भ्रष्टाचार की सड़क…हादसे ने खोली पोल…कागजों में दर्जनों पुल पुलिया…घोटाला में मंत्री से लेकर संत्री शामिल..सवाल सुनते..कांप रहे अधिकारी
बिलासपुर : आज नहीं तो कल सही…जब भी भ्र्ष्टाचार और घोटाला का जिक्र होगा…कोटा-लोरमी सड़क निर्माणा की चर्चा सबसे ज्यादा होगी। क्योंकि इससे बड़ा घोटाला जिले में आज तक नहीं हुआ है। ताज्जुब की बात है कि पुरानी सरकार जाने के बाद भी इस पर ना तो अधिकारी कुछ बोल रहे हैं। और ना ही स्थानीय नेता ही मुंह खोलने को तैयार है। यह जानते हुए भी कि घोटाला पुरानी सरकार के समय का है। यदि जांच हो जाए तो सबको पता चल जाएगा कि निर्माण कम्पनी ने सड़क निर्माण में आधी राशि भी खर्च नहीं किया है। करीब एक महीने हुए है कोटा लोरमी मार्ग स्थित एक पुलिया धसक गयी। खबर ने अखबार समेत मीडिया में अच्छा स्थान पाया। थोड़ी बहुत पुलिस निर्माण गुणवत्ता को लेकर चर्चा भी हुई। बाद में मामला शांत हो गया।हासिल दस्तावेज से मिली जानकारी के अनुसा्र रतनपुर – कोटा – लोरमी रोड निर्माण में जिन्दल ठेका कम्पनी ने बड़ा नहीं बल्कि बहुत बड़ा घोटाला किया है। जिसकी चर्चा लम्बे समय तक होगी।
भ्रष्टाचार में मंत्री से लेकर संत्री तक शामिल
रतनपुर – कोटा – लोरमी सड़क निर्माण में ठेका कंपनी ने भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोड दिए है। हासिल दस्तावेज के अनुसार सड़क निर्माण के लिे जिन्दल कम्पनी को 35 प्रतिशत से अधिक दर पर ठेका दिया गया। निर्माण के दौरान कंपनी ने दर्जनों पुल पुलिया बनाना भूल गया। या यह कहें कि कम्पनी ने दर्जनों पुल पुलिस बनाया ही नहीं। और तात्कालीन भाजपा सरकार के अधिकारियों ने अधूरे निर्माण में ही पूरी राशि का भुगतान कर दिया। यदि जांच हो तो इस सड़क के निर्माण में ना कंपनी को राहत मिलेगी और ना ही अधिकारियों को ही ।
रतनपुर – कोटा – लोरमी रोड में पिछले दिनों पुलिया धसकी है। उसके निर्माण में करोड़ों का घोटाला हुआ है। इस घोटाले में तात्कालीन भाजपा सरकार के मंत्री से लेकर विभाग के बड़े बड़े अधिकारी शामिल है। डेढ़ सौ करोड़ रुपए के सड़क निर्माण में जिसको जहां मौका मिला…जमकर बनाया। जाहिर सी बात है कि ठेका कम्पनी अपने घर से तो न्योछावर देगा नहीं। यही कारण है कि रतनपुर-कोटा-लोरमी सड़क अधिकारियों और कम्पनी के बीच न्योछावर की भेंट चढ़ गयी।
सब कुछ चोरी का फिर दर्जनो पुल पुलिस बनाया ही नही गया
ठेकेदार ने सड़क निर्माण के समय मुरूम, मिट्टी से लेकर गिट्टी तक चोरी किया। तत्कालीन अधिकारियों और मंत्री की कृपा से दर्जनों दर्जनों पुल – पुलिया कागजों में तैयार सड़क को विभाग के हवाले कर दिया। नतीजा अब सामने आने लगा है। विभाग के ही एक अधिकारी ने बताया कि अभी तो एक ही पुलिया गिरी है…देखते रहिए आगे चलकर और कितने पुल – पुलियों को गिरते देखने का मौका मिलेगा। शायद ही कोई पुल पुलिस बचे….।
भ्रष्टाचार का बना नजीर
नाम नहीं छापने की सूरत में अधिकारी ने बताया कि दरअसल सड़क निर्माण में शुरु से ही भ्रष्टाचार का खेल चला। सच तो यह है कि सड़क निर्माण सिर्फ इसलिए किया गया कि ताकि आने वाले पीढ़ियों के सामने नजीर पेश किया जा सके कि भ्रष्टाचार इसे कहते हैं।
कम्पनी को फायदा पहुंचाने सरकार ने तोड़ी कसम
एक ठेकेदार ने बताया कि सड़क निर्माण के लिए जब टेंडर निकाला गया..तात्कालीन भाजपा सरकार ने ज्वाइंट वेंचर पर बैन लगाया था। लेकिन जिंदल इंफ्रा स्ट्रक्चर को काम दिलाने के लिए रसूखदार शासन प्रशासन के जिम्मेदार लोगों ने एक दिन के लिए पोर्टल ओपन किया। मजेदार बात हे कि इसकी जानकारी केवल कंपनी को ही दी गयी। मतलब कम्पनी को ठेका देने के लिए ही पोर्टल खोला गया। और पोर्टल खुलते ही कम्पनी ने टेंडर का आवेदन जमा कर दिया। इस तरह से रतनपुर- कोटा- लोरमी सड़क निर्माण कार्य को ठेका कंपनी ने हथिया लिया।
कम्पनी को 35 प्रतिशत से अधिक पर दिया गया ठेका
शर्तों के अनुार जब भी निर्माण कार्य का टेंडर जारी किया जाता है तो अलग अलग कंपनियां ठेका के लिए आवेदन करती है। लेकिन रतनपुर- कोटा- लोरमी सड़क निर्माण में रिंग बनाकर टेंडर भरा गया। कम दर पर आवेदन करने वाले ठेकेदार अधिक रेट में आवेदन किया। जिंदल इंफ्रा स्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को तात्कालीन मंत्री के इशारे पर 35 प्रतिशत अधिक दर पर ठेका दिया गया। 106 करोड़ रुपए की सड़क लगभग डेढ़ सौ करोड़ में तैयार तात्कालीन सरकार के हवाले कर दिया गया। सवाल उठता है कि आखिर अधिक दर में ठेका मिलने के बाद भी कंपनी ने दर्जनों पुल पुलिया का निर्माण क्यों नहीं किया।
खामोशी कायम है
बहरहाल इस पर ना तो भाजपा के नेता ही कुछ बोलने को तैयार है। और ना ही अधिकारी मुंह खोलने का कष्ट कर रहे हैं। मतलब खामोशी कायम है। उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वुास है कि यदि जांच हो जाए तोड़ सभी लोग तोते की तरह बोलना शुरू कर देंगे।