भ्रष्टाचार का दूसरा नाम है भूपेश बघेल सरकार …….करोड़ो के घोटाले को उजागर करना पत्रकार को पड़ा महंगा दर्ज हुआ एफआईआर , करोड़ो के नेचर कैम्प घोटाले में निलंबित वनरक्षक की झूठी शिकायत पर पांच माह बाद दर्ज हुआ अपराध, पुलिस की कार्यवाही पर सवालिया निशान?
गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही : – मरवाही वनमंडल में हुए करोड़ो के नेचर कैम्प घोटाले को उजागर करना एक पत्रकार को महंगा पड़ गया
दरअसल मामला मरवाही वनमंडल के बहुचर्चित नेचर कैम्प घोटाले से जुड़ा हुआ है जहाँ पेण्ड्रा के पत्रकार सुशांत गौतम द्वारा नेचर कैम्प एवं फर्जी समिति बनाकर करोड़ो की राशि के गबन को लेकर अखबार में ख़बर का प्रकाशन किया गया था खबर छपने के बाद इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड सुनील चौधरी वनरक्षक द्वारा मरवाही थाने में झूठी शिकायत दर्ज कराई गई जिसपर पुलिस ने लगभग पांच माह बाद अपराध पंजीबद्ध किया है वही पुलिस की इस कार्यवाही को लेकर भी कई तरह के सवाल खड़े हो रहे है ।
महत्वपूर्ण बात यह है कि खबर के प्रकाशन के बाद जंगल विभाग के आला अफसर हरकत में आये मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर द्वारा जाँच समिति गठित की गई जिसमें क्रमश दो आईएफएस अधिकारी एवं तीन एसडीओ स्तर के अधिकारी को जांच समिति का सदस्य बनाया गया जांच के दौरान फर्जी समिति बनाकर ग्राम मरवाही निवासी मूलचंद कोटे को फर्जी अध्यक्ष बनाकर करोड़ो की राशि आहरण कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया वही उक्त फर्जी समिति का फर्जी सचिव सुनील चौधरी भी मामले में दोषी पाया गया फलस्वरूप सुनील चौधरी समेत प्रकरण में संलिप्त रेंजर , डिप्टी रेंजर पर भी सस्पेंसन की कार्यवाही की गई है इसके बाद भी घोटाले के आरोपी सुनील चौधरी की झूठी शिकायत पर पांच माह बाद कार्यवाही होना पुलिस प्रशासन पर कई सवालों को खड़ा करता है ।
एक तरफ सरकार पत्रकार सुरक्षा कानून को लेकर प्रतिबद्ध नजर आती है मगर सरकार की नुमाइंदगी करने वाले पुलिस अफसर इस बात से बेखबर पत्रकारों पर ही झूठे मुकदमे दर्ज करने में लगे हुए है वही मामले की जांच राजपत्रित अधिकारी से कराया जाना था मगर इसकी जांच सुनियोजित तरीके ASI से कराकर मामले में षणयंत्र पूर्वक अपराध पंजीबद्ध कर दिया गया जो बिल्कुल भी न्यायोचित नही है ।
उक्त झूठे प्रकरण में प्रेस क्लब समेत तमाम पत्रकार संघ मुख्यमंत्री , वनमंत्री , DGP समेत प्रधान मुख्य संरक्षक को ज्ञापन सौंप कर निष्पक्ष जाँच की मांग की गई है ।
आखिर पुरा मामला क्या है
एक अध्यक्ष और एक सचिव केवल दो लोगो की फर्जी समिति बनाकर , निकाल ली करोड़ो की राशि ,
एक अध्यक्ष और एक सचिव केवल दो लोगो की फर्जी समिति बनाकर , निकाल ली करोड़ो की राशि , गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही : – मरवाही वनमंडल के मरवाही परिक्षेत्र के साल्हेकोटा वन प्रबंधन समिति अंतर्गत आने वाले नेचर कैम्प गगनई में नेचर कैम्प प्रबंधन समिति जामवंत माड़ा गगनई के नाम से फर्जी समिति गठित कर करोड़ो की राशि निकालने का मामला सामने आया है वही वन रक्षक पर कार्यवाही के नाम पर ठेंगा दिखाकर तथा आदिवासी अंचल क्षेत्र कि आमजनता की आंखों में धूल झोंकने का घृणित प्रयास किया जा रहा है ।
महत्वपूर्ण बात यह है कि उक्त मामले की शिकायत को लगभग दो माह बीत चुके है जिसमे अनुविभागीय अधिकारी वन द्वारा प्रारंभिक जांच में फर्जी समिति बनाना , फर्जी अध्यक्ष एवं सचिव द्वारा शासकीय राशि की हेराफेरी करने के दोषी पाए जाने पर दोषियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही की अनुशंसा की गई है परंतु वन रक्षक को बचाने में पूरा वन अमला लग गया है ।
वही दो माह बाद भी उक्त मामले पर कार्यवाही के नाम खानापूर्ति की जा रही है जबकि नियमतः इतने बड़े घोटाले के मामले में वन रक्षक पर निलंबन की कार्यवाही की जानी चाहिए थी मगर वनमण्डलाधिकारी द्वारा जिस तरह सुनियोजित तरीके से कार्यवाही की जा रही है उससे वनमंडलाधिकारी की कार्यशैली पर भी कई सवालिया निशान खड़े हो रहे है आमजनमानस में यह चर्चा है कि उक्त मामले में बड़ी सेटिंग का खेल चला है जिसने वन मंडल स्तर के उच्चाधिकारियों को मोटी रकम पहुँचाई गई है . उल्लेखनीय है कि दिनांक 20/01/2023 को कटघोरा SDO संजय त्रिपाठी वनमंडलाधिकारी से उनके बंगले में गोपनीय बैठक किये थे वही रात्रि में संजय त्रिपाठी के लिए मरवाही का रेस्ट हाउस और भोजन की तमाम व्यवस्था में मरवाही वनमंडल लगा हुआ था ।
जिसको लेकर क्षेत्रवासियों में काफी चर्चा का विषय था कि आखिर संजय त्रिपाठी का मोह मरवाही से क्यो नही छूट रहा है आपको बता दे कोई भी वन प्रबंधन समिति जब गठित की जाती है तो उस समिति गठन में पूरे गांव से हर घर के एक व्यक्ति को सदस्य चुना जाता है तथा सभी सदस्य मिलकर 13 लोगो की कार्यकारणी गठित करते है और यही 13 लोग मिलकर समिति का अध्यक्ष चुनते है समिति गठित होने के बाद यह प्रस्ताव जिला पंजीयक अधिकारी से पंजीकृत होकर वनमंडल कार्यालय जाता है . इन सारे नियमो को दरकिनार करते हुए ग्राम मरवाही निवासी मूलचंद कोटे को अध्यक्ष बनाया गया साथ ही सचिव भी दूसरे सर्किल के व्यक्ति सुनील चौधरी को बनाकर करोड़ो की राशि का वारा न्यारा कर दिया गया है . उक्त गम्भीर मामले में वनमंडलाधिकारी द्वारा शिकायत के दो माह बाद विस्तृत जांच की बात कही जा रही है . सवाल यह है कि जब समिति ही फर्जी है तो समिति के कार्य भी फर्जी होंगे और कार्य के साथ साथ सारे बिल बाउचर भी फर्जी ही होगी किंतु वनमंडलाधिकारी द्वारा विस्तृत जांच के नाम पर दिग्भ्रमित करते हुए फर्जी अध्यक्ष एवं सचिव द्वारा बनाए गए बाउचर के दो चार सेटिंग श्रमिको का बयान अपने पक्ष में दिलाकर तथा फर्जी सामग्री सप्लाई करने वाले फर्मो का बयान अपने पक्ष में लेकर पूरे फर्जी प्रकरण में फंसे अधिकारियों और कर्मचारियों को बचाने के लिए वनमण्डलाधिकारी द्वारा इस तरह कूटरचना करने का घृणित प्रयास करना प्रतीत होता है ।
अगर स्थल पर कार्य होना सही है , मजदूरों को भुगतान होना सही है , सामग्री क्रय संबधी बिल बाउचर सही है तो फिर फर्जी समिति बनाकर फर्जी अध्यक्ष सचिव के द्वारा बैंक से राशि आहरण क्यो कराई गई साथ ही समिति में राशि जमा होने के चार माह पूर्व तत्कालीन प्रभारी वनमंलाधिकारी द्वारा राशि आहरण की अनुमति कैसे दी गई . आश्चर्य की बात है कि एक माह पूर्व उक्त मामले की शिकायत वन मंत्री समेत प्रधान मुख्य संरक्षक को की गई किंतु आज पर्यन्त तक कार्यवाही नही होना यह बताता है कि किस तरह पूरा प्रदेश का वन अमला भ्रष्टाचार में संलिप्त है . वनमंडल मरवाही द्वारा संतोषजनक कार्यवाही न होने के कारण इस पूरे घोटाले के मामले को माह फरवरी 2023 के बजट विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा में उठाया जाएगा इसके साथ ही दिनांक 10/02/2023 अरपा महोत्सव में विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत के दौरे पर उक्त मामले की शिकायत की जाएगी