दिल्ली। रायपुर । छत्तीसगढ़ सरकर बदलने के बाद पूर्व कांग्रेस सरकार के शुभचिंतक व IFS प्रधान मुख्य वन संरक्षक व्ही श्रीनिवास राव की कुर्सी के जाने के कवायद सुनने को मिलने लगी थी, पर जैसे जैसे दिन ने महीने में तब्दील हुई वैसे ही राव की तब्दीली भी बट्टे खाते में जाता हुवा दिखाई देने लगा, विभागीय व राजनीतिक सूत्रों की माने तो राव की घनिष्ठता वनमंत्री से इतना थी कि इन्होंने कैम्पा रूपी तिजोरी का मुहँ अकबर के बेटे व उनके चहेतों के लिए खोल दिया, हद तब होने लगी जब इनके चहेते व मंत्री बेटे की विभाग में दादागिरी चालू हुई, ये विभाग में DFO को सीधे बिल प्रस्तुत कर चेक काटने दबाव बनाते, DFO के न मानने पर राव से DFO के ऊपर ट्रांसफर का या विभागीय जांच का दबाब बनाकर भुगतान करा लेते थे, जिसके कारण आज भी रेंजर और DFO सामग्री के न पहुँचने का परिणाम भुगत रहे हैं,
वर्तमान में DFO और रेंजर्स उस गड्ढे को पाटने दूसरा गढ्ढा कर रहें हैं, इन सभी के बाद भी चुनाव में राव ने अकबर जी का खुले आम सपोर्ट किया था उनका मानना था कि इसबार कांग्रेस की सरकार आएगी और उनका 3 साल की सर्विस काल आराम से कट जाएगा, परंतु हो गया उलटा.
सूत्रों की माने तो तब इन्होंने साउथ के नेताओं से लगाया दिल्ली की जुगत कि उन्हें वनबल प्रमुख के साथ रेगुलर के PCCF बने रहने दिया जाए, सुनने में तो यहाँ तक आया कि इन्होंने दिल्ली में सब कुछ ठीक कर लिया था, छत्तीसगढ़ में सभी प्रमुख BJP के नेताओं को मैनेज कर लिया गया था परंतु इनका खेल बिगड़ा डिप्टी CM शर्मा जी से जिन्हीने दिल्ली में खुटा ठोक दिया था कि ये रहे तो हम दिक्कत में रहेंगे, क्योंकि विधानसभा 2018 का चुनाव उदाहरण है जिसमे वनमंत्री महेश गागड़ा ने अपने बस्तर को संभालने के लिए ले गए थे और निपट गए, अचंभित तब हुवे जब इन्होंने कांग्रेस सरकार बनते ही मलाईदार पद कैम्पा CEO बन गए, फिर 5 सीनियर PCCF के रहते खुद APCCF रहते प्रभारी PCCF बन गए, PCCF पदोन्नति उपरांत वनबल प्रमुख के पद भी हथिया लेना ये सभी घटनाओं के वजह से दिल्ली ने साउथ की फेवर को न मानते हुवे उन्हें निवटल रखने का मन बनाया है।
छत्तीसगढ़ के IFS में साउथ के IFS लॉबी के मुखिया व अन्नदाता है व्ही श्रीनिवास राव
छत्तीसगढ़ कैडर में साउथ सहिंत हिंदी भाषी राज्यों को छोड़कर अन्य राज्यों से आने वाले नए IFS श्रीनिवास राव को अपना एजे-गार्जियन मान सम्मान देतें है व इनके दी गई सिख या ट्रेनिंग को ही फॉरेस्ट मैनुअल मानते है, यहाँ यह देखना होगा कि राव के पारिवारिक सदस्यों के रूप में जिन IFS के नाम आतें हैं वो वर्तमान में एकदम मलाईदार पदों में बैठें हैं जैसे CCF रायपुर राजू अगासीमनी, CCF वन्यप्राणी मर्सीबेल, CCF कांकेर केनिल मचियो, CCF (वन्यप्राणी) जगदीशन, DFO बीजापुर रंगानाधा रामकृष्णन, ITR DFO बीजापुर संदीप बलगा, दंतेवाड़ा के DFO जाधव सागर, DFO केशकाल गुरुनाथ, DFO भानुप्रतापपुर (पूर्व) जाधव श्रीकृष्णन, DFO गरियाबंद मनिस्वागन, DFO कोरबा अरविंद P.M., दो पद में बैठे डायरेक्टर/उपनिदेशक अचानकमार टाइगर रिजर्व बिलासपुर में विष्णुराज नायर, DFO दुर्ग परदेशी, DFO/संचालक कांगेर घाटी जगदलपुर, DFO भानुप्रतापपुर (पश्चिम) शशिगान्धन, DFO सरगुजा तेजश S, उपनिदेशक- हाथी रिजर्व सरगुजा श्रीनिवास टेननेटि ये सभी श्रीनिवास राव के लॉबी के IFS लोग मलाईदार पदों में बैठें हैं, वहीं बाकी वनमंडलों में अन्य हिंदी भाषी लोगो का कब्जा है, छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी IFS लूपलाइन में बैठाकर इन लॉबी के भ्रष्टाचार की धूलखाती फ़ाइल को साफ करके इनके रक्षक के रूप में कार्य करतें हैं।
कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ी होने का दम भर्ती थी पर छत्तीसगढ़ी IFS के लिए कोई खास काम नही कर सकी। इसके बाद छत्तीसगढ़ में BJP की सरकार बनने के बाद लगा था कि छत्तीसगढ़ी लोगो को तरजीह दी जाएगी । पर ये सरकार भी अभी तक कोई ठोस कदम नही उठाई है । जिससे लगता है लोकसभा चुनावों को देखा जा रहा है उसके बाद शायद बड़ी पोस्टमार्टम हो ।
राव का अपने साउथ लॉबी में ये इशारा कर चुकें है कि वे चुप रहें, उनका पव्वा BJP के वर्तमान चुने हुवे व मंत्रियों नेताओं में बैठ चुका है ।अब घबराने की बात नही है, यह तक कि साउथ से दिल्ली में भी जैक लग चुका है “PCCF एवं वनबल प्रमुख के पद से अब राव को कोई नही हटवा सकता।