बिजौर और मोपका की सरकारी जमीनों का बंदरबांट करने वाले पटवारी के विरुद्ध राजस्व मंत्री के आदेश पर शिकायतों की जांच के लिए कलेक्टर ने किया उच्च स्तरीय समिति गठित,पूर्व जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही की सिफारिश
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बिजौर और मोपका की सरकारी जमीनों का बंदरबांट करने वाले पटवारी के विरुद्ध राजस्व मंत्री के आदेश पर शिकायतों की जांच के लिए कलेक्टर ने किया उच्च स्तरीय समिति गठित,पूर्व जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही की सिफारिश
बिलासपुर : राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा के विशेष आदेश और निर्देश पर कलेक्टर ने मोपका और बिजौर के तत्कालीन पटवारी कौशल यादव के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन किया है। मंत्री के निर्देश पर कलेक्टर ने चार सदस्यीय टीम का गठन किया है। आदेश में जिलाधीश ने निर्देश दिया है कि मोपका और बिजौर में रहने के दौरान तत्कालीन पटवारी कौशिल यादव की तरफ से किए गए अनियमितताओं की जांच करें। जांच के लिए कलेक्टर ने दस बिन्दू भी निर्धारित किये हैं। जांच टीम में एडिश्लनल कलेक्टर एआर कुरूवंशी, एसडीएम पीयूष तिवारी,तहसीलदार अतुल बैष्णव और खिलेन्द्र यादव को शामिल किया गया है। कमेटी अध्यक्ष कुूरूवंशी को बनाया गया है। बताते चलें कि कौशिल यादव इस समय जांजगीर जिला में पटवारी हैं।
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राजस्व मंत्री के निर्देश पर कलेक्टर ने मोपका और बिजौर के तत्कालीन पटवारी कौशल यादव के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। कलेक्टर ने जांच के लिए एडिश्नल कलेक्टर एआर कुरूवंशी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय टीम का गठन किया है। टीम में एसडीएम पीयूष तिवारी, तहसीलदार अतुल वैष्णव और अधीक्षक भू-अभिलेख खेलेन्द्र यादव शामिल हैं। टीम को सात दिनों के अन्दर रिपोर्ट देना होगा।
कलेक्टर ने आदेश में कहा है कि वर्तमान समय में जांजगीर जिला में पदस्थ मोपका और बिजौर के तत्कालीन पटवारी कौशल यादव हल्का में रहने के दौरान घनघोर अनियमितता को अंजाम दिया है। कौशल ने बिजौर में पदस्थापना के दौरान शासकीय जमीन खसरा नं. 396, 398 का कय विक्रय कर नामांतरण प्रतिवेदन में गंभीर अनियमितता को अंजाम दिया है।
इसी तरह मोपका में पदस्थपना के दौरान कौशल यादव ने शासकीय जमीन खसरा नं. 992/ 9 में कय विक्रय और नामांतरण के दौरान भारी अनियमितता कर छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता का उल्लंघन किया है। इसलिए मंत्री के निर्देश पर शासकीय जमीन की बंदरबांट को लेकर विस्तृत जाँच की जरूरत है। कलेक्टर ने टीम को 10 बिन्दुओं पर जांच के बाद सात दिनों के अन्दर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
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