क्या देश के कुछ आईएएस और कपड़ा एवं सराफा व्यापारी जमीन के कारोबार में संलिप्त है! कारोबारी अनवर ढेबर की गिरफ्तारी के बाद से डरे हुए हैं आई ए एस,आई पी एस और कपड़ा व सराफा कारोबारी
झारखंड में ईडी ने 2011 बैच के एक आईएएस अधिकारी छबि रंजन को भूमि घोटाले में गिरफ्तार कर लिया है। छबिरंजन पर सेना की जमीन को सुनियोजित ढंग से भू माफिया को बेचने का आरोप है। ऐसा नही है कि केवल छबिरंजन जमीन घोटाले के मामले में पहले आईएएस है जिन पर जमीन घोटाले का आरोप लगा है। अनेक आईएएस अधिकारी ऐसे है जिन्होंने देश भर के अनेक राज्यों में जमीन घोटाले में सक्रियता दिखाते हुए अनुपातहीन संपत्ति अर्जित किया और कानूनी अड़चनों का सामना कर चुके है या कर रहे है।
हांगकांग की एक कम्पनी “पॉलिटिकल एंड इकोनोमिकल रिस्क” कंसल्टेंसी ने दुनियां भर के एडमिनिस्ट्रेटिव अफसर के बारे में रिसर्च में यह बताया है कि भारतीय प्रशासनिक अधिकारी दुनियां के सबसे खराब अधिकारी है। ये रिपोर्ट ऐसे ही नही बनाई गई होगी
महराष्ट्र के आईएएस अधिकारी नितेश जनार्दन ठाकुर जब अलीबाग के कलेक्टर थे तब उन्होंने 200 करोड़ रुपये के जमीन घोटाला किया था। जब तक उन पर कानून का फंदा पड़ता ठाकुर दुबई भाग गए।उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्य सचिव नीरा यादव के ऊपर जमीन घोटाले के प्रमाण मिले । उनको 2 साल की सज़ा हुई। उत्तर प्रदेश के ही आईएएस अफसर रमेश बहादुर पर नोयडा के जमीन घोटाले में संलिप्त पाए गए थे। बाबूलाल अग्रवाल आईएएस अफसर छत्तीसगढ़ को जमीन घोटाले में अपनी नौकरी खोनी पड़ी थी। आंध्र प्रदेश के ए. मोहन के पास ऐसे ही घोटाले को लेकर 800 करोड़ रु , 14 फ्लेट, 2 किलो सोना की संपत्ति मिली थी। देश के प्रथम महाभृष्ट आईएएस अधिकारियों की सूची में 7 अधिकारी जमीन घोटाले के कारण जांच एजेंसी के फेरे में पड़े है।
भरतीय आईएएस एसोसिएशन के द्वारा भी अपने ही सदस्यों को नियंत्रित करने के लिए एक अभियान चलाया था 1996 में सबसे पहले आईएएसअखंड प्रताप सिंह के नाम का खुलासा किया गया ।आईएएस अधिकारियों के विरुद्ध बढ़ती शिकायत भी ये बताती है कि देश के क्रीम या बटर कहे जाने वाले अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग कर रहे है।
2016-17 में 380,2017-18 में 484, 2018-19 में 643, 2019-20 में 753 शिकायते दर्ज हुई है। जो ये बताती है कि आईएएस अधिकारी भारी भरकम वेतन और अन्य सुविधाओं से संतुष्ट नहीं है।
शुरुवाती दौर में आईएएस अधिकारियों का बतौर कलेक्टर के रूप में मुख्य काम कानून व्यवस्था बनाये रखने के साथ साथ भू राजस्व इकट्ठा करना था। जैसे जैसे विकास का मॉडल अपनाया जाने लगा तो कलेक्टर कालोनी, मल्टीस्टोरी बिल्डिंग के अनुमति के लिए जिम्मेदार हो गए।भू माफिया, बिल्डर्स सहित इस धंधे को संरक्षण देने वाले जनप्रतिनिधियों ने हर राज्य में एक कर्टेल बनाया जिसमे राजस्व बढ़ानेवाले आईएएस अधिकारी भी शामिल हो गए है। आम आदमी भी जानता है कि की किस आईएएस अधिकारी की कितनी जमीन कहां है, कितने पैसे इन्वेस्ट किये है। कितनी जमीन बेनामी खरीदी गई है। हाल ही में छत्तीसगढ़ के दो आईएएस अधिकारियों के यहां ईडी ने छापेमारी की तो जमीन के दस्तावेज औऱ जानकारी चौकाने वाली है।
कहने का मतलब ये है कि लालच के चलते औऱ अंधाधुंध पैसे कमाने की लालसा ने आईएएस अधिकारियों को गलत रास्ते पर ले जाने में सफल हो रहे है।
ऐसा नही है कि सभी आईएएस अधिकारी गलत है। आजअशोक खेतान(हरियाणा) अरुण भाटिया,(महाराष्ट्र) उमाशंकर(तमिलनाडु)पूनम मालकोडियात(आंध्र प्रदेश) मुग्धा सिंह(राजस्थान) एम शर्मा( आंध्रप्रदेश) की ईमानदारी की मिसाल दी जाती है। इनको अपनी ईमानदारी के साथ दुसरो की बेईमानी पड़ा है।पूनम मालकौंडियात को 6 साल में 7 ट्रांसफर का सामना करना पड़ा है। अगर ये बेईमानो के द्वारा ईमानदारों को तोड़ने का ऐसा प्रयास चल रहा है तो ये देश के स्वास्थ्य के लिए ठीक नही है।
क्या आईएएस अधिकारियों के यहां जांच एजेंसियों के छापे आने वाले समय मे बढ़ेंगे? इसका उत्तर -हां है। सभी लोग जानते है कि छोटे कर्मचारियों को पकड़ने से भृष्ट्राचार के विरुद्ध मुहिम केवल तमाशा है। केंद्र सरकार के पास सभी की कुंडली पंहुच चुकी है। बड़ी मछलियों पर जाल फेंका जा चुका है। 2024 का लोकसभा चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा भृष्ट्राचार ही रहेगा। सत्ताधारी दल विपक्षी सरकारों की धज्जियां इसी मामले में उधेड़ेगी ये भी दिख रहा है। पश्चिम बंगाल, झारखंड, छतीसगढ़ दिल्ली,टारगेट जोन में है। शराब, खनिज, डीएमएफ मामले को लेकर गड़बड़ी तो हो चुकी हैं अब केवल कार्यवाही शेष है।
ईडी की ताजा कार्यवाही से आई ए एस,आई पी एस और जमीन से जुड़े कारोबारी, सराफा और कपड़ा व्यपारियों में हड़कंप मचा हुआ है। ईडी के सूत्रों की माने तो एक पुराना और प्रतिष्ठित कपड़ा कारोबारी के साथ मिलकर अनवर ढेबर ने लाखों एकड़ जमीनों की खरीदी करने के लिए हवाला से रकम लेकर जमीन के कारोबार में लगाया है। संकेत तो यहां तक मिल रहे है कि अनवर ढेबर और उक्त कपड़ा कारोबारी से जिन लोगों का जीवंत संपर्क रहा है और उनके साथ मिलकर जिन्होंने जमीन खरीदी में काले धन तो निवेश कर उसे एक नंबर में करने की कोशिश की है। जिसकी भनक लगते ही ईडी मुख्य मनी लांड्रिंग के कर्ताधर्ता अनवर ढेबर के खिलाफ मनी लांड्रिग से संबंधित दस्तावेजों को जुटाने में एक माह तक अलग-अलग जगहों में कार्रवाई करने के बाद गिरफ्तारी की। इस घटनाक्रम के आगे बढऩे आई ए एस,आई पी एस और जमीन, कपड़ा और सराफा कारोबारियों में एक अज्ञात भय बढऩे लगा है । न जाने कब किसे ईडी बुला ले और पूछताछ के बाद रिमांड पर भेज दे।
साभार इंडियन राइट्स