खेल और खिलाड़ियों की दुर्दशा का जिम्मेदार कौन ? एडिशनल एसपी को कांग्रेस शासन काल में नियम विरुद्ध तरीके से दी गई खेल एवं युवा कल्याण विभाग को जिम्मेदारी : –

खेल और खिलाड़ियों की दुर्दशा का जिम्मेदार कौन ? एडिशनल एसपी को कांग्रेस शासन काल में नियम विरुद्ध तरीके से दी गई खेल एवं युवा कल्याण विभाग को जिम्मेदारी : –

खेल और खिलाड़ियों की दुर्दशा का जिम्मेदार कौन ? एडिशनल एसपी को कांग्रेस शासन काल में नियम विरुद्ध तरीके से दी गई खेल एवं युवा कल्याण विभाग को जिम्मेदारी : –

रायपुर : राज्य में खेल और खिलाड़ियों की दुर्दशा का आलम यह है कि राज्य में न तो खेलो को बढ़ावा दिया जा रहा है न ही खिलाड़ियों को मूलभूत सुविधाएं मिल पा रही है अक्सर यह देखा जाता है कि नेता और अफसर मिलकर खेल और खिलाड़ियों का इस्तेमाल अपनी राजनीति चमकाने के लिए करते है इसका जीता जागता उदाहरण हमने देखा कि कैसे हांकी और जिम्नास्टिक खिलाड़ी जो राज्य का नेतृत्व करने बाहर जाते है उन्हें न तो किसी प्रकार सुविधाएं दी गई न ही उनके आने जाने का प्रबंध किया गया जिसकी वजह से खिलाड़ी इस भीषण ठंड के मौसम में ट्रेन के बाथरूम के पास बैठकर जाने को विवश रहे इस गंभीर मसले को जब मीडिया और समाचार पत्रों ने उठाया तब जाकर खेल अधिकारी अपनी कुम्भकर्णीय नींद से जागे और लोक शिक्षण संचनालय ने अपनी गलती स्वीकारी और बेहतर सुविधाएं देने की बात की मगर यह बात कितनी प्रभावी होती है यह तो भविष्य में खेल और खिलाड़ी बताएंगे .

अतरिक्त पुलिस अधीक्षक को बनाया खेल डारेक्टर : –

सूबे के इतिहास में यह पहली बार हुआ होगा कि एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर आसीन को खेल का डारेक्टर बनाया गया है जबकि डारेक्टर जैसे पद पर या तो IAS अधिकारी या IPS अधिकारियों को बैठाया जाता रहा है यह पहली बार हुआ है कि डारेक्टर के पद पर ADD SP को बैठा दिया गया नतीजा खेल की दुर्दशा सबके सामने है . आपको बता दे खेल एवं युवा कल्याण विभाग की संचालक वर्तमान में राज्य सेवा आयोग की स्वेता सिन्हा है जो IAS तरण प्रकाश सिन्हा की धर्मपत्नी है शायद इसी वजह से स्वेता सिन्हा राज्य सेवा आयोग की होकर भी खेल जैसे पद की संचालक बनकर बैठी है .

तरण प्रकाश सिन्हा 2012 बैच के IAS है साथ ही लंबे समय तक सीएम सचिवालय में पदस्थ रहे जिसका फायदा उन्हे मिला और राजनांदगांव , जांजगीर , रायगढ़ जैसे महत्वपूर्ण जिले के कलेक्टर के रूप में मिली
वर्तमान में सिन्हा साहब राजनांदगांव जिले के कलेक्टर है साथ ही भूपेश सरकार के सबसे करीबी माने जाने वाले अफसर भी रहे है जिसका फायदा सिन्हा साहब ने पांच साल उठाया और न सिर्फ खुद का अपनी धर्मपत्नी को भी मलाईदार विभाग की जवाबदेही भी दिलवा दी . भले खेल और खिलाड़ी अपनी दुर्दशा के आंसू बहाते रहे मगर सिन्हा साहब और उनकी धर्मपत्नी मिसेज सिन्हा ने पांच साल जमकर मलाई खाई .

खेल मंत्री टंक राम वर्मा ने ली बैठक : –

बीते दिनों खेल और युवा कल्याण विभाग के मंत्री टंकराम वर्मा पदभार ग्रहण करते साथ
विभागीय गतिविधियों को लेकर बैठक ली बैठक में खेल डारेक्टर समेत तमाम आला अधिकारियों से जानकारी और खेलो के बेहतरी किस तरह से हो इसके लिए विस्तृत चर्चा की टंक राम वर्मा युवा है और निश्चित ही वर्मा जी के नेतृत्व में खेलो को बढ़ावा मिलेगा मगर सवाल यह उठता है कि आखिर पांच सालों से खेल और खिलाड़ियों को मूलभूत सुविधाएं क्यो नही मिल पा रही थी जबकि सरकार खेल और खिलाड़ियों के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध होने का दावा करती है ऐसे में यह सवाल भी उठना लाजमी है कि आखिर ऐसी क्या स्थिति रही होगी कि एक अतरिक्त पुलिस अधीक्षक को खेल संचालक बना दिया गया ?

खेल और खिलाड़ी भले दुर्दशा के शिकार मगर अधिकारी मालामाल : –

खेल और खिलाड़ियों के हालात भले ही बद से बत्तर रहे हो मगर इसके अधिकारी मालामाल होते जा रहे है भूपेश सरकार में छत्तीसगढ़ी खेलो को बढ़ावा मिले इसके लिए खेल नीति के तहत छत्तीसगढ़ ओलंपिक का आगाज हुआ ग्रामीण अंचल क्षेत्रो में इसके आगाज के एक उम्मीद जगी थी कि अब ग्रामीण स्तर के बच्चे खेलो में रुचि लेंगे और अपनी प्रतिभा का जौहर राज्य ही नही देश मे दिखाने का अवसर प्राप्त होगा मगर हुआ इसके उलट खेल और खिलाड़ियों के नाम पर अधिकारियों ने जमकर घोटाला किया जिसको लेकर भी तमाम तरह के आरोप लगते रहे मगर बोलने सुनने वाला कोई नही चूंकि हालात वही थे सैया भये कोतवाल तो डर काहे का चूंकि इस तरह की योजनाएं बिना प्लानिंग के लाई गई और बिना तैयारी के हाल वही होना था कि नीचे से लेकर ऊपर बैठे अधिकारियों ने जमकर लूट खसोट मचाई खामियाजा यह निकला अधिकारी तो लाल हो गए खिलाड़ी आज भी वही के वही अपने भविष्य को लेकर चिंतित और पलके बिछाए इंतजार कर रहे है कि कब वह अपने खेल प्रतिभाओं के जरिए निखर पाएंगे

कैसे बदलेगी खेल और खिलाड़ियों की स्थिति : –

खेल और खिलाड़ियों के हालात बदलने के लिए सरकार को चाहिए पहले ऐसे नियमविरुद्ध तरीके से पदासीन अधिकारियों को इससे प्रथक किया जाए और खेल और खिलाड़ियों के लिए मिलने वाले बजट की प्रॉपर मॉनिटरिंग की जाए . खेल के लिए सबसे जरूरी होता है मैदान बच्चे खेलना तो चाहते है मगर उनके पास मैदान नही होता सरकार को चाहिए कि राज्य के हर ब्लॉक से मैदान की सूची मंगवाए और मैदानों को खेलने योग्य बनाये खिलाड़ियों को खेल के लिए बेहतर इक्यूपमेंट मिले इसकी व्यवस्था की जानी चाहिए चूंकि अक्सर यह देखा जाता है कि ग्रामीण अंचल क्षेत्रो में प्रतिभाएं तो है मगर इक्यूपमेंट न होने की वजह से प्रतिभाएं सिमट कर रह जाती है
खेल और खिलाड़ियों के बेहतरी के लिए राज्य सरकार समेत जिला प्रशासन द्वारा समय समय पर खेल को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम आयोजित करवाये जाए जहाँ जिले और ग्रामीण अंचल क्षेत्र के अच्छे खिलाड़ियों को चिन्हित करके उन्हें बेहतर सुविधाएं देनी चाहिए ताकि आने वाले समय मे छत्तीसगढ़ राज्य भी अपने खेल और प्रतिभाओं का झण्डा पूरे विश्व पटल में फहरा सके .

Rajnish pandey

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *