलिस से निवेदन किया, प्रशासन को आवेदन भेजे, न्यायपालिका से न्याय मिलने की उम्मीद लगाए रहे, अफसोस हर जगह से हमें निराशा ही हाथ लगी और हमें यूं बिना कपड़ों के सड़क पर उतरना पड़ा। आगे भी हमारा विरोध जारी रहेगा।