सब इंस्पेक्टर रूपेश नारंग, डिप्टी कलेक्टर और कांग्रेस नेता के ड्राइवर के यहां भी पहुंची है आईटी की टीम
सब इंस्पेक्टर रूपेश नारंग, डिप्टी कलेक्टर और कांग्रेस नेता के ड्राइवर के यहां भी पहुंची है आईटी की टीम
रायपुर : आयकर विभाग की अन्वेषण विंग ने छत्तीसगढ़ के पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत और उनके कारोबारी सहयोगियों के कुल 48 ठिकानों में छापेमारी की है । इनमें प्रमुख 27आवास और 18 दफ्तर शामिल हैं। इन ठिकानों पर आयकर के 300 अफसर,कर्मी और 130 सशस्त्र जवान शामिल हैं। भगत के निकटवर्ती स्टाफ में सब इंस्पेक्टर रूपेश नारंग, डिप्टी कलेक्टर अमित शेट्टे , पीए स्टाफ मेें राजेश वर्मा, ड्राइवर महेंद्र पासवान प्रमुख रूप से हैं।
इनके अलावा कारोबारी सहयोगियों में लॉविस्टा निवासी हरपाल अरोरा के अलायम इंफ्रावेंचर्स,अंबिका इंफ्राकॉम,अरोरा कॉलोनाइजर,एंड बिल्डकॉन प्रालि.,अरोरा इंफ्रावेंचर्स प्रालि.सी-2/202,ऐश्वर्या चेंबर तेलीबांधा के पास जीई रोड शामिल है। इनके अतिरिक्त रियल एस्टेट कारोबारी कैलाश बजाज, थ्री-एस इंफ्रास्ट्रक्चर और अरम इंफ्रास्ट्रक्चर के मालिक नरेश,विकी,अविनाश शेरवानी,अजय चौहान ग्रुप के चौहान हाउसिंग प्रालि.भिलाई -दुर्ग, चौहान आटोमोबाइल में भी टीमें डटी हुई है। पहले दिन की कार्रवाई में आयकर टीम मे सभी लोगों के ठिकानों से एक करोड़ रूपए नगद और जेवरात सीज किया है। जेवरों का मूल्यांकन कराया जा रहा है। यह कार्रवाई अभी दो तीन और चलने की जानकारी सूत्रों ने दी गई है।
आखिर पूरा मामला क्या है
पूर्व मुख्यमंत्री के कार्यालय के दो रसूखदारों के निर्देश पर सुनियोजित ढंग से भाजपा के शासन के दौरान शानदार पारदर्शी राशन प्रणाली को धन उगाही का जरिया बना लिया गया। सबसे पहले करोना बीमारी के समय प्रधान मंत्री अन्न योजना का लगभग ढाई हजार करोड़ रुपए का चांवल गरीबों को बाटने के बजाय कंप्यूटर सिस्टम में गड़बड़ी करवा कर खुले बाजार में बिकवा दिया। इस खेल के लिए मुख्य मंत्री कार्यालय में जेल की हवा खा रही सौम्या चौरसिया ने खाद्य संचालनालय में काम चलाऊ डायरेक्टर भेजे जिनको किसी भी प्रकार से निर्णय लेने की आजादी नहीं थी। संचालनालय का कंप्यूटर एनआईसी अपर संचालक के नियंत्रण में था। सारे घोटाले को यही जन्म दिया गया और हर क्विंटल चांवल के लिए राशि तय कर राशन माफिया से वसूला गया।
इसके बाद अनिल टुटेजा ने प्रदेश की राशन वितरण में गड़बड़ी के लिए अपने भाई के कोचिंग क्लास में पढ़ाने वाले खाद्य संचालनालय के एडिशनल डायरेक्टर के जरिए राशन दुकानों के चांवल और शक्कर में कोटा घोटाला शुरू किया। इसके लिए प्रदेश के पांच हजार ऐसी राशन दुकानों का चयन किया गया जहां के गोदाम छोटे थे। इन दुकानों में चार साल तक 65 हजार टन चांवल अधिक भेज कर गड़बड़ी की गई है। भाजपा ने इस घोटाले को विधान सभा में उठाया तो खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वीकार किया था कि उनकी सरकार ने ही जांच करवा कर उक्त घोटाले को उजागर किया है लेकिन कार्यवाही के नाम पर मुख्य मंत्री चुप्पी साध लिए। अभी भी खाद्य संचालनालय का अधिकारी घोटाले को छुपाने के लिए विभाग के कंप्यूटर सिस्टम में तकनीकी त्रुटि का अवसर खोज रहा है।
ईडी ने छत्तीसगढ़ सरकार के ईओडब्ल्यू में एक एफ आई आर दर्ज कराई है जिसमे सूर्यकांत की डायरी में 45 लाख रुपए देने की एंट्री है। खाद्य मंत्री रहते हुए अमरजीत भगत ने ट्रांसफर उद्योग खोल लिया था। प्रदेश के हर जिले के खाद्य अधिकारियो से अपने विशेष कर्तव्य अधिकारी अतुल शेट्टे के जरिए काम कम से कम करोड़ रुपए वसूले है। हर जिले के अधिकारियों से कस्टम मिलिंग के चावल के बदले 2 से 4 रूपये क्विंटल राशि वसूली गई है। अमरजीत भगत का ओएसडी व्हाट्सएप कॉल करके सबसे तगादा कर पैसे मंगाता था। ये राशि ला विस्टा और रोमेंसक्यू के परिसर में बने ओएसडी सहित एक और अनाज व्यापारी के घर में जमा किए गए है।
आयकर विभाग के अधिकारी जब इनके घरों में घुसे तो देखते रह गए। विलासिता की वस्तु सहित एक डिप्टी कलेक्टर का घर अरबपतियों के घर को मात दे रहा है। बताया जाता है कि आयकर अधिकारियों को रोमेंसक्यू परिसर के एक घर से ऐसे दस्तावेज मिले है जिसमे बिलासपुर,रायपुर,दुर्ग और धमतरी के खाद्य अधिकारियो द्वारा कस्टम मिलिंग के एवज में दिए गए रकम का ब्यौरा है। इसकी जांच ईडी को दिए जाने की संभावना बताई जा रही है।
देखिए पूर्व मुख्यमंत्री का ब्यान
साभार इंडियन रायटर्स